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शिवसेना का मोदी पर तंज, कहा-'जेब में आना नहीं, फिर भी बाजीराव बने'

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक बार फिर आलोचना की गई है। संपादकीय में मंगोलिया यात्रा को लेकर तल्‍ख टिप्‍पणी की गई है। खासकर, मंगोलिया को एक 100 करोड़ डॉलर का कर्ज दिए जाने की कड़ी आलोचना की है।

By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Wed, 20 May 2015 10:25 AM (IST)

नई दिल्ली। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक बार फिर आलोचना की गई है। संपादकीय में मंगोलिया यात्रा को लेकर तल्ख टिप्पणी की गई है। खासकर, मंगोलिया को एक 100 करोड़ डॉलर का कर्ज दिए जाने की कड़ी आलोचना की है।

'उदार प्रधानमंत्री' शीर्षक से छपे संपादकीय में कहा गया है कि मंगोलिया दौरे पर गए पीएम मोदी ने उदार मन से 100 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया। यह कोई छोटा-मोटा आंकड़ा नहीं है। इस आंकड़े का रूपांतरण अगर हम अपने रुपये में करें तो जो आंकड़ा सामने आएगा वह देखकर महाराष्ट्र में आत्महत्या कर चुके हजारों किसानों की आत्मा भ्रमित हो उठेगी। क्योंकि साहूकारी और बैंकों के कर्ज तले दबा राज्य का किसान मरा है और वह मर रहा है। ओलाग्रस्त, अकालग्रस्त किसाना सरकारी मदद की प्रतीक्षा में आज भी है।

लेख में कहा गया है कि महाराष्ट्र की तुलना में मंगाेलिया की जनता भाग्यवान की जाएगी। उन्हें हिंदुस्तानी प्रधानमंत्री ने 100 करोड़ डाॅलर मदद घोषित कर आर्थिक ताकत की झलक दिखाई है। इससे पहले भूटान और नेपाल वगैरह राष्ट्रों को भी हमारे प्रधानमंत्री ने भरपूर आर्थिक मदद की है। पड़ोस के लिए छोटे व गरीब राष्ट्रों को मदद करना हमारा कर्तव्य तो है व यह एक विदेश नीति भी है। लेकिन मंगोलिया को 100 करोड़ डॉलर की खुराक किस लिए?

रुपया डॉलर के मुकाबले गिर रहा हो और विश्व बैंक का कर्ज हम पर हो ऐसे में मंगोलिया के मामले में ऐसी साहूकारी दिखाने की जरूरत है क्या? लेख में कहा गया है कि 'जेब में आना नहीं, फिर भी बाजीराव बने' (हिंदी की कहावत है-घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने) की भूमिका निभानी पड़ती है।

संपादकीय में कहा गया है कि यही उदारता यदि हमारे प्रधानमंत्री महाराष्ट्र के किसानों और जैतापुर परमाणु संयंत्र को लेकर पिस रही कोंकण की जनता के मामले में दिखाएं तो अच्छा होगा।