आरक्षण पर कांग्रेस में भी सवाल!
आरक्षण को लेकर समिति गठित करने के आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के सुझाव के बाद कांग्रेस नेताओं ने एक बार फिर इसे आर्थिक आधार पर किए जाने की वकालत की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली ।बिहार चुनाव से पहले आरक्षण पर रणनीतिक चुप्पी साधने के निर्देश के बावजूद कांग्रेस में इस पर बहस तेज हो गई है। आरक्षण को लेकर समिति गठित करने के आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के सुझाव के बाद कांग्रेस नेताओं ने एक बार फिर इसे आर्थिक आधार पर किए जाने की वकालत की है। हालांकि, पार्टी का शीर्ष नेतृत्व आरक्षण को लेकर मौजूदा नीति में परिवर्तन के खिलाफ है। इस संबंध में पार्टी ने आरक्षण को लेकर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिखित बयान को दोबारा से पार्टी नेताओं को भेजा है।
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वहीं, आरक्षण को लेकर शीर्ष नेतृत्व की हिदायत के बावजूद कांग्रेस नेताओं ने इसमें बदलाव लाने की बात कही है। आरक्षण को लेकर बदलाव की मुहिम के समर्थक युवा नेताओं का एक वर्ग इस लड़ाई को पार्टी के अंदर व बाहर दोनों जगह लड़ने की तैयारी में है। सोमवार को पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने आरक्षण प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसका सबसे बेहतर एक ही तरीका है। आरक्षण के आधार को जाति, समुदाय से हटाकर आर्थिक कर दिया जाए। उन्होंने इस मामले में संघ प्रमुख के बयान से सहमति भी जताई। वहीं मथुरा में पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के एक दिवसीय चिंतन शिविर में भाग लेने आए पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री व कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने आरक्षण पर अपनी राय रखते हुए कहा कि इस मामले को नए सिरे से देखने की जरूरत है।
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जाति-धर्म से ऊपर जरूरत वाले लोगों तक इसे पहुंचाने के लिए पुनर्विचार समय की मांग है। हालांकि, कांग्रेस आलाकमान पार्टी नेताओं की इस 'लाईन' से सहमत नही है। पार्टी ने इस मामले में राय स्पष्ट करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का पूर्व लिखित बयान संचार माध्यमों में पार्टी का पक्ष रखने वाले नेताओं को भेजा गया है। बयान में मौजूदा आरक्षण प्रक्रिया में किसी भी बदलाव को अस्वीकार करते हुए, इसे पार्टी की आधिकारिक राय बताया गया है।
गौरतलब है कि सोनिया का यह लिखित बयान पार्टी संगठन महासचिव जर्नादन द्विवेदी के उस बयान के बाद आया था, जिसमें उन्होंने आरक्षण से दलितों तक पूरा लाभ न मिलने का मुद्दा उठाते हुए, इस पर सवाल उठाए थे। उन्होंने राहुल गांधी को दिए अपने सुझाव में कहा था कि भविष्य का नेता वही होगा जो समाज को जाति व धर्म के बंधन से आजाद करेगा। आरक्षण का आधार बदलना उस दिशा में एक कदम हो सकता है।
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इसके बाद से कांग्रेस में कई नेता आरक्षण प्रक्रिया पर असहमति जता चुके हैं। पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरक्षण को लंबे समय की समस्या का समाधान करने में अक्षम बताते हुए इस पर पुनर्विचार की आवश्यक्ता जताई थी। वहीं, युवा कांग्रेसी जितिन प्रसाद ने भी आरक्षण को लेकर पार्टी नीति में परिवर्तन की आवश्यक्ता बताते इस पर नए निर्णय की आवश्यकता जताई थी। प्रसाद ने कांग्रेस को समाज के व्यापक हित के लिए हिंदू कोड बिल, छुआछूत, सूचना के अधिकार व नरेगा जैसी क्रांतिकारी निर्णय लेने वाली पार्टी बताते हुए आरक्षण पर 'साहसी' निर्णय लेने का सुझाव दिया था।