शिवसेना के निशाने पर जैन समुदाय
जैन समुदाय के पर्व पर्युषण के दौरान महाराष्ट्र में मीट पर प्रतिबंध को लेकर शिवसेना ने गुरुवार को जैन समुदाय पर निशाना साधा। पार्टी ने कहा कि जैन समाज के अहिंसा के सिद्धांत पर आश्चर्य होता है क्योंकि 1993 के दौरान हिंसा का जैन समाज ने भी समर्थन किया था।
मुंबई । जैन समुदाय के पर्व पर्युषण के दौरान महाराष्ट्र में मीट पर प्रतिबंध को लेकर शिवसेना ने गुरुवार को जैन समुदाय पर निशाना साधा। पार्टी ने कहा कि जैन समाज के अहिंसा के सिद्धांत पर आश्चर्य होता है क्योंकि 1993 के दौरान हिंसा का जैन समाज ने भी समर्थन किया था। शिवसेना ने जैनियों पर अहिंसा पर अपने रुख से पलटने का भी पार्टी ने आरोप लगाया।
पार्टी ने अपने मुखपत्र 'सामना' में कहा कि अभी तक केवल कट्टरपंथी मुसलमान ही धर्म के नाम पर लोगों को धमकाते थे। यदि जैन भी ऐसा ही करेंगे तो उन्हें भगवान ही बचाए। वर्ष 1992-93 के मुंबई दंगों के दौरान मराठियों ने जैनियों को बचाया। उस वक्त कौन बचता क्योंकि हिंसा का जवाब हिंसा से दिया जा रहा था, उस समय भी पर्युषण चल रहा था। जैन भी तब हिंसा का समर्थन कर रहे थे। कई जैनी मातोश्री (ठाकरे का निवास स्थल) आए और सहायता के लिए बाला साहेब को धन्यवाद दिया। अब ये लोग अहिंसा की बात कर रहे हैं। यह आश्चर्यजनक है।
पार्टी ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि हिंसा का मतलब क्या है? क्या केवल पशुवध पर प्रतिबंध का मतलब अहिंसा है? हिंसा दिमाग और कार्रवाई में होती है। क्या जैन भाई इस प्रकार की हिंसा से मुक्त हैं। कई जैन शहर में बिल्डर्स हैं जहां काले और सफेद धन का खेल चलता है। कालाधन स्वीकार करना भी पाप है। क्या जैन समुदाय पर्व के दौरान कालाधन लेना बंद कर देंगे। पार्टी ने कहा कि केवल जैन ही शाकाहारी नहीं हैं। महाराष्ट्र में ब्राह्माण, गुजरात में पटेल और माहेश्वरी, हरियाणा में वैष्णव, कर्नाटक और महाराष्ट्र की सीमा पर लिंगायत और मध्य प्रदेश और राजस्थान में बड़ी संख्या में लोग शाकाहारी हैं, लेकिन इनमें से कोई भी मांस बिक्री पर रोक लगाने की मांग नहीं करता। पर्युषण के नाम पर महाराष्ट्र को उकसाओ मत। जियो और जीने दो के मंत्र का पालन करो और लोगों के जो वे चाहें खाने दो।
शिवसेना ने सामना में कहा है कि मुस्लिमों के रास्ते पर चलने लगा है जैन समाज। मुसलमानों के लिए तो पाकिस्तान है, लेकिन जैन कहां जाएंगे। जैन समुदाय ही मीट पर प्रतिबंध के लिए जिम्मेदार हैं। गौरतलब है कि जैन समाज के पर्व पर्युषण के दौरान मीट बिक्री पर बैन लगाया गया है।