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चुनाव में 'ट्रंप कार्ड' साबित नहीं हो रहे राहुल, कांग्रेस को तलाशने होगा दूसरा चेहरा!

केरल और असम में सत्‍ता से बेदखल हुई कांग्रेस फिर से मंथन में जुटी है। लेकिन बड़ा सवाल राहुल गांधी की चुनावी रणनीति पर भी उठ रहे हैं। वह किसी भी चुनाव में ट्रंप कार्ड साबित क्‍यों नहीं हो रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 20 May 2016 05:33 PM (IST)

नई दिल्ली (कमल कान्त वर्मा)। एक के बाद एक मिल रही हार के बाद कांग्रेस एक बार फिर चिंतित है और अपनी हार की वजह काेे तलाशने में जुटी हुई है। इन विधानसभा चुनावों को मिलाकर कांग्रेस की कुछ समय में ही यह दसवीं हार है। धीरे-धीरे हाथ का जनाधार सिमटने लगा है और उसको मिल रही सीटें लगातार कम होती जा रही हैं। मौजूदा विधानसभा चुनावों से पहले असम और केरल में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन चुनाव के बाद वहां भी उसको करारी हार का सामना करना पड़ा हैै।

पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में मिल रही इन हार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शायद यही वजह है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस में एक बड़ी सर्जरी की बात तक कह डाली है। लेकिन यह बड़ी सर्जरी क्या होगी फिलहाल कोई नहीं जानता है। जब-जब कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है तब-तक राहुल की जगह प्रियंका को पार्टी में लाने की सुगबुगाहट भी दिखाई दी है। हालांकि कांग्रेस में राहुल का कद इसके बावजूद भी कम नहीं किया जा सकता है, इस बात को भी सब अच्छी तरह से जानतेे हैं।

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यहां दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2014 के बाद से कांग्रेस गोवा, दिल्ली, असम, केरल, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में करारी हार के बाद सत्ता से बेदखल हो गई है। इस दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर तो साेनिया गांंधी जरूर सामने रहीं थी लेेकिन पार्टी के युवराज के तौर पर राहुल गांधी ने इन सभी राज्यों में कांग्रेस का नेतृत्व किया था। इसका नतीजा सभी के सामने है। फिलहाल कांग्रेस के पास कोई भी तीसरा विकल्प दिखाई नहीं देता है। प्रियंका की बात करें तो उन्होंने कभी भी सक्रिय राजनीति में आने की बात नहीं की है। वह सक्रिय राजनीति में आएंगी, इस बारे में कुछ भी साफ नहीं है। ऐसे में पार्टी के नेतृत्व को लेकर उठ रहे सवाल और पार्टी कार्यकर्ताओं के मन में उठ रही शंकाओं के बीच कांग्रेस एक बार फिर मंथन में जुटी है।

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अपनी दस हार के बाद एक बार फिर कांग्रेस में मायूसी छाई है। इन सभी के पीछे एक बड़ा सवाल बार-बार सामने आता है कि क्या वाास्तव में कांग्रेस को एक नए चेहरेे की तलाश है या क्या राहुल गांधी में वह नेतृत्व क्षमता नहीं है जिसके चलते वह देश की जनता में कांग्रेस के प्रति पहले जैसा विश्वास पैदा नहीं कर पा रहे हैं।

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