कोलगेट मामला: कोल कंपनियों के खिलाफ याचिका खारिज
कोल ब्लॉक आवंटन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोल कंपनियों को राहत देते हुए उनके खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। मामले में दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने इन कंपनियों द्वारा दिए गए समय के दौरान कोयला निकाले जाने पर प्रतिबंध लगाने की अपील की थी। जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया। मामले में स
By anand rajEdited By: Updated: Thu, 16 Oct 2014 01:02 PM (IST)
नई दिल्ली। कोल ब्लॉक आवंटन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोल कंपनियों को राहत देते हुए उनके खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। मामले में दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने इन कंपनियों द्वारा दिए गए समय के दौरान कोयला निकाले जाने पर प्रतिबंध लगाने की अपील की थी। जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया।
मामले में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू की पीठ ने कहा कि लाइसेंस रद किये गए कंपनियों को अपना काम समेटने के लिए 6 महीने का वक्त दिया गया है। इसलिए इन कंपनियों को इस समय के दौरान कोयला निकालने से नहीं रोका जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि अगर दिए गए समय के दौरान कंपनी कोयला निकालना चाहती है तो वो निकल सकती है। उन्होंने कहा कि पहले कोर्ट ने कोयला नहीं निकालने का कोई निर्देश क्यों नहीं दिया? बताते चलें कि याचिकाकर्ता वकील एम एल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कंपनियों को कोल खदान से कोयला के निकासी पर रोक लगाने की अपील की थी। अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कंपनियां प्रति दिन पहले से तीन से चार गुना ज्यादा कोयला निकाल रही हैं। इसलिए इन्हें ऐसा करने से रोका जाना चाहिए। जिस पर गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि इससे पहले एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के बाद कुल 218 कोल ब्लॉक में से 4 को छोड़कर बाकी 214 कोल ब्लॉक के आवंटन रद्द कर दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने जिन आवंटन को रद्द नहीं किया वे सरकारी कंपनियों से जुड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सेल, एनटीपीसी और मेगा पावर प्रोजेक्ट से जुड़े दो कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द नहीं किया था। कोर्ट ने कहा था कि बाकी 214 कोल ब्लॉकों को 31 मार्च 2015 तक अपना प्रोडक्शन बंद करना होगा। इसके बाद सरकार इन कोल ब्लॉकों का फिर से आवंटन कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस आर.एम. लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि जिन 42 ब्लॉकों में उत्पादन चालू है या उत्पादन चालू होने वाला है, वे अगले छह महीनों तक मौजूदा प्रबंधन के पास ही रहेंगे, जब तक कि केंद्र सरकार इनके फिर से आवंटन पर फैसला नहीं ले लेती। अदालत ने कहा था कि इन 42 ब्लॉकों के प्रबंधन को अगले छह महीने तक प्रति टन खनन किए गए कोयले पर 295 रुपये की रॉयल्टी का भुगतान करना होगा।