जीएसटी पारित न होने पर प्रधानमंत्री मोदी का छलका दर्द
राज्यसभा में सांसदों के विदाई संबोधन में पीएम ने कहा कि विरोधों के बावजूद भी वरिष्ठ लोगों के अनुभवों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
By Lalit RaiEdited By: Updated: Fri, 13 May 2016 06:43 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा के सेवानिवृत सांसदों को विदाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जीएसटी पारित न होने का दर्द छलक आया। उलाहना के अंदाज में मोदी ने कहा कि अच्छा होता कि आपके रहते जीएसटी विधेयक पारित हो जाता। इससे देश को और राज्यों को तो फायदा होता ही, आप जिस राज्य से आते हैं, वहां के लोग आप पर और भी गर्व करते। इसका सबसे अधिक लाभ बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को मिलता। उन्होंने कहा कि रिटायर हो रहे साथी हमेशा याद रहेंगे।
जीएसटी के अलावा राष्ट्रीय मुआवजा वनीकरण कोष (कैंपा) विधेयक के पास होने का भी दर्द बयां किया। प्रधानमंत्री ने कहा यह विधेयक मंजूर कर लिया गया होता तो राज्यों को 42 हजार करोड़ रुपये मिलता। प्रत्येक राज्य को करीब-करीब दो से तीन हजार करोड़ रुपये मिलने वाला था। यह धनराशि सामाजिक वानिकी के लिए था, इसके लिए बरसात का मौसम सबसे मुफीद साबित होता। लेकिन सदन में इस बार फैसला नहीं हो पाया। प्रधानमंत्री ने कहा आप लोगों के रहते दोनों फैसले हो जाते तो एक दो राज्यों को छोड़कर बाकी राज्यों को फायदा बहुत फायदा होता। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के लिए काफी अहम विधेयकों के पारित कराने में सहयोग देने वाले सदस्यों को धन्यवाद दिया। विदाई भाषण में मोदी ने कहा कि इस सदन को यह विशेषाधिकार प्राप्त है, जिसके तहत नये सदस्यों का स्वागत और सेवानिवृत्त होने वालों को विदाई दी जाती है। उन्होंने कहा आपके तजुर्बे से देश को बहुत फायदा होगा। सदन को आपके सुझावों से लाभ मिला है। दरअसल, जीएसटी विधेयक को लोकसभा की पहले ही मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन राज्यसभा में राजग का बहुमत न होने विधेयक लंबित है। मोदी के बाद सदन में कांग्र्रेस के आनंद शर्मा ने राज्यसभा से पारित कई अहम विधेयक का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जीएसटी को तत्कालीन संप्रग सरकार पारित कराना चाहती थी, लेकिन उस समय गुजरात जैसे राज्यों ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि सदन में गतिरोध कई कारणों से होता है, जो प्रजातंत्र का हिस्सा है। लेकिन इसे गलत से प्रचारित किया जाता है, जो ठीक नहीं है। राजनीतिक विरोध को व्यक्तिगत कटुता के रूप में नहीं लेना चाहिए।