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शिवसेना ने भी उठाए सवाल, राजीव व बेअंत के हत्‍यारों पर दया क्‍यों!

शिवसेना ने असुद्दीन ओवैसी के सुर में सुर मिलाते हुए कहा है क‍ि राजीव गांधी और बेअंत सिंह के हत्‍यारों पर दया क्‍यों दिखाई जा रही है। यह विषय विचारणीय है। इस पर बहस होनी च‍ाहिए।

By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Fri, 31 Jul 2015 10:39 AM (IST)

नई दिल्ली। शिवसेना ने असुद्दीन ओवैसी के सुर में सुर मिलाते हुए कहा है कि राजीव गांधी और बेअंत सिंह के हत्यारों पर दया क्यों दिखाई जा रही है। यह विषय विचारणीय है। इस पर बहस होनी चाहिए।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में याकूब की फांसी पर हायतौबा मचाने वालों पर हमला करते हुए कहा है कि जिस प्रकार से फर्जी मानवतावादियों ने याकूब पर अन्याय का ड्रामा खड़ा किया, वह अपने आप में खेदजनक है। जिन स्वघोषित मान्यवरों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर याकूब के लिए दया की भीख मांगी, उनमें से कोई भी व्यक्ति बम विस्फाेट का शिकार नहीं हुआ था। इसलिए उन्होंने मानवतावाद के नाम पर अपना गला गरम किया। राष्ट्रपति व सुप्रीम कोर्ट ने इन स्वयंभू मान्यवरों को कुछ नहीं सुना। उन्होंने देश की जनता की आवाज को सुना।

लेख में कहा गया है कि ओवैसी जो कह रहे हैं उसमें एक मुद्दा निश्चित तौर पर विचार करने योग्य है। राजीव गांधी के हत्यारों को हुई फांसी की सजा दया दिखाकर अाजीवन कारावास में परिवर्तित कर दी जाती है। पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद भी वे जीवित रहते हैं। उन राज्यों की सरकारें विधानसभा में फांसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित करती हैं। इस विषय पर चर्चा हाे सकती है और कानूनी लड़ाई भी लड़ी जा सकती है। किंतु सिर्फ इसी के नाम पर पाकिस्तान के इशारे पर मुंबई पर हमला कर सैकड़ों लोगों की जान लेनेवालों के प्रति दया दिखाने की मांग ठीक नहीं है।

लेख में कहा गया है कि मुंबई बम विस्फोटों की श्रृंखला देश के खिलाफ छेड़ा गया युद्ध था और उसमें सैकड़ो निर्दोष लोग मारे गए। याकूब मेमन की फांसी पर अब पर्दा पड़ चुका है, उसके चलते बम विस्फोट में मारे गए लोगों की अात्माओं को थोड़ी शांति जरूर प्राप्त हुई होगी। दाऊद और टाइगर मेमन जैसे लोग जब यमलोक जाएंगे तभी पूर्ण शांति प्राप्त होगी और उन्हें मोक्ष मिलेगा।

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