Move to Jagran APP

खाड़ी की हर ताकत को साधने में जुटा भारत

पीएम नरेंद्र मोदी रविवार को ईरान की यात्रा पर रवाना हो रहे हैं। इस यात्रा को खाड़ी के देशों में भारत की नई कूटनीति के दूसरे चरण के तौर पर देखा जा रहा है।

By Manish NegiEdited By: Updated: Sat, 21 May 2016 11:22 AM (IST)
Hero Image

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रविवार से शुरू हो रही ईरान यात्रा को खाड़ी के देशों में भारत की नई कूटनीति के दूसरे चरण के तौर पर देखा जा रहा है। संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब को मोदी पहले ही साध चुके हैं। इनके चिर विरोधी ईरान को इस यात्रा के दौरान साधने की कोशिश होगी।

तीसरा चरण मोदी की इजरायल यात्र होगी, जिसको लेकर काफी कयास लगाए जा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि अपने पुराने मित्र राष्ट्र सऊदी अरब और ईरान के साथ रिश्तों में नई गरमाहट डालने के बाद ही मोदी इजरायल की तरफ रुख करेंगे।

मोदी की ईरान यात्र भारत के लिए कई मायनों में अहम साबित हो सकती है। मसलन, इस यात्र के दौरान भारत ईरान के चाबहार पोर्ट को अंतरराष्ट्रीय व्यापार का क्षेत्रीय हब बनाने का काम शुरू कर देगा। विशेषज्ञ इसे पाकिस्तान में चीन की ग्वादर पोर्ट के साथ जोड़ कर देख रहे हैं। साथ ही अफगानिस्तान की कोशिशों में रोड़े डाल रहे पाकिस्तान को भी हाशिये पर डालने का काम होगा। ऊर्जा क्षेत्र में ईरान के साथ कई अहम समझौते होंगे, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए काफी अहम होंगे।

दो वर्ष में अमेरिका चौथी बार जाएंगे मोदी, ओबामा से 7 जून को मुलाकात

विदेश मंत्रलय के संयुक्त सचिव (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान) गोपाल वागले का कहना है कि चाबहार पोर्ट में भारत की हिस्सेदारी को लेकर अभी तक सिर्फ बात हो रही थी। लेकिन अब इस परियोजना को आगे बढ़ाने का काम होगा। पीएम की यात्र के दौरान इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड और आर्या बनादेर ऑफ ईरान के बीच पहले चरण के निर्माण को लेकर समझौता होगा। इस पर भारत की तरफ से 20 करोड़ डॉलर का निवेश किया जाएगा।

जानकारों का कहना है कि चाबहार में भारतीय निवेश की यह सिर्फ शुरुआत है। भारत के पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री ने हाल ही में कहा था कि भारतीय कंपनियां चाबहार के पास विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने के लिए 20 अरब डॉलर का निवेश करना चाहती हैं। इस तरह से भारत ईरान में विदेश निवेश करने वाला एक अहम देश बनने की तरफ अग्रसर है।

भारत के रणनीतिक नजरिये से मोदी की तेहरान यात्र के दौरान दूसरा सबसे अहम समझौता ईरान और अफगानिस्तान के साथ त्रिपक्षीय समझौता होगा। यह चाबहार-जाहेदान-जारांज के बीच यातायात कारिडोर बनाने को लेकर है। भारत यहां सड़क और रेलवे नेटवर्क बनाएगा। इससे एक तो उसे पूरे अफगानिस्तान में सीधे सामान भेजने का रास्ता मिल जाएगा। दूसरा, केंद्रीय एशियाई देशों में भारतीय उत्पादों का नया बाजार बन सकेगा। आगे चल कर जापान भी इससे जुड़ सकता है। मोदी की यात्र में ईरान के साथ ऊर्जा और बैंकिंग क्षेत्र में दो बेहद अहम समझौते को अंतिम रूप दिया जाएगा।

मोदी ईरान की यात्र के कुछ ही दिनों बाद खाड़ी के एक अन्य देश कतर भी जाएंगे। कतर से गैस खरीदने के लिए नए समझौते होने हैं।

सहारनपुर से यूपी के सिंहासन की लड़ाई का शंखनाद करेंगे पीएम