पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दंगों के दौरान प्रशासन राजनीतिक दबाव में काम कर रहा था। प्रदेश के दस मंत्रियों की सद्भावना समिति ने न केवल इसकी तस्दीक कर दी है बल्कि मुख्यमंत्री से सिफारिश की है कि स्थानीय नेताओं को प्रशासन पर बेजा दबाव बनाने से रोका जाए। मंत्रिसमूह की इस रिपोर्ट से दंगों के दौरान नेताओं के प्रश
By Edited By: Updated: Wed, 23 Oct 2013 09:27 PM (IST)
लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दंगों के दौरान प्रशासन राजनीतिक दबाव में काम कर रहा था। प्रदेश के दस मंत्रियों की सद्भावना समिति ने न केवल इसकी तस्दीक कर दी है बल्कि मुख्यमंत्री से सिफारिश की है कि स्थानीय नेताओं को प्रशासन पर बेजा दबाव बनाने से रोका जाए। मंत्रिसमूह की इस रिपोर्ट से दंगों के दौरान नेताओं के प्रशासन में दखल पर आधिकारिक मुहर लग गई है। दंगो के वक्त पुलिस प्रशासन में दखलंदाजी को लेकर सरकार पहले अदालती सवालों का सामना कर रही है।
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मुजफ्फरनगर में फिर हुई हत्या, सांप्रदायिक तनाव लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव दस सदस्यीय मंत्रिसमूह ने दंगों के भेदभावपूर्ण कार्रवाई के आरोपों से भी सहमति जाहिर की है। समिति ने कहा है कि दंगों के सिलसिले में तीन जिलों में दर्ज 427 एफआइआर की निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिए। यह संस्तुति सरकार के लिए चुनौती बनेगी क्यों कि भाजपा ने भेदभावपूर्ण कार्रवाई के आरोप लगाये हैं, जिन्हें मंत्रिसमूह एकतरह से सही ठहरा रहा है। समिति ने कहा है कि दंगों के शिकार दोनों वगरें को एक पक्षीय कार्रवाई होने की शिकायत है। इसलिए दर्ज एफआइआर की निष्पक्ष जांच कराना जरुरी है ताकि निर्दोषों को दोषमुक्त किया जा सके और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके। मंत्रिसमूह ने महसूस किया है कि दंगा प्रभावित क्षेत्र के लोगों का प्रशासन पर से विश्वास उठा हुआ है और कहीं न कहीं कार्रवाई में भेदभाव हो रहा है। दंगों में एफआइआर की तफ्तीश स्पेशल इंवेस्टीगेशन सेल (एसआइसी) और न्यायिक जांच न्यायमूर्ति विष्णु सहाय की अध्यक्षता वाला आयोग भी कर रहा है। मदरसे हैं मददगार : सपादंगा राहत शिविरों में मदरसों के कब्जों पर जागरण के रहस्योद्घाटन के बाद सपा गहरी उलझन में फंस गई है। पार्टी ने बुधवार को कहा कि शिविर के संचालन में मदरसे मदद कर रहे हैं। यह बयान लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव की तरफ से जारी किया गया है जिनकी अध्यक्षता में सद्भावना समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि मदरसे अपने फायदे के लिए शिविरों को बंद नहीं करने दे रहे हैं। सपा प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने मंत्री शिवपाल यादव के हवाले से कहा कि सद्भावना समिति की जांच आख्या एवं संस्तुतियां सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को सौंप दी गई हैं। उन्होंने कहा कि मदरसों और राज्य सरकार के बीच अच्छा तालमेल बना हुआ है, जिससे पीड़ितों को मदद पहुंचाने में काफी सुविधा रही है। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए मदरसा संचालकों का आभार व्यक्त किया जाना चाहिए।
प्रदेश सरकार को भेजी गई दस मंत्रियों की सद्भावना समिति की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि मदरसा संचालक राहत शिविरों से विस्थापितों को वापस गांव नहीं जाने देना चाहते, ताकि मदद की आड़ में उनका व्यापार चलता रहे। इन मदरसों को बाहर से नकद राशि और खाद्यान्न सामग्री मिल रही है। अधिक सुविधाएं भी लोगों को शिविर से वापस नहीं जाने दे रही हैं। सपा ने मंत्रियों की रिपोर्ट झुठलाते हुए कहा कि शिविर संचालन में मदरसों ने बहुत मदद की है। आशा जताई जाती है कि विस्थापितों के बीच विश्वास पैदा करने और उनके पुनर्वास में मदरसा संचालकों का सहयोग मिलता रहेगा।
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