'नोटा' पर पुनर्मतदान की याचिका खारिज
बहुसंख्य मतदाताओं द्वारा किसी विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र में सभी उम्मीदवारों को नकार दिए जाने की स्थिति में पुनर्मतदान कराए जाने का निर्देश देने संबंधी जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इन्कार दिया। मालूम हो कि चुनाव आयोग ने हाल ही में इवीएम मशीन में मतदाताओं को 'इनमें से कोई नहीं' (नोटा)
By Edited By: Updated: Mon, 25 Nov 2013 02:57 PM (IST)
नई दिल्ली। बहुसंख्य मतदाताओं द्वारा किसी विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र में सभी उम्मीदवारों को नकार दिए जाने की स्थिति में पुनर्मतदान कराए जाने का निर्देश देने संबंधी जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इन्कार दिया। मालूम हो कि चुनाव आयोग ने हाल ही में इवीएम मशीन में मतदाताओं को 'इनमें से कोई नहीं' (नोटा) चुनने विकल्प दिया है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पी सतशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सोमवार को कहा कि यह विधायिका पर निर्भर है कि वह कानून में संशोधन करे। इस दिशा में कोई निर्देश देना जल्दबाजी है। चुनाव आयोग ने अभी जारी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में लोगों की प्रतिक्रिया जानने के लिए नोटा शुरू किया है। जग्गन नाथ नाम के एक शख्स ने जनहित याचिका दायर करते हुए मांग की थी कि यदि किसी क्षेत्र में बहुसंख्य मतदाताओं ने इवीएम में नोटा के विकल्प को चुना तो आयोग को वहां फिर से चुनाव कराए जाने का निर्देश दिया जाए।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 27 सितंबर को लीक से हटकर एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि मतदाताओं को चुनाव में सभी उम्मीदवारों को नकारने का हक (नकारात्मक वोट) हो, जिससे राजनीतिक दल ईमानदार शख्स को उम्मीदवार बनाने के लिए मजबूर होंगे। सुप्रीम कोर्ट कहा था, चुनाव प्रक्रिया में प्रणालीगत परिवर्तन के लिए नकारात्मक मतदान की व्यवस्था की सख्त जरूरत थी। इससे राजनीतिक दलों के लिए लोगों की च्च्छा को स्वीकार करने की मजबूरी हो जाएगी और वे साफ छवि के लोगों को ही उम्मीदवार बनाएंगे। फैसले में कहा गया कि नोटा की व्यवस्था से लोग अपनी नापसंदगी जाहिर करने के लिए मतदान करने अवश्य जाएंगे।
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