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योजनाओं का लाभ लेने को 'आधार' अनिवार्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सरकार की महत्वाकांक्षी आधार कार्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष न्यायालय ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नही होगा। सरकार पीडीएस योजना, एलपीजी सब्सिडी और केरोसिन वितरण में आधार कार्ड का इस्तेमाल

By Sachin kEdited By: Updated: Wed, 12 Aug 2015 02:18 AM (IST)
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नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार की महत्वाकांक्षी आधार कार्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष न्यायालय ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नही होगा। सरकार पीडीएस योजना, एलपीजी सब्सिडी और केरोसिन वितरण में आधार कार्ड का इस्तेमाल कर सकती है। लेकिन किसी भी योजना का लाभ लेने के लिए आधार की अनिवार्यता नहीं होगी।

भविष्य फिलहाल अधर में

आधार कार्ड का भविष्य फिलहाल अधर में लटका है। आधार कार्ड बनाने के लिए एकत्र की जा रही निजी सूचना और बायोमेट्रिक पहचान व्यक्ति के निजता के अधिकार का हनन है या नहीं, ये अब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ तय करेगी। मंगलवार को तीन न्यायाधीशों की पीठ ने निजता के अधिकार के मौलिक अधिकार होने का मसला विचार के लिए संविधान पीठ को भेज दिया है। जब तक संविधान पीठ इस पर फैसला करती है तब तक सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में आधार की अनिवार्यता नहीं होगी।

तीन सदस्यीय पीठ ने दिया आदेश

न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने आधार कार्ड की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिए। अपने अंतरिम आदेश में कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में व्यापक प्रचार कर बताएगी कि नागरिकों के लिए आधार कार्ड बनवाना अनिवार्य नहीं है। कोई भी लाभ लेने के लिए आधार कार्ड दिखाना जरूरी नहीं होगा। सरकार पीडीएस योजना, एलपीजी और केरोसिन वितरण के अलावा किसी भी अन्य उद्देश्य के लिए आधार कार्ड का उपयोग नहीं करेगी। आधार कार्ड बनाने के लिए एकत्र की गई सूचना का प्रयोग कोर्ट के आदेश के बगैर आपराधिक मामले की जांच के अलावा किसी और उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा।

फाइल मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश करने के निर्देश

कोर्ट ने यह अंतरिम आदेश जारी करते हुए निजता के अधिकार के मौलिक अधिकार होने का मसला विचार के लिए संविधान पीठ को भेज दिया है। कोर्ट ने मामले की फाइल मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया ताकि वे मामले की सुनवाई के लिए उचित पीठ का गठन कर सकें।

याचिकाकर्ताओं की दलील

कोर्ट ने यह मामला संविधान पीठ को इसलिए भेजा है क्योंकि आधार योजना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की मुख्य दलील है कि आधार कार्ड बनाने के लिए एकत्र की जा रही निजी सूचना और बायोमेट्रिक पहचान निजता के अधिकार का हनन है। निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है और किसी को इससे जुड़ी जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। सूचना को लीक होने से बचाने के लिए भी चाक चौबंद इंतजाम नहीं है। ऐसे में सूचना न सिर्फ लीक हो सकती है बल्कि उसका दुरुपयोग भी हो सकता है। उन्होंने योजना पर रोक लगाने की भी मांग की थी।

90 फीसद बनवा चुके हैं आधार कार्ड: सरकार

जबकि सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने आधार योजना की तरफदारी करते हुए कहा कि नब्बे फीसद लोग आधार कार्ड बनवा चुके हैैं। समाज कल्याण की विभिन्न योजनाओं को लागू करने के लिए ये जरूरी है कि इससे अनियमितताओं का अंदेशा कम हो और लाभार्थी को सीधे लाभ मिल सके। उनका कहना था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है और सुप्रीम कोर्ट की संविधानपीठ ने बहुमत से दिए फैसले में यह कहा है। हालांकि बाद में छोटी पीठों ने इसके विपरीत फैसले दिए हैं। ऐसे मे जरूरी हो जाता है कि निजता के अधिकार का मसला संविधान पीठ को भेजा जाए ताकि कानूनी स्थिति साफ हो सके। कोर्ट ने विभिन्न विरोधाभासी फैसलों को देखते हुए मामला विचार के लिए संविधान पीठ को भेज दिया।

अंतरिम आदेश के मुख्य बिंदु

1. सरकार मीडिया में प्रचार कर बताएगी कि आधार कार्ड बनवाना अनिवार्य नहीं।

2. सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड दिखाना जरूरी नहीं।

3. आधार कार्ड का प्रयोग पीडीएस योजना, एलपीजी सब्सिडी व केरोसिन वितरण के अलावा अन्य कार्य के लिए नहीं किया जाएगा।

4. सरकार आधार कार्ड के लिए एकत्रित जानकारी का इस्तेमाल कोर्ट के आदेश के बगैर आपराधिक मामलों की जांच के अलावा किसी और उद्देश्य के लिए नहीं करेगी।

पढ़ेंः आधार मामला संविधान पीठ को भेजने पर फैसला सुरक्षित