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तूल पकड़ेगा सिख विरोधी दंगों का मुद्दा

सिख विरोधी दंगों पर राहुल गांधी के बयान से 30 वर्ष पुराना यह मामला लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से गरमा गया है। इससे कांग्रेस जहां बैकफुट पर है वहीं शिरोमणि अकाली दल (शिअद) बादल दंगा पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर सड़क पर उतर गई है। जबकि सिख दंगों की निष्पक्ष जांच के लिए राज्य की आप सरकार न

By Edited By: Updated: Fri, 31 Jan 2014 10:18 AM (IST)

नई दिल्ली। सिख विरोधी दंगों पर राहुल गांधी के बयान से 30 वर्ष पुराना यह मामला लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से गरमा गया है। इससे कांग्रेस जहां बैकफुट पर है वहीं शिरोमणि अकाली दल (शिअद) बादल दंगा पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर सड़क पर उतर गई है। जबकि सिख दंगों की निष्पक्ष जांच के लिए राज्य की आप सरकार ने विशेष जांच दल [एसआइटी] गठित करने की पहल कर दी है। जिसका अकाली व भाजपा भी समर्थन कर रहे हैं। इस हलचल के मद्देनजर इसमें कोई शक नहीं कि आने वाले दिनों में दिल्ली में यह मामला और तूल पकड़ेगा।

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नगर निगम और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के बाद विधानसभा चुनाव में मिली सफलता से राजधानी में बड़ी राजनीतिक भूमिका के लिए जमीन तलाश रहे शिअद (बादल) को राहुल गांधी के बयान से बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है। अकाली इसे किसी भी कीमत पर हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं। इसलिए समय गंवाए बगैर पार्टी एसआइटी गठन के लिए आंदोलन का एलान करते हुए बृहस्पतिवार को अपने विधायक, पार्षदों व दिल्ली के वरिष्ठ नेताओं के साथ सड़क पर उतर गई।

पार्टी के नेताओं को डर है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी उसके वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। इसलिए एसआइटी बनाने की पहल के लिए जहां मुख्यमंत्री का वो स्वागत कर रहे हैं वहीं उनकी मंशा पर भी सवाल उठा रहे हैं। अकाली नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के समर्थन से केजरीवाल सरकार चला रहे हैं। इसलिए उनकी मांग सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एसआइटी बनाने की है।

विस चुनाव के पहले भी सिख दंगों में मारे गए लोगों की स्मृति में गुरुद्वारा रकाबगंज में स्मारक बनाने को लेकर दिल्ली में सिख राजनीति गरमाई थी। कांग्रेस समर्थक शिअद सरना गुट इसका विरोध करते हुए मामले को उच्च न्यायालय में भी ले गया था। शिअद बादल का मानना है कि राहुल गांधी के बयान से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ेगा। लेकिन कांग्रेस से नाराज सिख मतदाता कहीं आप की ओर नहीं चला जाए इसके लिए अकाली ठोस रणनीति के साथ इस मुद्दे को आगे बढ़ाने की कोशिश में हैं।

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