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इतालवी कंपनी से टॉरपीडो खरीद को मंजूरी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। इतालवी कंपनी फिनमैकेनिका की सहयोगी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड से हेलीकॉप्टर सौदा रद करने के पहले रक्षा मंत्रालय ने उसकी एक अन्य सहयोगी कंपनी से नए सौदे को मंजूरी दे दी। नौसेना के लिए लंबे समय से चली आ रही टॉरपीडो की किल्लत को पूरा करने के लिए जिस खरीद सौदे को रक्षा मंत्रालय ने हरी झंडी दी वह वास कंपनी का

By Edited By: Updated: Fri, 17 Jan 2014 09:06 PM (IST)
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नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। इतालवी कंपनी फिनमैकेनिका की सहयोगी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड से हेलीकॉप्टर सौदा रद करने के पहले रक्षा मंत्रालय ने उसकी एक अन्य सहयोगी कंपनी से नए सौदे को मंजूरी दे दी। नौसेना के लिए लंबे समय से चली आ रही टॉरपीडो की किल्लत को पूरा करने के लिए जिस खरीद सौदे को रक्षा मंत्रालय ने हरी झंडी दी वह वास कंपनी का है, जो फिनमैकेनिका समूह की ही सहयोगी है। रक्षा मंत्री एके एंटनी की अगुआई वाली रक्षा खरीद परिषद ने 23 दिसंबर, 2013 को करीब 1800 करोड़ रुपये की लागत से ब्लैक शार्क टॉरपीडो खरीद प्रस्ताव को मंजूरी दी। मंत्रालय का यह फैसला हेलीकॉप्टर खरीद सौदे पर पहली जनवरी, 2014 को कैंची चलने से पहले लिया गया। हालांकि, अभी टॉरपीडो खरीद प्रस्ताव पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति को अंतिम फैसला लेना है।

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टॉरपीडो सौदे के लिए चुनी गई व्हाइटहैड एलिनिया सिस्टेमी सुबाकुई और अगस्ता-वेस्टलैंड इटली की बड़ी हथियार निर्माता ंिफनमैकेनिका की सहयोगी कंपनियां हैं। हालांकि, मामले पर रक्षा मंत्रालय प्रवक्ता सितांशु कार ने कहा कि टॉरपीडो खरीद की प्रक्रिया अभी जारी है और मामले पर अंतिम फैसला लिया जाना है। रक्षा मंत्रालय के इस फैसले पर भाजपा ने भी सवाल उठाए हैं। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह सरकार की 'एक हाथ लो, दूसरे हाथ दो' की नीति है। उन्होंने इसे इतालवी कंपनी के नुकसान की भरपाई के लिए उठाया गया कदम करार दिया है। गौरतलब है कि टॉरपीडो खरीद की इस प्रक्रिया को लेकर काफी खींचतान चलती रही है। मामले पर रक्षा मंत्रालय को कुछ सांसदों से शिकायती चिट्ठियां भी मिली थीं। शिकायतों के मद्देनजर रक्षा मंत्री ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को मामले की जांच करने और अपनी राय देने के लिए भेजा था। इस कवायद के जरिए खरीदे जाने वाले करीब 100 टॉरपीडो निर्माणाधीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों में लगाए जाने हैं। आरोप-प्रत्यारोपों के कारण खरीद प्रक्रिया काफी समय से उलझी है।

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