संदीप राजवाड़े, दिल्ली। 

डिजिटल अरेस्ट या डिजिटल कैद या वीडियो कॉल के जरिए आप पर नजर रखकर ब्लैकमेलिंग करना पैसा ठगने का नया साइबर क्राइम का तरीका बन गया है। साइबर क्रिमिनल लोगों को अनजान नंबर से कॉल और वीडियो कॉल करते हैं, फर्जी सीबीआई, कस्टम, साइबर सेल व पुलिस अधिकारी बनकर ड्रग्स, कोरियर-पार्सल, फर्जी पासपोर्ट जैसे केस में फंसाने के नाम पर ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं। इस तरह डिजिटल अरेस्ट का शिकार पढ़े-लिखे लोग भी हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इनकी धमकियों से डरने की जरूरत नहीं है। इनके झांसे में आने के बजाय तत्काल पुलिस को इसकी सूचना देनी चाहिए।

केस 01-कोरियर में ड्रग्स मिलने का झांसा देकर महिला को किया डिजिटल अरेस्ट, 12 लाख ठगे

दिल्ली- एनसीआर के इंदिरापुरम की एक महिला को 14 मार्च को अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने अपने आप को कस्टम अधिकारी बताकर कहा कि मुंबई से ताइवान भेजे जा रहे कोरियर में ड्रग्स पाया गया है, इसमें आपका नाम लिखा है। डरा-धमका कर उन्हें स्काइप पर वीडियो कॉल के दौरान कैमरे से दो घंटे तक नहीं हटने दिया गया। खाते की जांच-पड़ताल के नाम पर बैंक से 12 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए गए। पीड़ित महिला ने घटना के बाद पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। 

केस 02- महिला अधिकारी को डरा-धमकाकर दो दिन तक रखा ऑनलाइन कैद, ठग लिए 56 लाख

दिल्ली- एनसीआर के ही वंसुधरा की रहने वाली केंद्रीय सरकारी विभाग की एक महिला अधिकारी को 23 फरवरी को कॉल आया। खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताते हुए फोन करने वाले ने कहा कि आपके नाम से एक कूरियर इराक भेजा जा रहा है। इसमें कुछ एक्पायर्ड पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड, लैपटॉप के साथ ड्रग्स भी मिला है। इसकी जानकारी मुंबई नारकोटिक्स विभाग को दी जाएगी। उसने बचने के नाम पर महिला को स्काइप कॉल के जरिए जुड़ने के लिए कहा और दो दिन तक धमकाते रहे। इसके बारे में परिवार तक को बताने को मना किया। गिरफ्तारी से बचाने की बात कहकर उनके बैंक खाते और एफडी तुड़वाकर दो दिन में 56 लाख रुपए ऐंठ लिए। कॉल बैक करने पर उनके नंबर बंद आने लगे तो महिला ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई।

केस 03- बेटे को दुष्कर्म केस से बचाने का झांसा देकर पिता से ट्रांसफर करा लिए साढ़े 12 लाख 

मार्च के पहले हफ्ते में गाजियाबाद के राजनगर के एक व्यक्ति को अनजान नंबर से आए वाट्सएप कॉल में कहा गया कि आपके बेटे को दुष्कर्म के केस में पकड़ा गया है। यह सुनकर पिता घबरा गया। वाट्सएप कॉल करने वाले ने डीपी में पुलिस अधिकारी की फोटो लगा रखी थी। उसने वीडियो कॉल के दौरान पिता को आधे घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा और कॉल नहीं काटने दिया। उसने कहा कि लिखा-पढ़ी हो चुकी है, कम से कम 20 साल की सजा होगी। फोन करने वाले ने कहा कि अगर बेटे को गिरफ्तारी से बचाना चाहते हो तो 15 लाख रुपए लगेंगे। पिता ने अलग-अलग बैंक खाते से कुल 12.70 लाख रुपए ट्रांसफर किए। आरोपी ने उसके बाद फोन कॉल काट दिया। पिता कुछ समय तक सदमे में रहे और फिर परिवारवालों को इसकी जानकारी दी। अपने बेटे को कॉल लगाया तो उसने बताया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है, तब जाकर उन्हें अपने साथ हुई ठगी के बारे में पता चला। 

केस 04- सीबीआई का फर्जी अधिकारी- ऑफिस दिखा बुजुर्ग महिला को डराया और ऐंठे 35 लाख

दिल्ली में हाल ही एक बुजुर्ग महिला को डिजिटल अरेस्ट कर डराकर उनके खाते में जमा पूरी राशि ठग ली गई। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल यूनिट ने ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा किया। पुलिस के अनुसार 65 साल की बुजुर्ग महिला को अनजान नंबर से कॉल आया। उन्हें कहा गया कि आपका एक ऑनलाइन पार्सल मिला है, जिसमें फर्जी पासपोर्ट और दस्तावेज के साथ ड्रग्स भी मिला है। महिला को इस कॉल पर संदेह होने पर उन्होंने अपने आपको सीबीआई का अधिकारी बताया। विश्वास दिलाने के लिए स्काइप के जरिए वीडियो कॉल से जोड़ा। वीडियो में सीबीआई का नकली ऑफिस व लोगो लगा हुआ था। तीन लोगों ने सीबीआई अधिकारी बनकर यकीन दिलाया कि उनके नाम से एक ड्रग्स वाला पार्सल पकड़ा गया है। उनके बैंक खातों की जांच करनी होगी, इसका झांसा देते हुए उन्होंने सभी अकाउंट की सारी जानकारी लेकर 35 लाख रुपए ट्रांसफर कर लिए। आरोपियों को यह भी जानकारी थी कि महिला के पास पैसा है और उनके पैसे शेयर मार्केट में भी लगे हुए हैं। ठगी के बाद महिला ने अपने रिश्तेदारों को यह बात बताई और पुलिस को सूचना दी। 

(फोटो- कोलकाता पुलिस द्वारा डिजिटल अरेस्ट को लेकर जारी की गई एडवाइजरी) 

केस 05- मेडिकल छात्रा से ठगे आठ लाख, आधार नंबर का गैरकानूनी काम में इस्तेमाल का दिया झांसा 

पुलिस के अनुसार गाजियाबाद में मेडिकल की पढ़ाई कर रही छात्रा को 21 फरवरी को दोपहर करीब दो बजे एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल रिसीव करने पर एक लड़की ने अपने आपको फेडेक्स कोरियर कंपनी की कर्मचारी बताते कहा कि छात्रा के आधार का इस्तेमाल मनीलॉन्ड्रिंग में किया गया है। इस मामले में आप पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। छात्रा ने कहा कि उसने ऐसा कोई काम नहीं किया है तो उसे झांसा दिया गया कि आप इसकी शिकायत मुंबई साइबर सेल में कर सकती हैं। कॉल करने वाली लड़की ने मुंबई साइबर सेल के सब इंस्पेक्टर से बात कराने के नाम पर छात्रा को स्काइप पर जोड़ लिया। इसके बाद फर्जी साइबर सेल अधिकारी ने छात्रा से उसके आधार कार्ड, फोटो के साथ अन्य बैंक डिटेल्स लिए और कहा कि केस हल होने तक आपको सर्विलांस में रखा जाएगा। इससे छात्रा काफी डर गई। अपराधी ने कानूनी पचड़े से बचाने के नाम पर मामला निपटाने की बात कही। छात्रा को झांसे में लेकर 8,17, 297 रुपए अपने खाते नें ट्रांसफर करा लिए। पैसे लेने के बाद इस केस में उसका नाम न फंसाने की बात कहते हुए नकली कागज भी दिखाए गए। बाद में छात्रा को अपने साथ हुई ठगी का एहसास हुआ तो उसने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। 

केस 06- नोएडा की आईटी इंजीनियर को सात घंटे रखा डिजिटल कैद, फोन काटने पर जेल की धमकी

नोएडा सेक्टर- 45 में रहने वाली महिला आईटी इंजीनियर को कुछ दिनों पहले अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने अपने आपको फेडेक्स कोरियर सर्विस का कर्मचारी बताकर कहा कि आपके नाम से एक पार्सल ताइवान भेजा जा रहा है। इस पार्सल को कस्टम विभाग ने मुंबई एयरपोर्ट पर रोक लिया है, इसके अंदर चार फर्जी पासपोर्ट, कागजात के साथ नशीले पदार्थ मिले हैं। इसे लेकर आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, आपको गिरफ्तार किया जाएगा। कॉल करने वाले ने मुंबई पुलिस अधिकारी से बात कराने की बात कहते हुए स्काइप के जरिए वीडियो कॉल से जोड़ा। इसके बाद पुलिस की नकली वर्दी पहने हुए अधिकारी ने उसे सात घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा। धमकी भी दी कि अगर कॉल काटा तो उसे तत्काल गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उसके साथ परिवारवालों को भी जेल जाना पड़ेगा। इसके बाद जांच- पड़ताल के नाम पर महिला के बैंक खाते की जानकारी ली गई। डराने-धमकाने से महिला ने नकली पुलिस अधिकारी के बताए नंबर पर अपने खाते से 3.75 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद और पैसे ट्रांसफर करने का दबाव डाला तो महिला को ठगी का संदेह हुआ और उसने पुलिस से शिकायत की।

पढ़े-लिखे ज्यादा शिकार, फर्जी पुलिस-सीबीआई अधिकारी बनकर दे रहे झांसा

दिल्ली-एनसीआर समेत देश के अनेक शहरों में पिछले कुछ दिनों से साइबर क्राइम के नए तरीके डिजिटल अरेस्ट के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। डराकर-धमकाकर, झूठे मामले में फंसाने या गिरफ्तार करने, परिवारवालों का अपहरण व जान से मारने की धमकी देकर बड़ी आसानी से लाखों रुपए अपने खातों में ट्रांसफर करा रहे हैं। ये शातिर अपराधी सीबीआई, कस्टम, नारकोटिक्स, पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को इस कदर डराते हैं कि लोग इन्हें पैसे देने को मजबूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं ये नकली ऑफिस, नकली अधिकारी, नकली वर्दी के साथ नकली सामान व बैंक डिटेल्स व आधार- फोन से जुड़ी जानकारी का झांसा देकर आपको विश्वास दिलाते हैं। साइबर विशेषज्ञों व पुलिस अधिकारियों का कहना है कि भूलकर भी इस तरह के झांसे में न आएं। ये आपके बारे में कुछ जानकारी या बैंक से जुड़े कुछ डिटेल्स बताकर आपको डराते हैं कि ये आपके बारे में सबकुछ जानते हैं। वास्तव में ऐसा नहीं होता है। ये सोशल मीडिया प्रोफाइल या फोन कैमरा एक्सेस करके आपको डराने की कोशिश करते हैं। लोग जागरुकता दिखाएं और ऐसे कॉल को तत्काल काट दें और मोबाइल बंद कर दें। पुलिस को जितनी जल्दी हो सके सूचना दें।  

तीन स्टेप बचा सकते हैं, इस तरह के फ्रॉड से, डरे नहीं, किसी को तत्काल बताएं और पुलिस को सूचना दें- डीसीपी हेमंत तिवारी, दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस की स्पेशल यूनिट इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) के डीसीपी हेमंत तिवारी ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इन मामलों में फ्रॉड से बचने के लिए तीन स्टेप फॉलो करना चाहिए, पहला स्टेप बिल्कुल नहीं डरना है। कोई भी अनजान नंबर से कॉल या वीडियो कॉल रिसीव करने पर किसी भी तरह की धमकी-डराने या केस में फंसाने की बात पर नहीं डरे। तुंरत कॉल काट दें और वह नंबर ब्लॉक करें। इसका असर यह होगा कि ऐसे क्रिमिनल आपके नहीं डरने के कारण दोबारा कॉल नहीं करेंगे और फ्रॉड नहीं कर पाएंगे। दूसरा स्टेप यह करना चाहिए कि ऐसे कॉल या धमकी आने पर तत्काल किसी को बताएं। वह आपके परिवार का कोई सदस्य, दोस्त, सहकर्मी, ड्राइवर, नौकर व कर्मचारी या कोई भी हो सकता है। कॉल को काटने के बाद तत्काल किसी से यह बात शेयर करें, इसका साइकोलॉजिकल असर यह होता है कि बात बताने से आपका स्ट्रेस व डर कम हो जाएगा। इसके साथ ही आप ऐसे फर्जी कॉल को लेकर आप सोच-समझ पाएंगे कि यह फ्रॉड करने का तरीका है। अब तक डिजिटल अरेस्ट के जितने भी केस आए हैं, उनमें से करीबन 100 फीसदी केस में लोगों ने ऐसे कॉल आने पर किसी को नहीं बताया न शेयर किया और फ्रॉड का शिकार हो गए। तीसरा स्टेप यह है कि आपने कोई गलती नहीं की है, ऐसे फर्जी कॉल आने पर आप पुलिस को तत्काल सूचना दें। ऐसे केस में चाइल्ड पोर्नोंग्राफी, कोरियर-पार्सल में ड्रग्स, मनी लॉन्ड्रिंग, संदिग्ध लेनदेन, दुष्कर्म की झूठे मामले समेत अन्य केस में कस्टम, सीबीआई, ईडी, पुलिस, साइबर सेल के अधिकारी बनकर फर्जी मामलों में फंसाने-गिरफ्तारी का झांसा दिया जाता है। लोग डरकर फंस जाते हैं और उन्हें पैसे दे देते हैं। पुलिस या कोई भी जांच एजेंसी इस तरह कॉल या वीडियो कॉल नहीं करती है। इसे लेकर लोगों को सतर्क होना होगा। 

डिजिटल अरेस्ट का मतलब- वीडियो कॉल- कैमरे के जरिए नजर रख ब्लैकमेलिंग करना 

साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार डिजिटल अरेस्ट या ऑनलाइन कैद का मतलब किसी तरह कानूनी गिरफ्तारी से नहीं है। इसका मतलब होता है कि साइबर क्रिमिनल फ्रॉड करने के लिए वीडियो कॉल व कैमरे के जरिए सामने वाले पर नजर रखते हैं, किसी झूठे केस में फंसाने की धमकी देते हुए डरा-धमकाकर ब्लैकमेलिंग करते हुए पैसे ऐंठते हैं। इस दौरान वे मोबाइल कैमरे का एक्सेस लेकर या स्काइप कॉल से जोड़कर आप पर पैसे ट्रांसफर करने तक नजर रखते, मोबाइल बंद नहीं करने देते हैं और अपनी हर बात मनवाते रहते हैं, इसे ही डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे किसी भी कॉल या झूठी धमकी को लेकर डरे नहीं, बल्कि तत्काल कॉल काट दें, मोबाइल बंद करें और पुलिस को सूचना दें। 

पुलिस या जांच एजेंसी ऐसे वीडियो कॉल नहीं करती है- पूर्व एसपी, यूपी साइबर सेल  

उत्तर प्रदेश साइबर सेल के पूर्व प्रभारी व साइबर एक्सपर्ट प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट इन दिनों साइबर क्रिमिनल का सबसे आसान व नया तरीका हो गया है, लोगों से पैसा ऐंठने का। वे लोगों को झांसा देते हुए आसानी से डरा-धमका रहे हैं और नकली वर्दी- ऑफिस दिखाकर लोगों को शिकार बना रहे हैं। पहले तो लोगों को समझना होगा कि कोई भी जांच एजेंसी इस तरह से वीडियो कॉल या कॉल करके आपको धमकी या फंसाने की जानकारी नहीं देती है। ये साइबर क्रिमिनल आपकी प्रोफाइल पर कुछ दिन नजर रखते हैं। आपको अनजान नंबर से कॉल करके अलग-अलग मामलों में फंसाने की बात कहते हुए डराते हैं। अगर लगता है कि आप डर गए हैं तो वे आपको अपनी गिरफ्त में लेना शुरू करते हैं। यह पूरी तरह से माइंड गेम है। उन्हें जैसे ही लगने लगा कि आप डर गए हैं तो वे वीडियो कॉल से जोड़ते हैं। आपके मोबाइल या लैपटॉप कैमरे का एक्सेस लेकर आप पर नजर रखते हैं। आपके घर या आपके आसपास जो चीजें हैं, उसे वे बड़ी आसानी से बता देते हैं, सामने वाले को भी लगता है कि इसे कैसे यह सब पता है। वे डरा-धमकाकर आपको कुछ समय या दिन तक वीडियो व फोन के जरिए अपनी कैद में रखते हैं, वे आप पर नजर रखते हैं और बैंक से जुड़ी जानकारी लेते हैं। लोग भी फर्जी मामले में फंसने के डर से बचने के लिए उन्हें मुंह मांगा पैसा ट्रांसफर कर देते हैं। 

पूर्व एसपी त्रिवेणी का कहना है कि लोगों को अलर्ट होना होगा, सबसे बड़ा उपाय यही है कि आप ऐसे झांसे में न आएं। आप इन्हें जितना रिस्पांड करेंगे, वे उतना ही आपको फंसाते जाएंगे। ऐसे कॉल आने पर तुंरत बंद कर दें और नंबर ब्लॉक कर पुलिस को सूचना दें। इनके द्वारा बोले गए किसी भी लिंक व एप को डाउनलोड न करें। 

सतर्क रहने से बच सकते हैं, धमकी-झांसे में न आएं- साइबर एक्सपर्ट आशीष सक्सेना

एकेएस इंस्टीट्यूट ऑफ साइबर टेक्नालॉजी के चेयरमैन और साइबर एक्सपर्ट आशीष सक्सेना बताते हैं कि इन दिनों साइबर अरेस्ट, ऑनलाइन किडनैपिंग व वीडियो अरेस्टिंग जैसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। यह घटनाएं पूरी दुनिया में हो रही हैं। यह साइबर क्राइम का नया तरीका है और बड़ी आसानी से लोग इसका शिकार भी हो रहे हैं। इनसे बचने का सबसे बड़ा उपाय है, आपकी सतर्कता। वे लोगों के प्रोफेशन व प्रोफाइल पर नजर रखते हैं। कुछ मामलों में मोबाइल में अनजान लिंक व एप भेजकर आपके मोबाइल व डेटा का एक्सेस ले लेते हैं, इससे उन्हें आपके संपर्क नंबर, डेटा व पेशे की जानकारी मिल जाती है। इसके बाद वे आपको नकली पुलिस, सीबीआई, ईडी, आईटी, कस्टम, डीआरआई समेत अन्य जांच एजेंसी के नाम से कॉल व वीडियो कॉल करके कोरियर में ड्रग्स मिलने, फर्जी पासपोर्ट मिलने, बैंक के खाते में संदिग्ध लेन-देने होने जैसे अलग-अलग मामलों में फंसाने की धमकी देते हुए झांसे में लेते हैं। 

साइबर एक्सपर्ट सक्सेना का कहना है कि ऐसे कॉल व वीडियो कॉल को लेकर बिल्कुल न डरें। अगर आपने कॉल रिसीव कर लिया है तो उनकी धमकी या झांसे में न आएं। किसी भी तरह के लिंक या स्काइप कॉल का एक्सेस न दें। मोबाइल बंद कर दें और पुलिस या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें। 

डिजिटल अरेस्ट- डीपफेक जैसे साइबर क्राइम के लिए अलग कानून की जरूरत है- साइबर एक्सपर्ट दुग्गल 

साइबर लॉ एक्सपर्ट व सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील पवन दुग्गल बताते हैं कि ऑनलाइन किडनैपिंग, ऑनलाइन अरेस्ट या डिजिटल अरेस्ट जैसे केस में बड़ी आसानी से लाखों रुपए की ठगी होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है लोगों का डर। लोग पुलिस, सीबीआई जैसे नाम सुनते ही डर जाते हैं। पिछले कुछ दिनों में इस तरह के केस बहुत बढ़े हैं। किसी को ड्रग्स तो किसी को आतंकी गतिविधियों में लेन-देन व मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर डराने-धमकाने वाले कॉल किए जा रहे हैं। 

दुग्गल ने बताया, हाल ही मेरे पास एक केस आया जिसमें एक व्यक्ति से कहा गया कि उसके बेटे को दुष्कर्म मामले में गिरफ्तार किया गया है। कानूनी झमेले से बचाने के लिए पैसे मांगे। उस व्यक्ति ने कॉल काटने के बाद मुझे फोन किया तो मैंने उसे बताया कि यह फर्जी है, सबसे पहले अपने बेटे को कॉल करिए। 

उन्होंने कहा कि भारत में आईटी एक्ट में साइबर क्राइम के नए तरीकों को लेकर किसी तरह की सजा का प्रावधान ही नहीं है। अभी संशोधित हो रहे आईटी एक्ट में भी डिजिटल अरेस्ट जैसे किसी शब्द का उल्लेख नहीं है, न ही इसके लिए किसी सजा का प्रावधान है। ऐसी घटना में पुलिस अन्य धाराओं में ही मामला दर्ज कर सकती है, जो उतने सख्त व प्रभावशील नहीं कि इस अपराध को रोक पाएं। 

साइबर एक्सपर्ट दुग्गल का कहना है कि फोन हैक होना एक अलग मामला है, इसे लेकर लोगों को अलर्ट रहना चाहिए, कई केस में डेटा - मोबाइल हैक होने की घटना सामने आ चुकी है। किसी भी अनजान लिंक या एप को डाउनलोड नहीं करना चाहिए। लोग लालच, लॉटरी व ऑफर के चक्कर में अनजान लिंक को क्लिक कर देते हैं। इस मामले में पहचान का यह तरीका है कि अगर आपके मोबाइल में एक-दो घंटे में किसी न किसी कॉल आता है, और किसी दिन 4-5 घंटे कॉल नहीं आए तो चेक करना चाहिए। दूसरे मोबाइल से अपने नंबर पर कॉल लगाना चाहिए, उस दौरान भी आपके मोबाइल की रिंग नहीं बजी तो मतलब है कि किसी ने क्लोन कर लिया है। इसके अलावा अगर आपको मोबाइल या सोशल मीडिया अकाउंट में कुछ आपत्तिजनक कंटेंट- फोटो अचानक आने लगे तो जांच करनी चाहिए। इसके लिए पहले तो अपने मोबाइल का बैकअप ले लेना चाहिए और फोन को फॉर्मेट करें। सिर्फ एक बार नहीं बल्कि सात बार मोबाइल को फॉर्मेट करना चाहिए। 

दुग्गल ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट के मामलों में यह लोगों को समझना होगा कि कोई भी जांच एजेंसी ऐसे वीडियो कॉल करके तो नहीं बताती है न ही आपको डिजिटल अरेस्ट कर पैसे की मांग करती है। मोबाइल में आने वाले किसी भी लिंक या एप को लिंक या एक्सेस करने से बचें। अगर ऐसे कॉल रिसीव कर लिए हैं तो फोन को बंद कर दें। पुलिस को सूचना दें और समझदारी दिखाते हुए अपने परिवार व परिचित से इस बारे में तत्काल बात करें।