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सहारा सेबी को सौंपे संपत्ति के दस्तावेज

सहारा समूह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने सहारा को तीन सप्ताह में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास 20 हजार करोड़ की संपत्ति के मालिकाना हक के दस्तावेज (टाइटल डीड) जमा कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस अवधि के भीतर आदेश का पालन नहीं किया गया तो

By Edited By: Updated: Mon, 28 Oct 2013 10:32 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सहारा समूह को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने सहारा को तीन सप्ताह में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास 20 हजार करोड़ की संपत्ति के मालिकाना हक के दस्तावेज (टाइटल डीड) जमा कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस अवधि के भीतर आदेश का पालन नहीं किया गया तो समूह के प्रमुख सुब्रत राय व कंपनी के तीन अन्य निदेशक कोर्ट की इजाजत के बगैर देश नहीं छोड़ सकते।

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जस्टिस केएस राधाकृष्णन और जेएस खेहर की पीठ ने ये निर्देश निवेशकों का पैसा वापस लौटाने के मामले में सेबी की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किए। संपत्तियों के मालिकाना हक के ये दस्तावेज सहारा को 2008-09 में बांड जारी कर एकत्र किए गये धन की वापसी की जमानत के तौर पर जमा कराने हैं। समूह की दो कंपनियों- सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉर्प और सहारा सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प ने 2008 में-09 में बांड जारी कर आम लोगों से धन जुटाया था। इसे लेकर पूंजी बाजार नियामक सेबी ने आपत्ति जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल 31 अगस्त को सहारा समूह को निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये 30 नवंबर तक वापस करने का आदेश दिया था।

सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने सहारा के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा, 'लुका-छिपी का खेल बहुत हुआ, वह अब निवेशकों का पैसा देने से नहीं बच पाएगा।' कोर्ट ने सहारा को संपत्ति के मालिकाना हक के मूल दस्तावेज उनकी मूल्यांकन रिपोर्ट के साथ सेबी के पास जमा कराने का आदेश दिया। सेबी सहारा की ओर से जमा कराए गए दस्तावेजों व मूल्यांकन रिपोर्ट की जांच करेगा। इस मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।

सहारा समूह की दलील

सहारा के वकील सी सुंदरम ने संपत्तियों के मालिकाना हक के मूल दस्तावेज जमा कराने का विरोध करते हुए कहा था कि पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) कंपनी की जमीन की सिक्योरिटी ट्रस्टी बनने को राजी है। पहले सहारा की ओर से जमा कराए गए दस्तावेजों की जांच की जाए। इसके अलावा कंपनी की ओर से जमा कराए गए 5,120 करोड़ रुपये का आकलन किया जाए। अगर फिर भी पैसा कम पड़े तो पंजाब नेशनल बैंक की ओर से दी गई सिक्योरिटी को बेचकर बकाया पैसा ले लिया जाए। कंपनी की ओर से जमा कराए गए दस्तावेजों की जांच से पहले ही संपत्तियों के मालिकाना हक के कागजात लेने से रीयल एस्टेट के बिजनेस में लगी कंपनी को अपूरणीय क्षति होगी। लेकिन सहारा के इस सुझाव पर सेबी के वकील राजी नहीं हुए।

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