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'आरएसएस को राम मंदिर बनाने का अधिकार नहीं'

राष्रट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) अथवा किसी ऐसे दल को अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाने का अधिकार नहीं है जो उन्हें भगवान नहीं केवल आदर्श महापुरुष की मान्यता देता हो। संघ भी आर्य समाज की तरह राम को आदर्श मनुष्य ही मानता है। ऐसे लोगों को हिंदू समाज अपने आराध्य का मंदिर बनाने की अनुमति नहीं दे सकता। द्व

By Edited By: Updated: Tue, 26 Mar 2013 08:46 AM (IST)

राजीव सोनी, भोपाल। राष्रट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) अथवा किसी ऐसे दल को अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाने का अधिकार नहीं है जो उन्हें भगवान नहीं केवल आदर्श महापुरुष की मान्यता देता हो। संघ भी आर्य समाज की तरह राम को आदर्श मनुष्य ही मानता है। ऐसे लोगों को हिंदू समाज अपने आराध्य का मंदिर बनाने की अनुमति नहीं दे सकता।

द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य जगद्गगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने एक विशेष मुलाकात में कहा कि संत समाज भगवान राम को अपना आराध्य मानता है, जबकि आरएसएस के लिए वह केवल राष्ट्रीय महापुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम भर हैं। ये लोग तो मंदिर में राम की प्रतिमा लगाएंगे, भगवान की विग्रह (मूर्ति) नहीं। हम तो अपने इष्ट की मूर्ति को प्राणवान मानकर यह ख्याल रखते हैं कि उन्हें भूख, जाड़ा और गर्मी भी लगती है और इसी मान्यता से उनका पूजन-अर्चन करते हैं। शंकराचार्य ने कहा कि संघ के पूर्व सर संघ चालक माधव सदाशिव गोलवलकर ने अपनी विचार नवनीत नामक पुस्तक में स्पष्ट कहा है कि हमारी मुख्य कमजोरी यह है कि हम अपने महापुरुषों को ईश्वर की श्रेणी में रखकर पूजा करते हैं। जगद्गगुरु ने बताया कि रावण ने जब राम को सामान्य मनुष्य कहा तब उसकी सभा में मौजूद अंगद ने रावण पर मुक्का तान लिया था। संत समाज भगवान राम को परमात्मा का अवतार मानता है।

उन्होंने कहा कि यह मांग ऐसे संतों की है जो किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं हैं। अपनी बात को स्पष्ट करते हुए उन्होंने दोहराया कि यही कारण है कि संघ को लेकर मैंने यह बात कही।

रेप कांड पर भी बोले

उन्होंने समाज में बढ़ रही वैमनस्यता, मिलावटखोरी और बलात्कार जैसे अपराध के मूल कारणों पर चिंतन की जरूरत बताई। बोले कि स्कूलों में दी जा रही शिक्षा में सुधार किया जाना चाहिए। बच्चों को धर्म का ज्ञान नहीं कराया जा रहा जो कि हमारे देश में शिक्षा का मूल था। दिल्ली रेप कांड का जिक्र करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि नए कानून बन रहे हैं फिर भी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। बच्चों के साथ भी हादसे हो रहे हैं।

हिंदू संस्कृति पर खतरे

उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि एक विद्वान ने तरकीब दी है कि यदि किसी की संस्कृति को बदलना है तो उसकी कुछ बातें मान लो, कुछ के अर्थ बदल दो और कतिपय मान्यताओं का खंडन कर दो। थोड़े समय में ही वह संस्कृति परिवर्तित हो जाएगी। दुर्भाग्य से देश में यही सब चल रहा है। हिंदू संस्कृति को दूसरे रूप में ले जाने की साजिश हो रही है। यह भी बताया जा रहा है कि हिंदू एकता का आधार वेद नहीं बल्कि भगवा है।

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