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मिशन कश्मीर पर बोले गृहमंत्री राजनाथ सिंह, बिन कश्मीर भारत है अधूरा

घाटी के हालात पर बोलते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत बचाने के लिए दोनों सरकारें गंभीर हैं।

By Lalit RaiEdited By: Updated: Thu, 25 Aug 2016 02:44 PM (IST)
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नई दिल्ली। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के मिशन कश्मीर का आज आखिरी दिन है। जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि बिन कश्मीर भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है। केंद्र सरकार घाटी के हर मुद्दों पर संवेदशील होकर विचार कर रही है। सरकार का मत है कि कोशिशें जमीन पर दिखनी चाहिेए ताकि आम लोगों में भरोसा पैदा हो सके। लेकिन हिंसा और भारत विरोध की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

राजनाथ सिंह ने क्या कहा ?

गृहमंत्री ने कहा कि दो दिन के प्रवास में उन्होंने 20 प्रतिनिधमंडलों के 300 सदस्यों से बातचीत की। सभी लोगों ने एक सुर में कहा कि आम कश्मीरी हिंसा में यकीन नहीं करते हैं। जम्मू-कश्मीर की अवाम घाटी में शांति चाहती है। राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार या राज्य सरकार की समझ पर सवाल उठाने की जरूरत नहीं है। दोनों सरकारें आम कश्मीरियों को लेकर फिक्रमंद हैं।

उन्होंने कहा कि आम कश्मीरियों की समस्या के समाधान के लिए सरकार बहुत जल्द एक नोडल अफसर नियुक्त करेगी। राजनाथ सिंह ने कहा कि बहुत जल्द ही एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल घाटी का दौरा करेगा।जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के लिए 10 हजार एसपीओ की भर्ती की जाएगी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सुरक्षाबलों से संयम बरतने की सलाह दी।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हाल की हिंसा में 4500 से ज्यादा सुरक्षाबल के जवान घायल हुए हैं। वो आम लोगों से अपील करते हैं कि बाढ़ के दिनों में सुरक्षाबलों के काम को न भूलें।

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राजनाथ सिंह ने कहा कि वो पहले भी कह चुके हैं कि कश्मीर के युवाओं के हाथ में कलम, किताब और कंप्यूटर की जरूरत है। उनके हाथों में बंदूक और पत्थर नहीं होने चाहिए। कुछ लोग युवाओं को गुमराह कर रहे हैं जिन्हें चिन्हित करने की आवश्यकता है। राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र का एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल घाटी के दौरे पर आना चाहता है इसके लिए उन्होंने सीएम महबूबा मुफ्ती से पूरी तैयारी करने को कहा है।

महबूबा मुफ्ती ने क्या कहा ?

जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा कि राज्य की 95 फीसद आबादी शांति चाहती है। कुछ लोग हिंसा के रास्ते पर चल रहे हैं। लेकिन उन्हें देश की मुख्य धारा में जोड़ने की जरूरत है। कुछ गुमराह लोग औरतों और बच्चों को ढाल बनाकर सेना और सुरक्षाबलों पर हमला करते हैं। उन्होंने कहा कि पत्थर फेककर या हिंसा के जरिए किसी भी समस्या का समाधान नहीं निकाला जा सकता है। जिन लोगों को लगता है कि उनके साथ न्याय नहीं हो रहा है, वो संविधान के दायरे में अपनी बात रख सकते हैं। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 2010 और 2016 में जो हालात हैं उसमें बुनियादी फर्क है। नाम लिए बिना उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर निशाना साधा और कहा कि संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करने से बचने की जरूरत है।

इससे पहले कल उनसे राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम लोगों ने भी मुलाकात की। गृहमंत्री ने स्पष्ट संदेश दिया कि केंद्र सरकार संविधान के दायरे में बातचीत करने को तैयार है। सरकार आम कश्मीरियों के सुख-दुख में बराबर की भागीदार है। लेकिन हिंसा की इजाजत नहीं दी जा सकती है। गृहमंत्री का ये बयान ट्विटर पर भी सुर्खियां बटोर रहा है।

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