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राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट में बोला शिया वक्फ बोर्ड, अयोध्या में बने मंदिर

शिया वक्फ बोर्ड ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में 30 पेज का हलफनामा दायर करके दावा किया है कि बाबरी मस्जिद की साइट उसकी है।

By Manish NegiEdited By: Updated: Tue, 08 Aug 2017 07:41 PM (IST)
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राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट में बोला शिया वक्फ बोर्ड, अयोध्या में बने मंदिर

नई दिल्ली, प्रेट्र। अयोध्या के रामजन्म भूमि विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद के मामले में शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की वकालत की है। साथ ही कहा कि अगर मस्जिद बनाने की वैकल्पिक जगह मिल जाए तो बोर्ड विवादित जगह पर दावा छोड़ने को तैयार हैं। ऐसे में मस्जिद का निर्माण पास के मुस्लिम बहुल इलाके में किया जा सकता है। लेकिन शिया वक्फ बोर्ड की इस राय पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने असहमति जताई है।

शिया वक्फ बोर्ड ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में 30 पेज का हलफनामा दायर करके दावा किया है कि बाबरी मस्जिद की साइट उसकी है। उसने सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरह उसे भी पेशकार बनाने की अपील की। गौरतलब है कि अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में 11 अगस्त से तीन जजों की पीठ नियमित सुनवाई शुरू करेगी। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद 2011 में जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो उसने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया था। यह हलफनामा उसी नोटिस के जवाब में आया है।

शिया वक्फ बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह हलफनामा बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने दायर कर कहा कि विवादित जगह पर अगर मंदिर और मस्जिद दोनों का निर्माण किया जाता है, तो इससे दोनों समुदाय में रोज झगड़े होंगे। इससे बचना चाहिए। इसलिए विवादित जगह पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का मंदिर बनाया जाए और विवादित जगह से थोड़ी दूर मुस्लिम बहुल इलाके में मस्जिद बना दी जाए। रिजवी ने कहा कि उनके पास 1946 तक विवादित जमीन का कब्जा था और शिया के मुत्वल्ली हुआ करते थे। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इस जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया। शिया वक्फ बोर्ड ने विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में जमकर पैरोकारी की है। बोर्ड ने बताया कि दरअसल बाबरी मस्जिद बनवाने वाला मीर बकी भी शिया ही था। इसीलिए इस पर पहला हक शिया वक्फ बोर्ड का है।

शिया बनाम सुन्नी

सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में शिया वक्फ बोर्ड ने यह भी कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड शांतिपूर्ण तरीके से इस विवाद का हल नहीं चाहता। हालांकि इस मसले को सभी पक्ष आपस में बैठकर सुलझा सकते हैं और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट उन्हें समय दे। इसके लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई जाए जिसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुआई में हाई कोर्ट के दो सेवानिवृत जज, प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी के अलावा और सभी पक्षकार भी शामिल हों। हलफनामे में कहा गया, 'चूंकि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड यूपी ही इसका पक्षकार होना चाहिए।' बता दें कि शिया वफ्फ बोर्ड इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी पक्षकार था, लेकिन विस्तृत दलील के लिए उसने वहां पैरवी नहीं की।

यह था हाईकोर्ट का फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2010 में जन्मभूमि विवाद में फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों में बांटने का आदेश दिया था। उसने जमीन को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में समान रूप से बांटने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिस पर शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी।

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