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राजीव हत्याकांड में उम्रकैद काट रही नलिनी पहुंची सुप्रीम कोर्ट

राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद काट रही एस नलिनी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। नलिनी ने अपनी याचिका में कानून के उस प्रावधान को अमान्य घोषित करने की मांग की है जिसके तहत इस हत्याकांड में उम्रकैद पाने वाले सात लोगों को रिहा करने से पहले तमिलनाडु सरकार को केंद्र से सलाह-मशविरा करना जरूरी है। अपनी य

By Edited By: Updated: Mon, 07 Jul 2014 11:10 PM (IST)
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नई दिल्ली। राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद काट रही एस नलिनी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। नलिनी ने अपनी याचिका में कानून के उस प्रावधान को अमान्य घोषित करने की मांग की है जिसके तहत इस हत्याकांड में उम्रकैद पाने वाले सात लोगों को रिहा करने से पहले तमिलनाडु सरकार को केंद्र से सलाह-मशविरा करना जरूरी है।

अपनी याचिका में नलिनी ने अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 435(1) को चुनौती दी है। इसके तहत जिन मामलों की जांच सीबीआइ ने की है, उनमें दोषी ठहराए गए लोगों को पूरी सजा काटने से पहले रिहा करने के लिए राज्यों को केंद्र से सलाह लेना जरूरी है। नलिनी पिछले 23 साल से जेल में है। ट्रायल कोर्ट ने 28 जनवरी, 1998 को नलिनी को मौत की सजा सुनाई थी। लेकिन, तमिलनाडु के राज्यपाल ने 24 अप्रैल, 2000 को उसकी सजा उम्रकैद में बदल दी थी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजीव हत्याकांड के तीन दोषियों मुरुगन, सांतन और पेरारिवलन के मृत्युदंड को उम्रकैद में बदलने के अगले ही दिन गत 19 फरवरी को तमिलनाडु सरकार ने इन तीनों और नलिनी समेत इस केस के सभी सात दोषियों की रिहाई का फैसला कर लिया था। राज्य सरकार के इस निर्णय को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर रोक लगाकर मामला संविधान पीठ के पास भेज दिया था।

नलिनी की याचिका में कहा गया है, 'पिछले 15 सालों में 2200 उम्रकैदियों को जेल में दस साल से भी कम वक्त गुजारने के बावजूद तमिलनाडु सरकार द्वारा समयपूर्व रिहा कर दिया गया। लेकिन, उसे सिर्फ इसलिए सजा पूरी करने से पहले रिहा करने पर विचार नहीं किया जा रहा क्योंकि इस केस की जांच सीबीआइ ने की थी और उसका मामला सीआरपीसी की धारा 435(1)(ए) के तहत आता है। उक्त धारा असंवैधानिक है।'

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