...तो केरल-असम में चुनाव प्रचार करने नहीं जाएंगी प्रियंका वाड्रा!
कांग्रेस में प्रियंका गांधी का कद बढ़ाने की मांगों के बीच उनके अमेठी, रायबरेली से बाहर आकर पार्टी के लिए काम करने की संभावनाओं को एक बार फिर ग्रहण लग गया है। असम व केरल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए प्रियंका गांधी से मदद मांग रहे
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस में प्रियंका गांधी का कद बढ़ाने की मांगों के बीच उनके अमेठी, रायबरेली से बाहर आकर पार्टी के लिए काम करने की संभावनाओं को एक बार फिर ग्रहण लग गया है। असम व केरल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए प्रियंका गांधी से मदद मांग रहे कांग्रेसी नेताओं को निराशा हाथ लगी है। इन राज्यों के कई नेताओं ने प्रियंका गांधी वाड्रा से मिलकर राज्य चुनाव की तैयारियों की निगहबानी करने की सिफारिश की थी। जिसपर प्रियंका ने उत्तर प्रदेश में अपनी भूमिका की ओर इशारा करते हुए मना कर दिया। दोनों राज्य अगले साल विधानसभा चुनावों का सामना करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक इन राज्यों में जबरदस्त गुटबाजी का सामना कर रही कांग्रेस की राज्य इकाई चाहती थी कि प्रियंका इन राज्यों की कमान संभालें। इसके लिए दोनों राज्यों के कुछ महत्वपूर्ण नेताओं ने प्रियंका से मिलकर इस बाबत आग्रह किया था। लेकिन प्रियंका ने अपनी जिम्मेदारी को कांग्रेस अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के संसदीय क्षेत्र तक सीमित बता कर नम्रता से इस प्रस्ताव को मना कर दिया। यह पहली बार नहीं है जब प्रियंका ने इस प्रकार के आग्रह को इंकार किया हो। इससे पहले कांग्रेस महासचिव मधुसूदन मिस्त्री के प्रियंका के वडोदरा जाकर प्रचार करने के आग्रह को भी ठुकरा चुकी हैं।
गौरतलब है कि मिस्त्री ने कहा था कि यदि प्रियंका वडोदरा में उनके लिए प्रचार करने आती हैं, तो वह उनके ‘आभारी’ रहेंगे। इससे पहले प्रियंका को लेकर उत्तर प्रदेश में किसी बड़ी भूमिका को संभालने, फिर महासचिव का पद दिए जाने की बात सामने आई थी। जिसे उनके कार्यालय ने खारिज कर दिया था। प्रियंका के इंकार के बाद कांग्रेस इन राज्यों को लेकर अन्य रणनीति की खोज में लग गई है। केरल से सांसद व पार्टी नेता का कहना था कि अगर प्रियंका राज्य की कमान को संभाल लेतीं तो गुटबाजी आसानी से नियंत्रित हो सकती थी। अब ऐसा न हो सकने की स्थिति में हमारे मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष को गंभीरता से सोचना होगा।
दरअसल इन राज्यों में कांग्रेस का दांव बड़ा है। इससे पहले कांग्रेस को बिहार व इन राज्यों के साथ पश्चिम बंगाल में चुनाव में जाना है। इन दोनों प्रदेशों में पार्टी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं मानी जा रही। बिहार में कांग्रेस प्रस्तावित महागठबंधन में महज बीस प्रतिशत की दावेदार है। जबकि, बंगाल में लड़ाई तृणमूल कांग्रेस, भाजपा व वाम दलों में सिमट चुकी है। कांग्रेस वहां लड़ाई में आने के लिए प्रयासरत है। ऐसे में इन राज्यों में सत्ता बरकरार रखना कांग्रेस के लिए बेहद अहम है। केरल में कांग्रेस खुद ही लड़ाई में उलझी है जबकि, असम में कांग्रेस के सामने भाजपा बड़ी चुनौती के रूप में सामने खड़ी है।