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गरीबों के लिए अतिरिक्त बोगी या पूरी ट्रेन की तैयारी

आर्थिक मोर्चे पर सख्त हालात के बावजूद सरकार गरीबों को इसकी तपिश से बचाना चाहती है। इसके लिए रेल बजट में भी कई उपाय किए जाएंगे।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Tue, 23 Feb 2016 12:25 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चे पर सख्त हालात के बावजूद सरकार गरीबों को इसकी तपिश से बचाना चाहती है। इसके लिए रेल बजट में भी कई उपाय किए जाएंगे। इनमें गरीबों के लिए ट्रेनों में साधारण दर्जे के कोच बढ़ाने तथा उन्हें किराया वृद्धि की मार से मुक्त रखने का हो सकता है। या फिर गरीबों के लिए साधारण दर्जे की कोई नई ट्रेन श्रृंखला चलाई जा सकती है।

रेल बजट को लेकर राजनीतिक हलकों में भी तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। इनमें सबसे ताजातरीन गुफ्तगू सर्वहारा वर्ग के लिए ट्रेनों में साधारण दर्जे की बोगियां बढ़ाने अथवा पूरी की पूरी नई ट्रेन चलाने की है। इसी के साथ इन बोगियों या ट्रेनों को अंत्योदय कोच या अंत्योदय एक्सप्रेस जैसा कोई नाम दिए जाने की भी चर्चा है। हालांकि यह बिलकुल नया आइडिया नहीं है।

इस पर साल भर पहले तभी से चिंतन हो रहा था जब ट्रेनों में बोगियों की अधिकतम संख्या को 24 से बढ़ाकर 26 करने का निर्णय लिया गया था। तब कहा गया था कि बढ़ी बोगियों का उपयोग साधारण दर्जे के यात्रियों को ट्रेनों में और ज्यादा जगह उपलब्ध कराने में किया जाएगा। पिछले रेल बजट में सुरेश प्रभु ने इस बाबत एलान भी किया था। जिसके फलस्वरूप 26 कोच की कई ट्रेने अब चलाई जा रही हैं। लेकिन न तो इसकी कोई चर्चा हुई और न ही कोई आर्थिक या राजनीतिक लाभ मिला। लिहाजा आगामी रेल बजट के जरिए इसकी क्षतिपूर्ति का प्रयास किया जाएगा।

देश की बहुसंख्यक जनता ट्रेनों में सफर करती है। और उसमें भी सबसे ज्यादा लोग अनारक्षित साधारण दर्जे में यात्रा करते हैं। लागत से भी कम किराये के कारणयह रेलवे के लिए घाटे का सौदा है। इसके बावजूद इस घाटे को वहन करना रेलवे की मजबूरी है। क्योंकि इस वर्ग को नाराज करने का जोखिम कोई भी सरकार नहीं उठाना चाहती। इस वर्ग को राहत देने का कोई न कोई रास्ता बनाया ही जाता है। इस बार भी ऐसा होने वाला है।

गरीबों के लिए न केवल सीटें बढ़ाई जाएंगी, बल्कि उसके ज्यादा पैसे भी नहीं वसूले जाएंगे। यह नियम स्पेशल और सुविधा ट्रेनों पर भी लागू होगा, जिनका किराया साधारण मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों से काफी अधिक रहना है। ऐसी ट्रेनों में साधारण बोगियां लगाए जाने की स्थिति में उनके यात्रियों से सामान्य ट्रेनों का किराया ही वसूला जाएगा।

प्लेटफार्म एलर्ट :

स्टेशनों पर सबसे ज्यादा भीड़ गरीबों की ही होती है और भगदड़ में उन्हें ही सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसा प्लेटफार्म नंबर मालूम न होने या अचानक पता चलने के कारण होता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। एसएमएस से अन्य सूचनाओं के साथ प्लेटफार्म का भी पता चल जाएगा। रेल बजट में इसका एलान होने की पूरी संभावना है। इसी तरह रात में अगले स्टेशन के बाबत फोन एलर्ट की सुविधा सभी ट्रेनों पर लागू हो सकती है।