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उत्‍तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के पीछे हैं कौन-कौन शामिल जानते हैं आप

अमेरिका के लिए जो उत्‍तर कोरिया सिरदर्द बना हुआ है दरअसल उसके परमाणु कार्यक्रम के पीछे उसके ही सहयोगियों का हाथ रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 31 May 2017 09:19 AM (IST)
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उत्‍तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के पीछे हैं कौन-कौन शामिल जानते हैं आप

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। अमेरिकी धमकी को दरकिनार करते हुए उत्‍तर कोरिया जिस तरह से लगातार कभी मिसाइल तो कभी परमाणु परीक्षण कर रहा है, वह इस क्षेत्र में तनाव की सबसे बड़ी वजह बना हुआ है। कोरियन सेंट्रल न्‍यूज एजेंसी के मुताबिक पिछले एक माह के दौरान ही उसने तीन मिसाइल परीक्षण किए हैं। इनमें से एक मिसाइल ने 700 किमी तो दूसरी ने 450 किमी की दूरी तय की है। हालांकि इन मिसाइल से अमेरिका को कोई खतरा नहीं है, लेकिन इस क्षेत्र में उसका सबसे बड़ा दुश्‍मन दक्षिण कोरिया को जरूर इससे खतरा है। अमेरिका तक मार करने के लिए उत्‍तरी कोरिया को दस हजार किमी से भी अधिक दूर तक जा सकने वाली मिसाइल बनानी होगी जो फिलहाल उसकी पहुंच से बाहर की बात है। यहां पर एक बात और बता देना जरूरी होगा कि उत्‍तर कोरिया के हर परीक्षण पर खुद किम जोंग उन की सीधी नजर रहती है। यहां यह भी देखना दिलचस्‍प होगा कि आखिर अमेरिका उत्‍तर कोरिया के सीधे निशाने पर है भी या नहीं।

यह सवाल इसलिए जायज है क्‍योंकि उत्‍तर कोरिया को रोकने के लिए अमेरिकी जंगी बेड़े समेत अत्‍याधुनिक तकनीक से लैस थाड को दक्षिण कोरिया में तैनात किया गया है। इसके बाद भी उत्‍तर कोरिया के परीक्षण रुक नहीं रहे हैं। ऐसे में यदि उत्‍तर कोरिया अमेरिका को सीधा निशाना बनाना चाहे तो उसके लिए उसके जंगी बेड़े कुछ पहुंच में जरूर हो सकते हैं, लेकिन वह ऐसा नहीं करता है। इसकी वजह साफ है कि अमेरिका की ताकत का अंदाजा उसको भी है। यही वजह है कि उसके सभी मिसाइल परीक्षण जापान सागर में ही होते हैं, जबकि पीला सागर जहां पर अमेरिकी युद्धपोत मौजूद हैं नहीं किए जाते हैं। अक्‍सर परीक्षण से पहले या फिर परीक्षण के दौरान किम उन जगहों पर मौजूद भी रहे हैं। एक आशंका यह भी है कि हो सकता है कि वह अमेरिका या फिर दक्षिण कोरिया को जवाब देने की तैयारी कर रहा हो। बहरहाल, यहां पर एक सवाल का उठना बेहद लाजमी है कि आखिर उत्‍तर कोरिया की इस ताकत का राज क्‍या है।

रूस और चीन की खामोशी के पीछे वजह

लेकिन अमेरिका से तनातनी के बाद भी इस मुद्दे पर चीन और रूस काफी कुछ खामोश है। दोनों ने ही साफ कर दिया है कि वह उत्‍तर कोरिया के खिलाफ सैन्‍य कार्रवाई के खिलाफ हैं। रूस और चीन के इस रुख से कुछ समय के लिए एक झटका जरूर लगता है लेकिन इसके पीछे इन दोनों देशों की कूटनीतिक और रणनीतिक चाल है। दरअसल, चीन और रूस दोनों ही पूर्व में उत्‍तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम का हिस्‍सा रह चुके हैं। दोनों ने ही वहां पर परमाणु रिएक्‍टर के निर्माण में अहम भूमिका अदा की है। 1963 में उत्‍तर कोरिया ने रूस से परमाणु हथियार बनाने के लिए उसकी मदद मांगी थी, जिसपर रूस ने मदद देने से साफ इंकार कर दिया था। लेकिन रूस ने प्‍योंगयोंग से करीब 90 किमी दूर योंगब्‍योन न्‍यूक्लियर रिसर्च सेंटर को बनाने में उत्‍तर कोरिया की पूरी मदद की थी।

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उत्‍तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम में रूसी मदद

इसके लिए रूस ने न सिर्फ सहूलियत मुहैया करवाई बल्कि उत्‍तर कोरिया के वैज्ञानिकों को ट्रेनिंग भी दी थी। ऐसा ही कुछ चीन ने भी किया था। इन दोनों देशों की मदद से ही उत्‍तर कोरिया ने अपने शुरुआती परमाणु रिएक्‍टर पाए थे। उत्‍तर कोरिया को परमाणु हथियारों की चाह काफी पहले से बरकरार है। 1980 में उसने अपना परमाणु कार्यक्रम का रुख परमाणु हथियारों के निर्माण की तरफ मोड़ दिया था। 2003 में उत्‍तर कोरिया ने परमाणु अप्रसार संधि से खुद को अलग कर लिया था। यह वह दौर था जब उत्‍तर कोरिया की परमाणु हथियार बनाने या पाने की चाह अपने चरम पर पहुंच चुकी थी।

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परमाणु ताकत वाला देश घोेषित

17 मार्च 2007 को उत्‍तर कोरिया ने दबाव में आकर अपने परमाणु कार्यक्रम को रद करने की बात कही थी। इस के लिए छह देशों से एक संधि भी की गई थी, जिसमें अमेरिका स मेत चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस शामिल थे। लेकिन  2009 में उत्‍तर कोरिया द्वारा किए गए मिसाइल परीक्षण के बाद यह संधि खत्‍म हो गई। अप्रेल 2009 में उत्‍तर कोरिया ने खुद को परमाणु ताकत वाला देश घोषित कर दिया  था।

उत्‍तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम

9 अक्‍टूबर 2006 को उत्‍तर कोरिया ने अपने इसके मद्देनजर अपना पहला परमाणु परीक्षण किया जो एक किलोटन से भी कम का था। इसके बाद उत्‍तर कोरिया ने अपने पास परमाणु हथियारों की खेप होने का दावा भी किया था।

25 मई 2009 काे उत्‍तर कोरिया ने दूसरा परमाणु परीक्षण किया जो 2-7 किलोटन का था।

11 फरवरी 2013 को उत्‍तर कोरिया ने तीसरा परमाणु परीक्षण किया, जिसको पूरी तरह से सफल करार दिया गया था।

6 जन वरी 2016 चौथा परमाणु परीक्षण किया। इसके एक माह बाद ही उत्‍तर कोरिया ने हाइड्रोजन बम का भी परीक्षण कर  डाला था।

9 सितंबर 2016 को उसने पांचवां परमाणु प‍रीक्षण किया जिसको 6-9 किलोटन का बताया गया था।

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