रेणुका चौधरी और जयराम रमेश के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस
शिरोमणि अकाली दल के सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने राज्यसभा में कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी और जयराम रमेश के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।
नई दिल्ली। शिरोमणि अकाली दल ने अपनी पार्टी की सदस्य तथा केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के साथ कथित दुर्व्यवहार करने के लिए आज राज्यसभा में कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश तथा रेणुका चौधरी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस दिया।
आज उच्च सदन में शिरोमणि अकाली दल के सदस्य सुखदेव सिंह ढींढसा ने इस विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस के दोनों वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं और उन्होंने वर्तमान खाद्य प्रसंस्करण मंत्री तथा शिरोमणि अकाली दल की सदस्य के साथ दुर्व्यवहार किया था। उन्होंने कहा कि अपने आचरण को लेकर दोनों नेताओं को मंत्री से माफी मांगनी चाहिए या उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस दिया जाएगा।
आम आदमी पार्टी के लोकसभा सांसद भगवंत मान द्वारा संसद भवन परिसर की विवादित वीडियोग्राफी करने और सोशल मीडिया पर उसे डाले जाने को लेकर शुक्रवार को राज्यसभा में हो रहे हंगामे के बीच उच्च सदन की बैठक स्थगित कर दी गई थी। इसके बाद खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल तथा कांग्रेस नेताओं के बीच कथित तौर पर विवाद हुआ था।
शिरोमणि अकाली दल के नेता ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के दोनों वरिष्ठ सदस्यों ने सदन के बाहर हरसिमरत कौर के साथ कथित दुर्व्यवहार किया। सदन में मौजूद जयराम रमेश और रेणुका चौधरी सहित कांग्रेस के सदस्यों ने ढींढसा की टिप्पणी का विरोध किया। उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि मंत्री या सदस्य केवल आसन की अनुमति से ही बोल सकते हैं।
कुरियन ने कहा ‘‘उस दिन, मंत्री ने उठ कर अनुरोध किया था कि उन्हें अपनी बात रखने की अनुमति दी जाए। तब सदन में हंगामा हो रहा था।’’ शुक्रवार को आसन पर कुरियन ही थे। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को उन्होंने पहले गैर सरकारी कामकाज के तहत गैर सरकारी विधेयक पेश करने को कहा जिसकी वजह से मंत्री को बोलने की अनुमति नहीं दी जा सकी।
कुरियन ने कहा कि मंत्री के पास बोलने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु था और अगर अब चर्चा होती है तो वह अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र होंगी। उप सभापति ने कहा कि इस मुद्दे पर सभापति हामिद अंसारी विचार कर रहे हैं और अगर वह चाहेंगे तो संबद्ध दलों को बुलाएंगे। कथित घटना शुक्रवार को, मान द्वारा संसद भवन की वीडियोग्राफी करने के मुद्दे पर सत्ता पक्ष के हंगामे के चलते दोपहर को राज्यसभा की बैठक स्थगित किए जाने के बाद हुई थी।
ढींढसा ने कहा कि मंत्री को संसद के किसी भी सदन में बोलने का अधिकार होता है और इसके लिए अनुमति मांगना मंत्री तथा आसन के बीच की बात होती है। उन्होंने कहा कि मंत्री ने शुक्रवार को मान के मुद्दे पर बोलने की अनुमति मांगी थी। उन्होंने कांग्रेस सदस्यों का संदर्भ देते हुए कहा ‘‘उन्हें मंत्री को बाधित करने का क्या अधिकार है।’’
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शर्मा ने कहा ‘‘जो मंत्री इस सदन की सदस्य नहीं हैं, क्या उनको सदन के अन्य सदस्यों की तरह ही विशेषाधिकार है और वह भी क्या उस सदस्य के बारे में बोलने का अधिकार मंत्री को है जो दूसरे सदन का सदस्य है।’’ जयराम रमेश ने कहा कि सदन के बाहर कोई कथित तकरार नहीं हुई और हरसिमरत कौर से यही कहा गया कि वह एक मंत्री हैं और उन्हें गरिमापूर्ण आचरण करना चाहिए। इसके अलावा हरसिमरत कौर लोकसभा के सदस्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही थीं जबकि इस तरह की कार्रवाई लोकसभा अध्यक्ष और सरकार ही कर सकते हैं।
रमेश ने कहा कि सत्ता पक्ष के सदस्य जानबूझकर हंगामा कर रहे थे ताकि गैर सरकारी कामकाज न हो सके क्योंकि उस दिन आंध्रप्रदेश के लिए विशेष पैकेज के कार्यान्वयन की मांग करते हुए एक गैर सरकारी विधेयक पर चर्चा होनी थी। कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा ‘‘केवल यही बातें हुई थीं और मंत्री कहती हैं कि उनका अपमान किया गया। यह सही नहीं है।’’ रेणुका चौधरी ने कहा कि सदन की बैठक स्थगित होने के बाद जो हुआ, उसका संज्ञान ले कर कौन सी परंपरा स्थापित की जा रही है। सच तो यह है कि यह एक महत्वपूर्ण गैर सरकारी विधेयक पर चर्चा को रोकने के लिए सुनियोजित तरीके से किया गया षड्यंत्र था। आनंद शर्मा ने कहा कि दो दिन पहले दूसरे सदन के सदस्य की वीडियोग्राफी को लेकर हंगामा मचाने वाले सत्ता पक्ष के सदस्य आज चुप क्यों हैं।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हरसिमरत कौर को आसन ने मंजूरी दी थी और वह इस मुद्दे पर बोलना चाहती थीं। वह उसी पंजाब से आती हैं जहां से मान भी आते हैं। मुद्दा भी महत्वपूर्ण था क्योंकि वह राष्ट्रीय सुरक्षा और संसद की प्रतिष्ठा से संबद्ध था।
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