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मीडिया खुद ही विकसित करे सुधारात्मक तंत्र: राष्ट्रपति

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। राजस्व बढ़ाने के लिए कुछ समाचारपत्रों में 'पेड न्यूज' [पैसे लेकर खबर छापने] की बढ़ती प्रवृत्ति पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने के लिए मीडिया को खुद ही सुधारात्मक तंत्र विकसित करना चाहिए।

By Edited By: Updated: Thu, 27 Feb 2014 11:40 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। राजस्व बढ़ाने के लिए कुछ समाचारपत्रों में 'पेड न्यूज' [पैसे लेकर खबर छापने] की बढ़ती प्रवृत्ति पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने के लिए मीडिया को खुद ही सुधारात्मक तंत्र विकसित करना चाहिए। मीडिया को 'क्रिस्टल बॉल' बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा लाखों-करोड़ों लोग इसे निहारते हैं। इसलिए मीडिया को 'ब्रेकिंग न्यूज' और 'तात्कालिक हेडलाइंस' से आगे जाकर राष्ट्र के समक्ष उपस्थित चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

इंडियन न्यूज पेपर सोसाइटी (आइएनएस) के प्लेटिनम जुबली समारोह के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने पेड न्यूज पर अप्रसन्नता प्रकट करने में कोई संकोच नहीं किया। उन्होंने कहा, 'यह चिंताजनक है कि कुछ प्रकाशन पेड न्यूज या इसी तरह की अन्य मार्केटिंग रणनीतियों में लिप्त हो गए हैं। इस तरह की गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने के लिए स्वयं सुधार की प्रणाली आवश्यक है। खबर को दबा देने की प्रवृत्ति का भी विरोध होना चाहिए। आप अपना काम बखूबी करें, लेकिन राष्ट्र निर्माण और भविष्य के बारे में भी आपकी एक दृष्टि होनी चाहिए।'

राष्ट्रपति के अनुसार मीडिया का कर्तव्य है कि बिना किसी भय या पक्षपात के नए विचारों पर बहस कराने के साथ ही विचारों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने के अवसर उपलब्ध कराए, ताकि उसके आधार पर एक सही राय कायम हो सके। आइएनएस इस बात पर गर्व कर सकता है कि उसने ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन जैसी कई महत्वपूर्ण संस्थाओं का सृजन व पोषण किया है। इसके सदस्यों ने हमारे लोकतंत्र के महत्वपूर्ण अंग स्वतंत्र प्रेस को खड़ा करने में बड़ी भूमिका निभाई है।