घर वापसी के बाद शादी भी कराता है संघ परिवार
सिर्फ शादी के लिए धर्मातरण को हाईकोर्ट द्वारा अवैध ठहराने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी पीठ थपथपा रहा है। संघ परिवार कह रहा है कि ये हमारी जीत है, क्योंकि हम श्रद्धा और आस्था केआधार पर परिवर्तन कराते हैं, सिर्फ शादी के लिए नहीं।
By Murari sharanEdited By: Updated: Sat, 20 Dec 2014 09:14 PM (IST)
एटा जागरण संवाददाता। सिर्फ शादी के लिए धर्मातरण को हाईकोर्ट द्वारा अवैध ठहराने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी पीठ थपथपा रहा है। संघ परिवार कह रहा है कि ये हमारी जीत है, क्योंकि हम श्रद्धा और आस्था केआधार पर परिवर्तन कराते हैं, सिर्फ शादी के लिए नहीं। हां, इतना जरूर है कि जब भी धमरंतरित परिवार में शादी संबंधों की दिक्कत आती है, तो ऐसे युवक-युवतियों की शादी धर्मातरित लोगों में ही करा दी जाती है।
शुक्रवार को सपा नेता एवं प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने लखनऊ में धर्मातरण को लेकर भाजपा पर तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि क्या धर्म बदलने वालों से विवाह करेंगे भाजपाई? अदालत के बयान पर उत्साहित संघ परिवार उनके इस बयान पर उबल पड़ा है। संघ नेतृत्व ने अपने प्रचारकों व अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारियों से कहा है कि वे धर्मातरित लोगों की शादियों के बारे में संघ का नजरिया लोगों को बताएं, ताकि विरोधी लोग उन्हें गुमराह न कर सकें। आरएसएस के जिला प्रचारक राजेश कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले ने संघ के नजरिए पर मुहर लगा दी है। हम किसी एक लड़के या लड़की की घर वापसी नहीं करते, बल्कि पूरे परिवार को वापस लाया जाता है। इन परिवारों में जब जरूरत समझते हैं, तब माता-पिता ही रिश्ता तय करते हैं। अदालत का फैसला स्वागत योग्य है। घर वापसी आस्था भाव के जरिए होती है। धर्मातरण या घर वापसी के बाद अगर किसी के परिवार में शादी संबंधों की कठिनाई आती है, तो संघ परिवार धर्मातरित लोगों में ही उनकी शादी कराने में मदद करता है।
फैसले से लव जेहाद को बल
हाईकोर्ट द्वारा शादी के लिए धर्म परिवर्तन कर लेना अवैध ठहराए जाने से संघ परिवार के मिशन लव जेहाद को बल मिल सकता है। एटा, कासगंज में भी कई ऐसे मामले हैं, जिनमें मुस्लिम युवक के साथ शादी करने के लिए लड़की को पहले मुस्लिम बनना पड़ा, तब निकाह पढ़ा गया। संघ परिवार लव जेहाद के जरिए ऐसे ही मामलों को सामने लाना चाहता है। ऐसी शादियां होंगी प्रभावित
एटा शहर के बाबूगंज निवासी लड़की सरिता (नाम काल्पनिक) बदायूं के उझियानी निवासी कासिम के साथ चली गई। उसे पहले मुस्लिम बनाया, फिर निकाह की रस्म पूरी हुई। वह निकाह वाले दिन ही मुस्लिम बनी, जिसकी तसदीक दिए गए शपथपत्र और निकाहनामा की एक ही तिथि के चलते हो गई। ऐसी ही शादियों को अवैध ठहराया गया है। साफ है कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन किया गया। संघ के नेताओं के मुताबिक 2013 में 150 मुस्लिम परिवारों को धर्म जागरण समिति ने हिंदू बनाया। इनमें तीन परिवार ऐसे भी थे, जो राजपूत वंश से जुड़े थे। धर्मातरण के बाद इनमें से दो लड़कियों की शादी आगरा के फतेहपुर सीकरी के दो राजपूत परिवारों में हुई है। पुलिस के पास भी लंबित मामले एटा में महिला हेल्पलाइन द्वारा हर रविवार को पति-पत्नी के बीच विवाद सुलझाए जाते हैं। महिला थानाध्यक्ष सरोजनी का कहना है कि अक्सर हिंदू-मुस्लिम लड़के-लड़कियों के घर से भागकर शादी करने के मामले सामने आते रहते हैं। जो यहां से निस्तारित नहीं होते, तो समझौता अदालत में भेज देते हैं। इन मामलों में गौर करने वाली बात यह है कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन किया जाता है।
शादी के लिए धर्म परिवर्तन अवैध नहीं: काजी शहर काजी बदूद अहमद ने कहा है कि शरीयत कहती है कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन अवैध नहीं है, बशर्ते राजी से शादी हो। निकाह के बाद लड़की पत्नी ही मानी जाएगी, इसलिए अदालत का फैसला कबूल नहीं हो सकता।
पढ़ें: भूले-भटकों को वापस लाएंगेः भागवतगरीबों का धर्मातरण नहीं, धोखा हुआ