जमीयत के मंच से ऐन वक्त पर राहुल गांधी का किनारा
जमीयत उलेमा ए हिंद के मंच से ऐन वक्त पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने किनारा कर लिया। ऐसे में जबकि यमुना तट पर हो रहे विश्व सांस्कृतिक सम्मेलन के मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे थे, उसी समय जमीयत के इस कार्यक्रम में सोनिया-राहुल के जाने के राजनीतिक निहितार्थ...
नई दिल्ली। जमीयत उलेमा ए हिंद के मंच से ऐन वक्त पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने किनारा कर लिया। ऐसे में जबकि यमुना तट पर हो रहे विश्व सांस्कृतिक सम्मेलन के मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे थे, उसी समय जमीयत के इस कार्यक्रम में सोनिया-राहुल के जाने के राजनीतिक निहितार्थ भी थे।
राहुल के जाने की सूचना पर एसपीजी ने तो इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम को अपने कब्जे में भी ले लिया था, लेकिन आखिरी वक्त पर उनका मन बदल गया। सोनिया और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने अपना प्रतिनिधि और संदेश भेजा, लेकिन दिल्ली सरकार ने तो इस कार्यक्रम से आमंत्रण के बाद भी पूरी तरह दूरी बनाए रखी। धर्मनिरपेक्षता के सियासी अलमबरदारों ने कार्यक्रम से दूरी तो बनाई, लेकिन इस मंच से मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने तो आरएसएस की तुलना आइएसआइएस से कर दी।
जमीयत ए उलेमा का धर्मनिर्पेक्षता सम्मेलन वास्तव में मोदी सरकार पर हमले का जरिया बनकर रह गया। देशभर से आए नेताओं व धर्मगुरुओं ने केंद्र सरकार व संघ पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप लगाए। वैसे तो सम्मेलन में कंग्रेस अध्यक्ष सोनिया और उनके बेटे राहुल भी शिरकत करने वाले थे। लेकिन आखिरी समय में सोनिया ने मंच पर आने से परहेज करते हुए राज्यसभा सदस्य गुलाब नबी आजाद के हाथों स्वलिखित पत्र भेज दिया। पत्र में लिखा कि 'कुछ ताकतें देश को तोड़ने में लगी है। ऐसे हालात में जमीयत का ये कदम सराहनी है। जमीयत ने गांधी जी के साथ आजादी की लड़ाई लड़ी है इसलिए मैं उनको शुभकामना देती हूं।'
तो डर गए धर्मनिरपेक्षता के अलमबरदार
वैसे आयोजकों का दावा है कि सोनिया-राहुल दोनों ने ही इस कार्यक्रम में आने की हामी भरी थी। एक दिन पहले समारोह स्थल को एसपीजी ने अपने कब्जे में भी ले लिया था। मगर श्री श्री के मंच पर मोदी और उसी कार्यक्रम के दौरान जमीयत के मंच पर कांग्रेस नेतृत्व के होने से ध्रुवीकरण की सियासत तेज होने की आशंका ने राहुल को भी रोक लिया।
सीताराम येचुरी ने अपनी पार्टी के सांसद मोहम्मद सलीम को भेजा, लेकिन आम आदमी पार्टी ने कार्यक्रम से पूरी तरह दूरी बना ली। आयोजकों के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने पहले ही इस समय कार्यक्रम में आने में असमर्थता जता दी थी। जद (यू) नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस जमीयत के कार्यक्रम के समय बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक सरकारी कार्यक्रम में मंच साझा कर रहे थे।
आरएसएस की तुलना आइएसआइएस से
कार्यक्रम में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने मौजूदा केंद्र सरकार पर धर्मनिरपेक्षता के मोर्चे पर तीखा हमला बोला। कार्यक्रम को सियासत से अलग बताते हुए भी उन्होंने कांग्रेस के कसीदे पढ़ने में भी कोई कसर भी नहीं छोड़ी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने तो भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस पर ही संगीन आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आईएस जैसा ही है। हम दुआ करते है कि संघ व भाजपा के दिल से नफरत निकल जाए।' आजाद ने इकलाख की मौत पर अवार्ड वापस करने वाले हिंदुओ और धर्मनिर्पेक्षता की लड़ाई लड़ने वाले टीवी एंकर्स को भी बधाई दी।
सीपीआइ महासचिव सीताराम येचुरी की जगह मंच पर पहुंचे मोहम्मद सलीम ने कहा कि ' मोदी सरकार के केंद्र में आते ही हमने धर्मनिर्पेक्षता की लड़ाई लड़ने के लिए कमर कस ली थी। इकलाख के कत्ल पर हुकूमत शांत थी। जो पठाकोट नहीं रोक सके, वो जेएनयू में कन्हैया को गिरफ्तार करने में जुट गए।' प्रमोद कृष्णन ने श्री श्री के कार्यक्रम में मोदी के जाने पर ही सवाल उठाए।