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सैलानियों में ताज को देखने की हसरतें हो रही हैं कम

दुनिया को दीवाना बनाने वाले ताज का आकर्षण अब शायद ढल रहा है। इसे देखने की हसरतें कम हो रही हैं। वर्ष 2013 में सैलानियों की आमद के आंकड़े खुद ये गवाही देते नजर आते हैं। इस बार न आर्थिक मंदी थी, न ही कोई बड़ी आतंकी घटना या बवाल फिर भी सैलानियों की आमद अप्रत्याशित रूप से घटी है। इससे हर साल आमद बढ़ने का त

By Edited By: Updated: Wed, 01 Jan 2014 12:08 PM (IST)

आगरा [जासं]। दुनिया को दीवाना बनाने वाले ताज का आकर्षण अब शायद ढल रहा है। इसे देखने की हसरतें कम हो रही हैं। वर्ष 2013 में सैलानियों की आमद के आंकड़े खुद ये गवाही देते नजर आते हैं। इस बार न आर्थिक मंदी थी, न ही कोई बड़ी आतंकी घटना या बवाल फिर भी सैलानियों की आमद अप्रत्याशित रूप से घटी है। इससे हर साल आमद बढ़ने का ताज का रिकार्ड तो दरका ही, पर्यटन उद्योग के लिए खतरे की घंटी भी बज गई है। ऐसे में जरूरत बताई जा रही है कि ताज के साथ नए आकर्षण विकसित किए जाएं।

पर्यटन सूत्रों का कहना है कि पर्यटकों की आमद में गिरावट किसी खास वजह से होती है। वर्ष 2009 में विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के चलते ताजनगरी में सैलानियों की संख्या घटी थी। इसके बाद वर्ष 2012 तक हर साल पर्यटकों की आमद में इजाफा हो रहा है। परंतु इस साल ऐसी कोई वजह नहीं थी। ऊपर से सूबे की सरकार पर्यटन को अपनी प्राथमिकता में शामिल किए है। नए आकर्षण विकसित करने और सुविधाएं मुहैया कराने को नित नई कसरतें हो रही हैं। परंतु इसके बाद बावजूद सैलानियों की आमद में कमी की शुरुआत जनवरी में ही हो गई थी। जनवरी में बीते साल के मुकाबले छह हजार सैलानी कम आए।

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इसके बाद फरवरी और मार्च में आमद बढ़ी, लेकिन गर्मियां शुरू होते ही लगातार दो महीने आमद फिर घटी। जून में सैलानी थोड़े से बढ़े, लेकिन बीते अक्टूबर तक आमद पिछले साल के मुकाबले कम ही रही। नवंबर में भारतीय पर्यटकों की आमद तो बढ़ी, लेकिन विदेशी सैलानियों की आमद कम हो गई।

दिसंबर में ढही उम्मीदें :

पर्यटन उद्यमी दिसंबर से उम्मीद लगाए थे, सैलानियों की आमद के लिहाज से यह माह सबसे अधिक अहम होता है। लेकिन दिसंबर में भारतीय और विदेशी, दोनों पर्यटक बीते साल के मुकाबले कम आए।

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