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दिशा-निर्देशों को ताक पर रखकर पुत्तिंगल मंदिर में हो रही थी आतिशबाजी

केरल के पुत्तीगंल मंदिर में अगर सुप्रीम कोर्ट और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन किया गया होता तो शायद यह अग्निकांड नहीं होता।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 10 Apr 2016 09:12 PM (IST)
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नई दिल्ली। केरल के पुत्तीगंल मंदिर में अगर सुप्रीम कोर्ट और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन किया गया होता तो शायद यह अग्निकांड नहीं होता और सौ से अधिक लोगों की जान बच जाती। शीर्ष अदालत ने रात्रि दस बजे के बाद पटाखे चलाने पर पाबंदी लगा रखी है, इसके बावजूद मंदिर में आधी रात के बाद तीन बजे आतिशबाजी की गई। दक्षिणी राज्य केरल के कोल्लम जिले में स्थित पुत्तीगंल मंदिर में रविवार रात को आतिशबाजी आतिशबाजी के बाद भीषण आग लग गई जिससे सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई।

दो समूहों में चल रहा था आतिशबाजी मुकाबला

पुत्तिंगल मंदिर परिसर में हादसे से पहले दो समूहों में बेहतर आतिशबाजी प्रदर्शन के लिए मुकाबला चल रहा था। इससे प्रशासन की भूमिका पर अनेक सवाल खड़े हो रहे हैं। प्रशासन की उदासीनता का सिलसिला काफी लंबा है। गौरतलब है कि केरल समेत दक्षिण भारत के कई राज्यों में हर विशेष धार्मिक अवसर पर मंदिरों में आतिशबाजी एक परंपरा बन चुकी है। केरल में यह सर्वाधिक है। इसके लिए प्रशासन की अनुमति लेना भी मंदिर प्रबंधन जरूरी नहीं समझता। केरल में मंदिरों की भरमार है। अमीर ट्रस्टी मंदिर का प्रबंध देखते हैं। हर खास अवसर पर भारी मात्रा में पटाखे एकत्र कर मंदिर परिसरों में प्रदर्शन किया जाता है। प्रशासन धार्मिक व अन्य कारणों से इन पर कभी रोक नहीं लगा पाता। बाकायदा मुकाबला चलता है और निर्णायक की भी नियुक्ति होती है तो फैसला करता है कि किसकी आतिशबाजी बेहतर रही। यह भी स्पष्ट है कि इस मुकाबले में भाग लेने वालों की संख्या भी काफी अधिक होती है।

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अनुमति पर विरोधाभासी बयान:

अनुमति के बारे में प्रशासन और स्थानीय लोगों के दावों में विरोधाभास दिखाई दे रहा है। प्रशासन ने स्पष्ट कहा है कि आतिशबाजी के लिए कोई अनुमति दी गई। दूसरी तरफ स्थानीय लोगों का कहना है प्रशासन ने बाद में मौखिक अनुमति दे दी थी। मंदिर परिसर के पास रहने वाली एक महिला पंकजाक्षी की शिकायत पर आतिशबाजी पर रोक लगाई गई थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि बाद में दोनों पक्षों में आपसी सहमति बन गई थी जिसके कारण रात को आतिशबाजी से रोक हटा ली गई थी।

'आतिशबाजी पर स्थायी रोक के लिए संघर्ष जारी रखूंगी

पुत्तिंगल मंदिर परिसर में आतिशबाजी पर रोक के लिए आवेदन करने वाली महिला पंकजाक्षी ने कहा है कि वह स्थायी रोक के लिए संघर्ष करती रहेंगी। इसी वयोवृद्ध महिला की शिकायत पर कोल्लम कलेक्टर ने मंदिर के प्रबंधन को आतिशबाजी की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। पंकजाक्षी अम्मा का मकान मंदिर परिसर से केवल 50 मीटर की दूरी पर है। विस्फोट में उनका मकान भी क्षतिग्रस्त हुआ है। उनके पुत्र प्रकाश ने प्रेट्र को बताया कि मंदिर प्रबंधन पिछले चार साल से हमारे आवेदन को महत्व नहीं दे रहा। वह अपने क्षतिग्रस्त मकान को देखकर आहत हैं। प्रकाश ने बताया कि हमने चार साल पहले मकान बनवाया था और पहले ही साल आतिशबाजी से वह क्षतिग्रस्त हो गया था, दरवाजे भी टूट गए थे। इस बार पंकजाक्षी ने जिला प्रशासन से संपर्क साधा और आतिशबाजी पर रोक लगाने की मांग की। राजस्व अधिकारियों ने शिकायत की पुष्टि के लिए उनके घर का दौरा किया, हालांकि यह भी बता दिया कि आतिशबाजी पर इस बार रोक है।

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