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रेलवे में प्रोन्नति घोटाला

रेलवे बोर्ड में सचिवालय की दो सेवाओं में प्रोन्नतियों में भारी गड़बड़ियां सामने आई हैं। वित्त मंत्रालय ने जरूरी प्रावधानों को ठेंगा दिखा की गई इन प्रोन्नतियों को रद करने को कहा है। रेलवे के दो कम ज्ञात सेवाओं रेलवे सचिवालय सेवा बोर्ड (आरबीएसएस) और रेलवे सचिवालय लिपिकीय सेवा बोर्ड (आरबीएससीएस) के कमि

By Edited By: Updated: Mon, 05 May 2014 05:05 AM (IST)
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नई दिल्ली। रेलवे बोर्ड में सचिवालय की दो सेवाओं में प्रोन्नतियों में भारी गड़बड़ियां सामने आई हैं। वित्त मंत्रालय ने जरूरी प्रावधानों को ठेंगा दिखा की गई इन प्रोन्नतियों को रद करने को कहा है।

रेलवे के दो कम ज्ञात सेवाओं रेलवे सचिवालय सेवा बोर्ड (आरबीएसएस) और रेलवे सचिवालय लिपिकीय सेवा बोर्ड (आरबीएससीएस) के कर्मियों को रेल मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर और केंद्रीय कैबिनेट के अधिकार क्षेत्र का धता बताते हुए प्रोन्नतियां दे दी हैं।

अधिकारियों को उच्च प्रशासनिक ग्रेड (एचएजी) और वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड (एसएजी) में ग्रुप ए की रेलवे सेवाओं में प्रोन्नति दी गई है। इन्हें क्रमश: अपर सचिव एवं संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी बनाया गया है। ये प्रोन्नतियां भारतीय रेलवे सेवा मेकेनिकल इंजीनियर(आइआरएसएमई), भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा और यहां तक कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के अधिकारियों को दरकिनार कर दी गई हैं। ऐसे अधिकारियों को प्रोन्नति के लिए आवश्यक न्यूनतम 16 साल की सेवा अवधि पूरा किए बगैर ही अन्य अधिकारियों के ऊपर बिठा दिया है। अभी केंद्रीय सचिवालय सेवा के एक अधिकारी को औसतन 23 साल के बाद एसएजी मिलता है। ग्रुप ए के रेलवे सेवा के अधिकारियों को भी 23 और आइएएस को 20 साल की सेवा के बाद यह प्राप्त होता है। कई अधिकारियों को आरबीएसएस में एसएजी ग्रेड दिया गया है जबकि उनकी नियुक्ति ग्रुप बी में हुई है। वित्त मंत्रालय ने इसे गंभीर चूक बताते हुए हाल में रेलवे को इन अधिकारियों की प्रोन्नति का एक साल पहले का फैसला रद करने के लिए लिखा है। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने पत्र में कहा है कि आरबीएसएस और आरबीएससीएस कैडर के पुनर्गठन के दौरान रेल मंत्रालय ने इसे स्वीकृति के लिए इस विभाग को नहीं भेजा बल्कि कैबिनेट की मंजूरी के बगैर पांच अतिरिक्त एसएजी स्तर का पद सृजित कर दिया। नियमानुसार वित्त मंत्रालय की मंजूरी जरूरी है। संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के अन्य पद सृजित करने के लिए केंद्रीय कैबिनेट की स्वीकृति भी जरूरी है। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने एक और मामले का उल्लेख किया है जिसमें रेलवे बोर्ड ने अपने समूह सी एवं डी के कर्मचारियों के कैडर के पुनर्गठन करने की सहमति चाहता है। आरबीएसएस व आरबीएससीएस के करीब 500 कर्मी हैं। ये रेलवे के करीब 13 लाख राजपत्रित एवं अराजपत्रित कर्मचारियों को संभालते हैं।

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