लोगों को रेल बजट से ये हैं उम्मीदें
भारतीय रेल में रोजाना लाखों यात्री सफर करते हैं। इन सबकी निगाहें रेल मंत्री सुरेश प्रभु की ओर टिकी हुई हैं, जो आज अपना पहला रेल बजट पेश करेंगे। आम लोगों की रेल मंत्री से बहुत सामान्य की अपेक्षाएं और आकांक्षाएं हैं, यदि इन्हें सुरेश प्रभु पूरा करने में सफल
नई दिल्ली। भारतीय रेल में रोजाना लाखों यात्री सफर करते हैं। इन सबकी निगाहें रेल मंत्री सुरेश प्रभु की ओर टिकी हुई हैं, जो आज अपना पहला रेल बजट पेश करेंगे। आम लोगों की रेल मंत्री से बहुत सामान्य की अपेक्षाएं और आकांक्षाएं हैं, यदि इन्हें सुरेश प्रभु पूरा करने में सफल होते हैं तो वाकई यह रेल बजट लीक से हटकर होगा जैसा मोदी सरकार दावा कर रही है।
कहा जा रहा है कि रेलमंत्री सुरेश प्रभु रेल बजट के जरिए रेलवे को पुरानी जकडऩ से मुक्त कर विकास और आधुनिकीकरण के फास्ट ट्रैक पर डालेंगे। साथ ही उनका प्रयास यात्रियों को सुरक्षित और सुविधाजनक सफर का अहसास कराने का होगा। लेकिन आम जनता रेल मंत्री से क्या उम्मीदें लगाई बैठी है, आइए बताते हैं।
बढ़ाई जाए रेलगाड़ियों की संख्या
आमतौर पर लोगों को रेलवे टिकट खरीदने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। दरअसल, इस समय रेलगाडि़यों की संख्या कम है और उसके अनुपात में यात्रियों की संख्या बहुत ज्यादा। इसलिए दो महीने पहले ही रेलगाडि़यों में सीटें फुल हो जाती हैं। आम जनता चाहती है कि रेलगाड़ियों की संख्या और टिकटों की उपलब्धता बढ़नी चाहिए। इससे महीनों की वेटिंग लिस्ट से निजात मिल सकती है।
मिले अच्छा खाना
लगभग दो महीने पहले कई मुश्किलों के पड़ाव पर कर लोग टिकट खरीदकर रेल में तो सवार हो जाते हैं। लेकिन यह उनकी मुश्किलों का अंत नहीं होता। रेल में आमतौर पर सफर करने वाले करने वाले पवन कुमार कहते हैं कि यहां मिलने वाले भोजन की क्वालिटी इतनी खराब होती है कि खाने का मन ही नहीं करता। लेकिन मजबूरी है, इसलिए खाना पड़ता है। हालांकि रेलवे ने घोषणा की है कि रेल में अब पिज्जा और बर्गर भी ऑर्डर किए जा सकते हैं, लेकिन उन लोगों का क्या जो फास्ट फूड नहीं खाना चाहते। लोगा चाहते हैं कि रेलवे के खाने की गुणवत्ता में सुधार हो।
पीने को मिले स्वच्छ जल
दिल्ली के कई बड़े रेलवे स्टेशनों पर भी स्वच्छ पेय जल उपलब्ध नहीं है। ऐसे में आप दूर-दराज के स्टेशनों की स्थिति की कल्पना कर सकते हैं। इधर ट्रेनों के भीतर भी स्वच्छ जल की समस्या बहुत बढ़ गई है। साल 2003-04 में बोतल बंद पेय जल के लिए ‘रेल नीर’ नामक परियोजना की शुरुआत की गई थी। लेकिन अब इसके दाम भी बाज़ार से नियंत्रित हो गए हैं, जबकि उस समय इसका मूल्य 10 रुपए रखा गया था। रेल में सफर करने वाले आम लोग चाहते हैं कि उन्हें रेलों के अंदर और रेलवे स्टेशनों पर स्वच्छ जल मिले।
ट्रेनों में न हो गंदगी
रेल में सफर करने वाले लोगों को आमतौर पर न चाहते हुए भी गंदे शौचालयों में बैठना पड़ता है। एसी कोच में तो यात्रियों को कुछ राहत रहती है, लेकिन स्लीपर क्लास के डिब्बों की हालत काफी खराब होती है। सीधे डिस्चार्ज और गंदगी, भारतीय रेलवे की एक बड़ी समस्या रही है। साल 2013 में ओडिशा के एक समाजसेवी द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दायर याचिका में सीधे डिस्चार्ज को खुले में मलत्याग जैसा माना। इसकी जगह बॉयो टॉयलेट की मांग की गई. 2013-14 (दिसम्बर तक) 2,774 बोगियों में बॉयो टॉयलेट लगाए जा चुके हैं। लेकिन 51, 288 डिब्बों के मुकाबले ये कुछ भी नहीं है।
किराए में हो कटौती
रेलवे मंत्रालय ने संकेत दे दिया है कि इस बार रेल किराए में कटौती संभव नहीं है। दरअसल, मोदी सरकार के पहले अंतरिम रेल बजट में यात्री किराया भाड़े में 14 प्रतिशत की वृद्धि की गई। इस बजट में कुछ प्रीमियम ट्रेनों को हरी झंडी दी गई, जिनका किराया मांग के आधार पर तय होता है और कभी कभी यह हवाई सफर के बराबर या उससे भी ज्यादा होता है। लोगों को उम्मीद है कि यात्री किराए में कमी हो, हालांकि ऐसा होगा इसकी उम्मीद बहुत कम है।
सुरक्षित हो रेल यात्रा
रेल दुर्घटनाएं लगातार अंतराल पर हो रही हैं। हर दुर्घटना के बाद रेल मंत्रालय कहता है कि वो इस ओर ध्यान देगा, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा। ट्रेनों की टक्कर और रेल पटरियों पर होने वाली दुर्घटनाओं का न रुकना हमेशा से ही एक आम यात्री की चिंता का विषय रहा है। हालांकि रेल मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1960-61 में जहां प्रति दस लाख किलोमीटर पर दुर्घटनाएं की संख्या 5.5 थी। वहीं 2011-12 में यह घटकर 0.13 हो गई, लेकिन इन दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या कम नहीं हो रही है। लोग चाहते हैं कि उनकी रेल यात्रा सुरक्षित हो, इस ओर कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाएं जाएं।
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