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खातेदारों के नाम उजागर करने पर 19 फरवरी को सुनवाई

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के मामले में याची राम जेठमलानी ने जर्मनी की लिंचेस्टाइन बैंक में भारतीय खातेदारों के नाम उजागर करने की मांग की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस बाबत दाखिल अर्जी पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया। सुप्रीम कोर्ट मामले पर 19 फरवरी को सुनवाई करेगा। उसी दिन केंद्र की उस अर्जी पर

By Edited By: Updated: Fri, 17 Jan 2014 10:28 PM (IST)
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नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के मामले में याची राम जेठमलानी ने जर्मनी की लिंचेस्टाइन बैंक में भारतीय खातेदारों के नाम उजागर करने की मांग की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस बाबत दाखिल अर्जी पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया। सुप्रीम कोर्ट मामले पर 19 फरवरी को सुनवाई करेगा। उसी दिन केंद्र की उस अर्जी पर भी सुनवाई की जाएगी, जिसमें सरकार ने कालेधन की जांच के लिए एसआइटी गठित करने के आदेश में बदलाव की मांग की है।

शुक्रवार को न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को 19 फरवरी तक टालते हुए कहा कि इसे नियमित सुनवाई के दिन लगाया जाना चाहिए, ताकि एक-दो घंटे बहस सुनी जा सके। इसी बीच, जेठमलानी के वकील अनिल दीवान ने कहा कि यह मामला कालेधन से जुड़ा गंभीर मसला है। याचिकाकर्ता ने 2009 में याचिका दाखिल की थी, जिसमें विदेशी बैंकों में जमा कालेधन की जांच कराने और विदेश में जमा कालाधन वापस लाने की मांग की थी।

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दीवान ने कहा कि 2002 से 2006 के बीच 14 लाख डॉलर (करीब 73 लाख करोड़ रुपये) विदेशी बैंकों में जमा कराए गए, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल मोहन परासरन ने आंकड़ों को गलत बताया। दीवान ने अपनी दलील जारी रखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर जुलाई, 2011 में दो निर्देश दिए थे। एक निर्देश कालेधन की जांच के लिए एसआइटी गठित करने का था, जबकि दूसरा जर्मनी की लिंचेस्टाइन बैंक के भारतीय खातेदारों के नाम बताने के बारे में था।

दीवान ने कहा कि एसआइटी के गठन के आदेश पर तो कोर्ट ने बाद में रोक लगा दी थी, लेकिन लिंचेस्टाइन बैंक के खातेदारों के नाम उजागर करने पर कोर्ट की कोई रोक नहीं है। फिर भी दो साल में सरकार ने नामों का खुलासा नहीं किया। इसीलिए उन्होंने अर्जी दाखिल कर सरकार को खातेदारों के नाम बताने का निर्देश मांगा है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता जेठमलानी की उम्र काफी हो चुकी है। कोर्ट का नियम है कि वरिष्ठ नागरिक की याचिका पर जल्द सुनवाई की जाएगी। इसलिए कोर्ट उनकी अर्जी पर जल्दी सुनवाई करे। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद मामले को 19 फरवरी को सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश दिया।

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