370 पर भाजपा की नीति में बदलाव नहीं: राजनाथ
लखीमपुर [अवनीश त्यागी]। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 पर शुरू की बहस को ब्रेक लगाते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पार्टी के पुराने स्टैंड पर ही कायम रहने की बात कही। वहीं रंगराजन समिति की रिपोर्ट को किसान विरोधी बताते हुए नई नीति लागू करने का मुद्दा उछाला। मंगल
By Edited By: Updated: Tue, 03 Dec 2013 07:22 PM (IST)
लखीमपुर [अवनीश त्यागी]। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 पर शुरू की बहस को ब्रेक लगाते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पार्टी के पुराने स्टैंड पर ही कायम रहने की बात कही। वहीं रंगराजन समिति की रिपोर्ट को किसान विरोधी बताते हुए नई नीति लागू करने का मुद्दा उछाला।
मंगलवार को यहां करीब 45 किलोमीटर दूर ग्राम बस्तौली में कर्ज से परेशान हो खुदकशी करने वाले किसान सत्यपाल सिंह के परिवारीजन को सांत्वना व पांच लाख रुपये का चेक देने के लिए पार्टी महासचिव अमित शाह के साथ राजनाथ पहुंचे थे। आमतौर पर नरेंद्र मोदी के पक्ष में खड़े दिखने वाले राजनाथ सिंह कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 पर उनके नजरिये से अलग होकर बोले। उनका कहना था कि 370 के मुद्दे पर पार्टी अपने पुराने विचार को बनाए रखेगी। उसमें बदलाव संभव नहीं क्योंकि भाजपा इस मसले पर लंबे समय से संघर्ष और बलिदान करती आ रही है। अलबत्ता, महिला जासूसी प्रकरण पर राजनाथ ने केंद्रीय गृहमंत्री सुशील शिंदे के रवैये की निंदा करते हुए नरेंद्र मोदी द्वारा जांच समिति बनाने व तीन माह में रिपोर्ट की व्यवस्था को सराहते हुए केंद्र सरकार पर डिप्रेशन में होने का तंज भी कसा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया व राहुल पर बौखलाहट में अनापशनाप बयान देने का आरोप लगाया। पढ़ें : भाजपा चोर नहीं चौकीदार है: राजनाथ तराई क्षेत्र की गन्ना बेल्ट में किसानों के गुस्से को हवा देते हुए उन्होंने केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया। पत्रकारों से बातचीत में राजनाथ के निशाने पर मुख्यमंत्री अखिलेश भी रहे। उन्होंने गन्ना समस्या को गंभीर बनाने और निजी चीनी मिल मालिकान के हित में फैसले लेने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि जब सरकार को ज्यादा चीनी उत्पादन की जानकारी थी तो ब्राजील से दो मिलियन टन चीनी क्यों आने दी? उत्पादन लागत में 23 रुपये वृद्धि की रिपोर्ट होने के बाद भी गन्ना मूल्य क्यों नहीं बढ़ाया? गत पेराई सत्र के बकाया साढ़े 2300 करोड़ का भुगतान क्यों नहीं कराया?
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