नई पीठ से भी सुब्रत राय को नहीं मिली राहत
सहारा प्रमुख सुब्रत राय और समूह के दो अन्य निदेशकों को सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को भी राहत नहीं मिली। उन्हें फिलहाल जेल में ही रहना होगा। सुप्रीम कोर्ट की नई पीठ ने 60 दिन के भीतर 10 हजार करोड़ रुपये देने का भरोसा दिए जाने पर सुब्रत राय व दो अन्य निदेशकों को रिहा करने का अनुरोध ठुकरा दिया। इतना ही नहीं कोर्ट ने राय को तिहाड़ की बजाय लखनऊ में नजरबंद रखने की मांग भी खारिज कर दी। खातों के संचालन और संपत्तियों के निस्तारण से रोक हटाने की सहारा की मांग पर सुनवाई टालते हुए कोर्ट ने कंपनी को तार्किक तौर पर स्वीकार्य प्रस्ताव पेश करने को कहा है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सहारा प्रमुख सुब्रत राय और समूह के दो अन्य निदेशकों को सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को भी राहत नहीं मिली। उन्हें फिलहाल जेल में ही रहना होगा। सुप्रीम कोर्ट की नई पीठ ने 60 दिन के भीतर 10 हजार करोड़ रुपये देने का भरोसा दिए जाने पर सुब्रत राय व दो अन्य निदेशकों को रिहा करने का अनुरोध ठुकरा दिया। इतना ही नहीं कोर्ट ने राय को तिहाड़ की बजाय लखनऊ में नजरबंद रखने की मांग भी खारिज कर दी। खातों के संचालन और संपत्तिायों के निस्तारण से रोक हटाने की सहारा की मांग पर सुनवाई टालते हुए कोर्ट ने कंपनी को तार्किक तौर पर स्वीकार्य प्रस्ताव पेश करने को कहा है।
सोमवार को सहारा की अर्जी पर न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर व न्यायमूर्ति एके सीकरी की नई पीठ ने सुनवाई की। सहारा के वकील ने रिहाई की शर्त के लिए रखी गई 10,000 करोड़ रुपये की रकम 60 दिन के भीतर अदा करने का भरोसा दिलाते हुए कोर्ट से सुब्रत राय व दो अन्य निदेशकों को रिहा करने का अनुरोध किया। जब कोर्ट इसके लिए राजी नहीं हुआ तो वकील ने उन्हें तिहाड़ की बजाय लखनऊ में नजरबंद रखने का प्रस्ताव दिया ताकि वे संपत्तिायां बेचने के लिए पार्टियों से बातचीत कर सकें। मगर कोर्ट इस पर भी राजी नहीं हुआ। सहारा ने अदालत से बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि उसकी मंशा कभी भी कोर्ट का अपमान करने की नहीं रही। सुब्रत राय और समूह के दो निदेशक पिछले 75 दिनों से जेल में बंद हैं।