राजीव गांधी हत्याकांड: जानिए, कब क्या हुआ?
राजीव गांधी हत्याकांड में फांसी की सजा पाए तीन दोषियों मुरुगन, संथम और पेरीवलन की सजा को उम्रकैद में तबदील कर दिया। कोर्ट ने माना की इस मामले में दोषियों की दया याचिका के निस्तारण में जरूरत से ज्यादा समय लगा है, जिसकी वजह से उन्हें मानसिक वेदना से जूझना पड़ा है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र की दलीलों
By Edited By: Updated: Tue, 18 Feb 2014 08:09 PM (IST)
नई दिल्ली। राजीव गांधी हत्याकांड में फांसी की सजा पाए तीन दोषियों मुरुगन, संथम और पेरीवलन की सजा को उम्रकैद में तबदील कर दिया। कोर्ट ने माना की इस मामले में दोषियों की दया याचिका के निस्तारण में जरूरत से ज्यादा समय लगा है, जिसकी वजह से उन्हें मानसिक वेदना से जूझना पड़ा है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र की दलीलों को दरकिनार करते हुए दोषियों की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। इस बहुचर्चित मामले में कई मोड़ आए। आइए जानते हैं इस मामले में कब, क्या हुआ।
21 मई 1991 :- तमिलनाडू के श्री पैरंबदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मानव बम से हत्या कर दी गई। मई 22 1991 :- पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया। इस मामले की जांच सीबीआई के अधिकारी डीआर कार्थिकेयन को सौंपी गई। साथ ही घटना स्थल से वहां लगे कैमरे समेत अन्य सबूत भी जुटाए गए। 24 मई 1991 :- सीबीआई ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया। इस मामले की सुनवाई के लिए एमएम सिद्दीकी को जज नियुक्त किया गया।
तस्वीरों में देखिए, राजीव गांधी हत्याकांड में दोषियों की सजा उम्रकैद में बदली 11 जून 1991 :- मामले में पहली गिरफ्तारी भाग्यनाथन और पद्मा के रूप में हुई।
14 जून 1991 :- इस मामले में पहले आरोपी के तौर पर नलीनी मुरुगन और उसके पति मुरुगन को गिरफ्तार किया गया। 29 अगस्त 1991 :- इस मामले में अंतिम आरोपी रंगन की गिरफ्तारी हुई। 20 मई 1992 :- एसआईटी ने कोर्ट के समक्ष आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। 24 नवंबर 1993 :- आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए। 19 जनवरी 1994 :- मामले की सुनवाई कैमरा ट्रायल के रूप में शुरू हई। 29 मई 1994 :- कोर्ट द्वारा लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण, लिट्टे के इंटेलिजेंस प्रमुख पुट्टू अम्मान और इसकी महिला विंग अकीला को भगोडा अपराधी घोषित किया गया। 3 जून 1994 :- भारत ने श्रीलंका को लिट़टे प्रमुख विरप्पन और प्रधानमंत्री की हत्या में शामिल अन्य आरोपियों को प्रत्यर्पित करने की मांग की। 30 दिसंबर 1996 :- राजीव गांधी हत्याकांड की सुनवाई कर रहे जज सिद्दीकी की जगह वी नवीनथम को जज नियुक्त किया गया। सिद़दीक को मद्रास हाईकोर्ट में जज नियुक्त कर दिया गया। 21 जून 1997 :- गवाहों के आधार पर आरोपियों से जिरह शुरू हुई। 5 नवंबर 1997 :- लगभग सात वषरें तक चले मैराथन ट्रायल के बाद इस मामले में कोर्ट ने 28 जनवरी के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया। 28 जनवरी 1997 :- कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में सभी 26 आरोपियों को दोषी करार देते हुए लिट्टे प्रमुख विरप्पन को राजीव गांधी की हत्या का दोषी ठहराया। 11 सितंबर 2007 :- श्रीलंका की रक्षा वेबसाईट ने लिट्टे के आतंकवादी कुमारन पद्माथन [केपी] के थाईलैंड में पकड़े जाने की खबर प्रकाशित की। सीबीआई ने उसके प्रत्यर्पण की मांग की। 12 सितंबर 2007 :- थाईलैंड पुलिस ने केपी कुमारन पद्मनाथन की गिरफ्तारी की बात से इन्कार किया। 11 मई 1999 :- सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की खंडपीठ ने राजीव गांधी की हत्या का दोषी ठहराते हुए निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया। इसमें नलीनी, संथम, मुरुगन, पेरीवलन कर फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए मामले के अन्य दोषी रोबर्ट पायस, जयकुमार, रविचंद्रन की सजा को उम्रकैद में तबदील कर दिया। निचली अदालत ने इन सभी को भी फांसी की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के अन्य 19 आरोपियों को आरोपमुक्त करते हुए बरी कर दिया। वर्ष 2000 :- इस मामले में फांसी की सजा पाए दोषियों ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की। 28 जून 2006 :- लिट्टे ने पहली बार भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या करवाने की बात कबूल की। अगस्त 2011 :- तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए ग्यारह वर्ष बाद सभी दोषियों की दया याचिका को खारिज कर दिया। दया याचिका को दायर करने वाले मुरुगन, संथम, पेरीवलन थे। 30 अगस्त 2011 :- मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में फांसी की सजा पाए मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथम और पेरीवलन उर्फ अरिवू की फांसी पर रोक लगाते हुए अलग आठ सप्ताह के लिए स्थगन आदेश जारी कर दिया। - इसके साथ ही डीएमके नेता एम करुणानिधि, एमडीएमके महासचिव वाइको, द्रविदड कझगम प्रमुख के वीरमानी, पीएमके नेता डाक्टर एस रामदोस, राज्य के सीपीआई और सीपीएम नेता, तमिल नेशनल मूवमेंट के नेता पी नेदूमारन, नाम थमिझार के नेता और फिल्म डायरेक्टर सीमान ने दोषियों की सजा माफ कर उनकी सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की। नलिनी की फांसी की सजा को माफ कर उम्रकैद में तबदील कर दिया गया। राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी देना गलत राजीव गांधी के हत्यारों को नहीं होगी फांसी, सजा उम्रकैद में बदली तो इस वजह से टल रही है राजीव गांधी के हत्यारों की फांसी तस्वीरों में देखें - राजीव की याद में 18 फरवरी 2014 :- सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए और फांसी की सजा पाए मुरुगन, संथम और पेरीवलन की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया। कोर्ट ने इसकी वजह दया याचिका के निस्तारण में हुई देरी को बताया।