आतंकवाद पर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाएंगे गृहमंत्री राजनाथ सिंह
सार्क सम्मेलन के दौरान भले ही भारत पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता न हो लेकिन इसका असर पाकिस्तान को आईना दिखाने पर नहीं पड़ेगा।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। गृह मंत्री राजनाथ सिंह अगले हफ्ते अपनी इस्लामाबाद यात्रा का भरपूर इस्तेमाल आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को आईना दिखाने के लिए करेंगे। इस दौरान सिंह सार्क देशों के गृह मंत्रियों के साथ होने वाली बैठक में हिस्सा लेंगे, परंतु पाकिस्तान के आतंरिक सुरक्षा मंत्री के साथ उनकी कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी।
लेकिन इससे पाकिस्तान के आतंकी मंसूबों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करने की उनकी कोशिशों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सार्क देशों की इस बैठक में वह दक्षिण एशिया में आतंकवाद को सरकारी नीति के तौर पर बढ़ावा देने की पाकिस्तान सरकार की कोशिशों पर हमला बोलने में कोई संकोच नहीं करेंगे। आतंकवाद को प्रश्रय देने के लिए वह पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक , अगर पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर के मुद्दे पर हाल के दिनों में अडि़यल रुख नहीं अपनाया गया होता तो निश्चित तौर पर इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के गृह मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता होती। इससे पठानकोट हमले के बाद रिश्तों में जो ठंडापन आया है, उसे भी दूर करने में मदद मिलती। लेकिन पाकिस्तान के रुख पर 23 जुलाई, 2016 को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बयान देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल पड़ोसी देश के साथ कोई द्विपक्षीय बातचीत संभव नहीं है।
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कश्मीर में मारे गए आतंकी बुरहान वानी को जिस तरह से पीएम नवाज शरीफ ने शहीद बताने की कोशिश की है, उसे भारत ने काफी संजीदगी से लिया है। सुषमा ने भी अपने बयान में शरीफ को आड़े हाथों लेते हुए कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की इच्छा को दिवास्वप्न करार दिया था।
सूत्रों के मुताबिक, राजनाथ सिंह ने इसके पहले सितंबर, 2014 में नेपाल की राजधानी काठमांडू में हुई सार्क देशों की गृह मंत्रियों की बैठक में भी हिस्सा लिया था। उस बैठक में गृह मंत्रियों के बीच बनी सहमति को शीर्षस्तरीय वार्ता के बाद जारी घोषणा पत्र में भी जगह दी गई थी। नवंबर, 2014 को जारी इस घोषणा पत्र में सभी राष्ट्र प्रमुख ने आतंकवाद से जुड़ी हर गतिविधि की आलोचना की थी और साथ ही इसे रोकने के लिए सभी सदस्य देशों के बीच आपसी तालमेल व सहयोग बढ़ाने को लेकर सहमति बनी थी।
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भारत इस घोषणापत्र के आधार पर ही पाकिस्तान को घेर सकता है कि किस तरह से पठानकोट हमले के बाद उसने न तो प्रमुख अपराधियों पर नकेल कसी और न ही भारत की एनआइए को पाकिस्तान में जांच करने की इजाजत दी गई। हाल के दिनों में पाकिस्तान सरकार की तरफ से आतंकियों को मदद देने का मुद्दा सार्क के दो अन्य देश बांग्लादेश और अफगानिस्तान भी उठा चुके हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान पर भारत के हमले को लेकर इन दोनों देशों से मदद मिलती है या नहीं।