ट्रेन संचालन के साथ ही अब किसानी भी करेंगे रेलकर्मी
ट्रेन संचालन के साथ ही अब रेलकर्मी किसानी भी करेंगे। जमीन रेलवे मुहैया कराएगा। अतिक्रमण से बचाने के लिए रेलवे पांच वर्षो के लिए अनुबंध पर अपनी बेशकीमती जमीन तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को देगा। उत्तर रेलवे मुरादाबाद मंडल की लगभग चार सौ हेक्टेयर जमीन अभी खाली पड़ी है। इस पर भूमाफिया की नजर है। कई
मुरादाबाद [अनिल अवस्थी]। ट्रेन संचालन के साथ ही अब रेलकर्मी किसानी भी करेंगे। जमीन रेलवे मुहैया कराएगा। अतिक्रमण से बचाने के लिए रेलवे पांच वर्षो के लिए अनुबंध पर अपनी बेशकीमती जमीन तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को देगा।
उत्तर रेलवे मुरादाबाद मंडल की लगभग चार सौ हेक्टेयर जमीन अभी खाली पड़ी है। इस पर भूमाफिया की नजर है। कई जगह अतिक्रमण के प्रयास भी हो चुके हैं। हरिद्वार व कोटद्वार के इलाके में इस तरह की शिकायतें अधिक हैं। अपनी जमीन को भूमाफिया से बचाने के लिए रेलवे मुख्यालय से मिली गाइड लाइन के तहत इसे तृतीय व चतुर्थ श्रेणी रेलकर्मियों को मामूली लाइसेंस शुल्क पर खेती के लिए देगा। जमीन का अनुबंध अधिकतम पांच वर्षो के लिए किया जाएगा। संबंधित कर्मी अपने परिजनों के सहयोग से इस पर खेती करेगा। आर्थिक रूप से कमजोर कर्मचारी को प्राथमिकता दी जाएगी। एक कर्मचारी को एक हेक्टेअर से अधिक जमीन नहीं दी जाएगी। अनुबंध पूरा होने पर खेती के लिए लाइसेंस जारी किया जाएगा। नवीनीकरण प्रत्येक दो साल में कराना होगा।
अनुबंध की शर्तो के मुताबिक कोई नई योजना लागू होने पर रेलवे संबंधित जमीन को कभी भी वापस ले सकेगा। इस जमीन पर रेलकर्मी किसी तरह का निर्माण नहीं कर सकता है।
सर्विस रिकार्ड में दर्ज होगा ब्योरा
जमीन का लाइसेंस मिलते ही संबंधित कर्मचारी के सर्विस रिकार्ड में जमीन का ब्योरा दर्ज किया जाएगा। जमीन लेने के लिए वही कर्मचारी आवेदन कर सकते हैं जिनकी सेवानिवृत्ति में पांच वर्ष से अधिक समय शेष है। सेवानिवृत्ति के एक वर्ष पूर्व अनुबंध निरस्त कर दिया जाएगा।
डेढ़ सौ हेक्टेयर का अनुबंध पूरा
एडीआरएम हितेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि गाइड लाइन के तहत लगभग डेढ़ सौ हेक्टेअर जमीन पात्र रेलकर्मियों को दे दी गई है। जहां पर जमीन की मांग कम है वहां रेलकर्मी को दो हेक्टेअर तक जमीन दी जा सकती है।