गंगा किनारे की कंपनियों पर लगेगी लगाम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजेंडे में ऊपर गंगा स्वच्छता अभियान के लिए न तो समय रोड़ा बनेगा और न ही व्यवस्था। पहली बार खुद अपने लिए भी समय सीमा तय कर रहीं केंद्रीय जल संसाधन व गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा भारती ने उन कंपनियों के लिए भी समय सीमा तय कर दी है जो गंगा को प्रदूषित कर रही हैं। अगले छह महीने में इन कंपनियों द्व
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजेंडे में ऊपर गंगा स्वच्छता अभियान के लिए न तो समय रोड़ा बनेगा और न ही व्यवस्था। पहली बार खुद अपने लिए भी समय सीमा तय कर रहीं केंद्रीय जल संसाधन व गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा भारती ने उन कंपनियों के लिए भी समय सीमा तय कर दी है जो गंगा को प्रदूषित कर रही हैं। अगले छह महीने में इन कंपनियों द्वारा गंदे पानी के शुद्धीकरण की ऑनलाइन निगरानी शुरू हो जाएगी। जाहिर है कि इस बार प्रदूषण फैलाने वाले बड़े गुनहगारों के लिए बच निकलना मुश्किल होगा।
उमा ने तीन साल के अंदर गंगा की कम से कम एक स्वच्छ धारा पहुंचाने की मंशा जताई है। काम भी तत्काल शुरू हो गया है। गुरुवार को उमा और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के मंत्रालय ने पूरे सामंजस्य के साथ बढ़ने का निर्णय लिया। जावडे़कर उमा के कार्यालय पहुंचे और यह तय हो गया कि गंगा के उद्गम गोमुख से उत्तरकाशी के 130 किलोमीटर के क्षेत्र में किसी भी व्यावसायिक या औद्योगिक गतिविधि पर लगे प्रतिबंध का सख्ती से पालन होगा। गंगा के आसपास लगे औद्योगिक संस्थानों की भी जल्द ही बैठक होगी और उनसे सरकार की मंशा स्पष्ट कर दी जाएगी। यानी प्रदूषित जल गंगा में छोड़ने की मनाही का पालन उन्हें भी करना होगा। इसी उद्देश्य से अगले छह महीने के अंदर निगरानी भी शुरू हो जाएगी। कंपनियों को प्रदूषित जल के शुद्धीकरण प्लांट को दुरुस्त रखना होगा। उसी जल को फिर से औद्योगिक उपयोग में लाना होगा।
उमा के मंत्रालय के अनुसार, बालू खनन में भी मनमानी नहीं चलेगी। जल्द ही नए दिशानिर्देश जारी होंगे ताकि उसका गलत असर न हो। ध्यान रहे कि गंगा स्वच्छता अभियान के लिए सरकार ने पीपीपी मॉडल भी अपनाने का निर्णय लिया है। एनआरआइ फंड पहले ही स्थापित किया जा चुका है। जबकि सरकार ने भी यह दावा किया है कि इसके लिए पैसे की कमी नहीं होने दी जाएगी।