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जदयू में मची रार पर लगाम लगाने को मांझी से मिले शरद

जनता दल यूनाइटेड में चल रही उठापठक और बिहार में गरमाई सियायत के बीच आज पार्टी अध्‍यक्ष शरद यादव ने बिहार के मुख्‍यमंत्री जितनराम मांझी से एक बंद कमरे में मुलाकाता की। इस मुलाकात में प्रदेश इकाई के अध्‍यक्ष वशिष्‍ठ नारायण सिंह भी शामिल थे। दरअसल बिहार की सत्‍ताधारी पार्टी

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sat, 24 Jan 2015 04:30 PM (IST)

पटना। जनता दल यूनाइटेड में चल रही उठापठक और बिहार में गरमाई सियायत के बीच आज पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री जितनराम मांझी से एक बंद कमरे में मुलाकात की। इस मुलाकात में प्रदेश इकाई के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह भी शामिल थे। दरअसल बिहार की सत्ताधारी पार्टी के अंदर जितनराम मांझी और नीतीश कुमार के बीच लगातार हो रही बयानबाजी से पार्टी नेतृत्व खफा है। दोनों नेताओं द्वारा दिए जा रहे विवादित बयानों से पार्टी की छवि को धक्का लगा है। इसे विराम लगाने के लिए आज पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने राज्य के सीएम से मुलाकात की।

राज्य के गेस्ट हाउस में यह बातचीत करीब आधा घंटे तक चली। बंद कमरे में हुई इस बातचीत के बाद मांझी ने सिर्फ इतना ही कहा कि पार्टी के अंदर कोई टकराव या बिखराव की स्थिति नहीं है। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष से इस बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर स्थिति सामान्य नहीं है और यह लगातार गंभीर होती जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष इस बैठक में शामिल होने के लिए सीधे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर से राज्य के गेस्ट हाउस आए थे। सिंह ने कहा कि पार्टी के अंदर दो वरिष्ठ नेताओं के बीच हो रही बयानबाजी से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है।

जदयू पर मचे बवाल को रोकने के लिए शरद ने की पहल

दरअसल पार्टी के अंदर चल रही असामान्य स्थिति की वजह पिछले दिनों राज्य के पूर्व सीएम नीतीश कुमार द्वारा अपने कई समर्थक नेताओं को दिया गया भोज था। माना जा रहा है कि यह भोज इसलिए दिया गया था कि मांझी को सत्ता से हटाकर एक अन्य दलित नेता श्याम रजाक को सीएम बना दिया जाए। इस भोज के अगले ही दिन मांझी ने यह कहकर राज्य की सियासत में भूचाल ला दिया था कि उन्होंने अपने शासनकाल में सबसे अधिक काम करके दिखाया है। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने जिसमें नीतीश कुमार का शासनकाल भी शामिल था बजट का महज कुछ फीसदी हिस्सा ही कल्याणकारी योजनाओं में खर्च किया था। जबकि उनके शासनकाल में बजट का करीब पचास फीसद हिस्सा राज्य के पिछड़े लोगों के उत्थान के लिए लगाया गया है।

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