आम आदमी पार्टी (आप) के लिए शनिवार का दिन भारी रहा। उसके दो नेताओं- शाजिया इल्मी और जीआर गोपीनाथ ने गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी को छोड़ दिया। दोनों ने पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल की 'जेल राजनीति' और आप के आंतरिक लोकतंत्र पर सवाल उठाए हैं। आप की संस्थापक सदस्य रहीं शाजिया ने पार्टी में एक गुट होने का आरोप लगाया है जो सारे फैसले लेता है और उसी की केजरीवाल सुनते हैं। उल्लेखनीय है कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र न होने की बात कहते हुए ही दिल्ली के विधायक विनोद कुमार बिन्नी भी आप से दूर गए थे।
By Edited By: Updated: Sat, 24 May 2014 11:54 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क] आम आदमी पार्टी ने शाजिया इल्मी के इस्तीफे पर अफसोस जताया है। आप ने यह उम्मीद भी जताई है कि उनकी कभी न कभी पार्टी में वापसी होगी। आप नेता योगेंद्र यादव ने स्वीकार किया कि शाजिया पिछले दो महीने से नाराज थीं और उन्होंने कई सवाल भी उठाए थे।
यादव ने बताया कि पार्टी ने शाजिया को आश्वस्त किया था कि आम चुनाव के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उनके सवालों पर विचार कर समाधान किया जाएगा। उन्हें इंतजार करने को कहा गया था, लेकिन हम शाजिया को मना नहीं सके।
वहीं, आप नेता कुमार विश्वास ने कुछ कहने के बजाए रामचरित मानस की चौपाई के जरिये शाजिया पर तंज कसा। विश्वास ने ट्विटर व फेसबुक पर लिखा है, 'धीरज धरम मित्र अरु नारी, आपद काल परखिए चारी।' अर्थात धैर्य, धर्म, दोस्त व नारी की असली परीक्षा विपत्ति के समय होती है। दरअसल, आम आदमी पार्टी [आप] के लिए शनिवार का दिन भारी रहा। उसके दो नेताओं- शाजिया इल्मी और जीआर गोपीनाथ ने गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी को छोड़ दिया। दोनों ने पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल की 'जेल राजनीति' और आप के आंतरिक लोकतंत्र पर सवाल उठाए हैं। आप की संस्थापक सदस्य रहीं शाजिया ने पार्टी में एक गुट होने का आरोप लगाया है जो सारे फैसले लेता है और उसी की केजरीवाल सुनते हैं। उल्लेखनीय है कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र न होने की बात कहते हुए ही दिल्ली के विधायक विनोद कुमार बिन्नी भी आप से दूर गए थे।
इससे पहले पूर्व राजनयिक मधु भादुड़ी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अश्विनी उपाध्याय भी इसी तरह के आरोप लगाते हुए आम आदमी पार्टी को छोड़ चुके हैं। प्रख्यात नृत्यांगना मल्लिका साराभाई ने भी कुछ ऐसे ही कारणों से आप से दूरी बनाई। देश में कम किराए वाली एयरलाइन कंपनी चलाने वाले उद्योगपति गोपीनाथ बीते जनवरी महीने में आप में शामिल हुए थे। फ्रांस से टेलीफोन पर उन्होंने कहा, केजरीवाल को मारो और भागो वाली राजनीति नहीं करनी चाहिए। नितिन गडकरी की मानहानि के मामले में केजरीवाल का जमानती बॉण्ड को न भरना गलत है। कई और मामलों पर पार्टी से नाइत्तेफाकी जाहिर करते हुए गोपीनाथ ने आप को छोड़ने की घोषणा की। जबकि दिल्ली में शाजिया इल्मी ने कहा कि काफी सोच-विचार करने के बाद उन्होंने आप को छोड़ने का फैसला किया है। शाजिया ने हाल ही में गाजियाबाद सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और वह पांचवें स्थान पर रही थीं। इससे पहले उन्होंने दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन कम मतों के अंतर से वह चुनाव हार गई थीं।
आप में नहीं है आंतरिक लोकतंत्र स्वराज की बात करने वाली पार्टी में ही आंतरिक लोकतंत्र नहीं है। यहां पर कुछ लोग सारे फैसले लेते हैं और केजरीवाल भी उन्हीं की सुनते हैं। शाजिया ने साफ किया है कि वह किसी और पार्टी में शामिल नहीं हो रही हैं। 'जेल राजनीति' का कोई मतलब नहीं शाजिया ने कहा कि केजरीवाल की 'जेल राजनीति' बेमतलब है। उन्हें जमानत लेकर लोकसभा चुनाव में हुई हार के कारणों की समीक्षा करनी चाहिए। उम्मीदवारों से मिलना चाहिए और जनता के बीच जाना चाहिए। उनके जेल जाने के बाद हो रहे धरने और प्रदर्शन फिजूल हैं। कुछ लोगों को निशाना बनाना भारी पड़ा शाजिया के अनुसार कुछ औद्योगिक घरानों और कुछ राजनीतिज्ञों का नाम लेकर उनके खिलाफ लगातार अभियान चलाना उचित नहीं है। एक राजनीतिक दल के रूप में जनता इससे कुछ बढ़कर काम करते हुए देखना चाहती है। लोकसभा चुनाव में पार्टी को अपनी छवि के चलते खामियाजा उठाना पड़ा। पढ़ें:
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