राहुल के अरहर मोदी बयान को जेटली ने नकारा, कहा-विरासत में मिली थी महंगाई
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को महंगाई के मुद्दे पर घेरा। उन्होंने कहा कि आज लोग घर-घर मोदी की जगह अरहर मोदी कह रहे हैं। हालांकि वित्त मंत्री ने कहा कि विरासत में महंगाई मिली थी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। सियासत की भाषा करीब-करीब एक जैसी होती है। फर्क सिर्फ मौके का होता है। विपक्ष में रहते हुए राजनीतिक दल जिस अंदाज में सरकार पर हमला करते हैं। सत्ता पक्ष उस अंदाज में आक्रामक नहीं हो पाता है। लेकिन गुरुवार को लोकसभा में नजारा कुछ और था। नियम 193 के तहत महंगाई पर कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी ने चर्चा की शुरुआत की.और एनडीए सरकार खासतौर से पीएम मोदी पर जमकर बयानों के तीर चलाए। उन्होंने कहा कि अब हर-हर मोदी घर- घर मोदी की जगह अरहर मोदी की चर्चा हो रही है। लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सधे अंदाज में कहा कि आप लोगों से विरासत में कुछ अच्छी चीज तो मिली नहीं। आपके कुशासन का परिणाम महंगाई थी जो हमें विरासत में मिली है।
राहुल गांधी ने क्या कहा था ?
मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। इसके साथ ही उन्होंने सरकार के स्वच्छ भारत मिशन, मेक इन इंडिया और कनेक्ट इंडिया पर भी जमकर करारा वार किया। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले एनडीए सरकार का हैप्पी बर्थ डे मनाने वाली सरकार महंगाई जैसे मुद्दे को कहीं पीछे छाेड़ दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाक के नीचे दालों की चोरी हो रही है, लेकिन पीएम इस पर कुछ नहीं बोलते हैं।
पीएम मोदी को वादों की दिलायी याद
राहुल ने 16 फरवरी 2014 को पीएम द्वारा हिमाचल में चुनावी कैंपेन में किए गए वादों की याद दिलाते हुए कहा कि ‘पीएम ने वादा किया था कि मां-बच्चे रात-रात भर रोते हैं, आंसू पीकर सोते हैं। 2014 में जब हमारी सरकार आएगी, तो मंहगाई थम जाएगी। 2 महीने पहले एनडीए का जन्मदिन था, जो बड़ी धूमधाम से देश भर में बनाया गया।
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पीएम ने भाषण देकर अपनी तमाम योजनाएं गिनाई। यहां तक कि पार्टी के सभी नेताओं के देशभर में उपलब्धियां गिनाने को भेजा। जो कि सारी योजनाएं निराधार हैं। मेक इन इंडिया से एक भी युवा को रोजगार नहीं मिला। दाल, टमाटर और आलू के दाम के दाम पर पीएम लगाम नहीं लगा सके। दाल और बाकी की चीजों के दाम पर कंट्रोल करने पर झूठ नहीं बोला जा सकता है। जैसा कि उन्होंने अपने झूठी योजनाओं के बारे में बोला है। मैं दाल का मुद्दा नहीं उठाना चाहता, मेरा मतलब तो उसके पीछे हो रही चोरी से है।
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केंद्र को दालों की बढ़ती कीमत घेरते हुए उन्होंने कहा कि यूपी की रैलियों में पीएम मोदी ने बार-बार लोगों से आग्रह किया कि वह प्रधानमंत्री नहीं बल्कि एक चौकीदार हैं जो किसी सूरत से भ्रष्टाचार नहीं होने देंगे। लेकिन अब उनकी ही नाक के नीचे दालों की चाेरी हो रही है। उन्होंने कहा कि आज वह बड़े आदमी हैं देश के प्रधानमंत्री हैंं, लिहाजा अब वह चौकीदार नहीं हैं। इसलिए यह काम कांग्रेस कर रही है।
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मनमोहन सिंह सरकार की तारीफ
जैसा कि पिछले साल एनडीए ने उद्योगपतियों का बड़ा कर्जा माफ किया है। वैसे ही 2008 में हमारे समय में जब दुनिया भर में मंदी चल रही थी, तब मनमोहन सिंह पीएम थे और उन्होंने तब किसानों का 70 हजार करोड़ का कर्जा माफ किया था। जब 2008 में कच्चे तेल का दाम 110 डॉलर प्रति बैरल था और अब 44 डालर प्रति बैरल कच्चे तेल का रेट है। दोनो रेट मिला लीजिए। हमने 45 रूपए एमएसपी पर किसानों से दाल ली थी। जिसका बाजार रेट 75 रूपए था। इन्होंने 50 रूपए पर किसानों से दाल ली और बाजार में 180 में दिया। हमने 30 रूपए का अंतर रखा था। इन्होंने 130 का रखा है। बीच के 100 रूपए कहां जा रहे हैं। इसका हिसाब कौन देगा। 2 लाख करोड़ खर्ज किए हैं, इसमें से किसानों को कितना दिया है। मैं सरकार से वो तारीख पूछना चाहता हूं, जब वो आकर दाल का दाम कम करेंगे।
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महंगाई के आरोप से सरकार का इनकार
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मुख्य विपक्ष कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि राजग के दो साल के कार्यकाल में महंगाई में कमी आयी है और अच्छे मानसून के बाद इसमें और कमी की संभावना है। उन्होंने दाल की कीमतों को चिंताजनक बताते हुए कहा कि सरकार इसमें और वृद्धि रोकने के प्रयास कर रही है। लोकसभा में महंगाई पर हुई चर्चा में राहुल गांधी के राजग कार्यकाल में महंगाई बढ़ने के आरोप का जवाब देते हुए जेटली ने कहा कि उनकी सरकार को महंगाई की ऊंची दर संप्रग सरकार से विरासत में मिली थी।
'तेज आवाज में बोलना आंकडो़ं का विकल्प नहीं'
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि तेज आवाज में बोलना आंकड़ों का विकल्प नहीं है, उन्हें संप्रग के कार्यकाल और आज के दामों की तुलना करनी चाहिए।राहुल गांधी के फरवरी 2014 में नरेंद्र मोदी के भाषण में महंगाई संबंधी वादों पर की गई टिप्पणी का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि संप्रग ने जिस गंभीर स्थिति में सरकार को छोड़ा था उस समय चुनाव लड़ने वाला कोई भी उम्मीदवार महंगाई को कम करने का वादा करेगा। जेटली ने कहा कि मोदी सरकार बनने के बाद महंगाई को नियंत्रित करने संबंधी कदम उठाए हैं और अच्छे मानसून के बाद इसमें और कमी आएगी।
दाल की कीमत पर केंद्र सरकार गंभीर
वित्त मंत्री ने स्वीकार किया कि दालों की ऊंची कीमतें सरकार के लिए भी चिंता की वजह बनी हुई हैं। इसे दूर करने के लिए सरकार दालों की मांग और सप्लाई के अंतर को दूर करने के प्रयास कर रही है। फिलहाल यह अंतर 60 लाख टन का है। हालांकि बाद में चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने मांग और सप्लाई में 76 लाख टन का अंतर बताया। जेटली ने कहा कि इस वर्ष देश में दो करोड़ टन दालों के उत्पादन की संभावना है। जबकि मांग आमतौर पर 2.30 करोड़ टन की रहती है। उधर खाद्य मंत्रालय ने देश में दो करोड़ टन दाल का बफर स्टाक भी तैयार करने का फैसला किया है।राहुल गांधी की तरफ से महंगाई कम करने संबंधी तारीख बताने की मांग की आलोचना करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसे मुद्दे नीतियों के जरिए तय होते हैं न कि तारीख से। उन्होंने कहा कि सरकार देश के किसानों को पैदावार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के कदम उठा रही है। जेटली ने कहा कि महंगाई के मासिक आंकड़े बताते हैं कि दाल की कीमतें कम हो रही हैं। दो साल के लगातार सूखे के चलते देश में दालों की पैदावार कम हुई और उस पर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दालों की कीमतें बढ़ीं। उन्होंने कहा कि जब संप्रग ने सत्ता छोड़ी थी तब खुदरा और खाद्य महंगाई की दर दोहरे अंक में थी। जबकि थोक महंगाई की दर 6-7 फीसद के आसपास थी।
'कांग्रेस सच से मुंह न मोड़े'
संप्रग सरकार के आखिरी दो साल कीमतें बढ़ने के साल रहे। वित्त मंत्री ने कहा कि इसके उलट राजग के कार्यकाल में महंगाई की दर में कमी आई और करीब 18 महीने तक थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई की दर शून्य से नीचे बनी रही। उन्होंने कच्चे तेल की कम कीमतों का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं देने के आरोप के जवाब में कहा कि सस्ते क्रूड का लाभ तीन तरह से लिया जा रहा है। पहला सरकारी कंपनियों के सब्सिडी घाटे को पूरा करने के लिए, बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए और आम जनता के लिए।चर्चा का जवाब देते हुए पासवान ने कहा कि यदि राज्य सरकारें खाद्य उत्पादों से वैट हटा लें तो जनता को महंगाई से बड़ी राहत मिलेगी। दालों समेत तमाम खाद्य उत्पादों पर अलग अलग राज्यों में 15 से 20 फीसद वैट की दर लागू है। दालों की मौजूदा कीमत को यदि वैट से मुक्त रखा जाए तो आम आदमी की जेब पर बोझ कम हो जाएगा।
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