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भू-अधिग्रहण कानून में बदलाव पर उबाल

भू-अधिग्रहण कानून में बदलाव करने के फैसले को किसान विरोधी करार देते हुए लामबंदी तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश में किसान संगठन दिल्ली में 18 मार्च को प्रदर्शन के अलावा जिला स्तर पर भी आंदोलन करेंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Thu, 01 Jan 2015 02:42 AM (IST)
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जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली । भू-अधिग्रहण कानून में बदलाव करने के फैसले को किसान विरोधी करार देते हुए लामबंदी तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश में किसान संगठन दिल्ली में 18 मार्च को प्रदर्शन के अलावा जिला स्तर पर भी आंदोलन करेंगे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी अध्यादेश के किसान विरोधी होने पर उसका विरोध करने की बात कही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा अध्यादेश के तल्ख विरोध के बाद बुधवार को पूरे प्रदेश में जगह-जगह नुक्कड़ सभाएं की गईं और अध्यादेश की प्रतियां जलाई गईं।

उप्र में किसान संगठनों को लामबंद करने की कमान संभाले भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि किसानों के सामने जटिल स्थिति उत्पन्न हो रही है। 18 मार्च को दिल्ली में संयुक्त फ्रंट के तले बड़े प्रदर्शन के अलावा किसान जिलों एवं स्थानीय स्तर पर अपनी ताकत दिखाएंगे।

भारतीय किसान आंदोलन के संयोजक कुलदीप कुमार का आरोप है कि वर्ष 2013 के कानून में प्रावधान रखा गया था कि सरकार और निजी कंपनियों की संयुक्त योजना के लिए भूमि अधिग्रहण को 80 प्रतिशत किसानों का सहमत होना जरूरी था, लेकिन ताजा बदलाव के बाद किसान अपनी भूमि से मनमाने ढंग से बेदखल किया जा सकेगा। कांग्रेस व जनता दल यू ने भी भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन का कड़ा विरोध किया है। विधायक पंकज मलिक ने नए अध्यादेश को कारपोरेट तथा औद्योगिक घरानों एवं बिल्डरों के हितों को फायदा पहुंचाने वाला बताया। जदयू सांसद केसी त्यागी ने कहा कि सरकार ने संसद का भी अपमान किया है क्योंकि शीतकालीन सत्र में संशोधित विधेयक के बजाए अध्यादेश ले लाए। इसका हर स्तर पर विरोध होगा। अध्यादेश से शहरी क्षेत्रों के आसपास रहने वाले किसानों को सर्वाधिक नुकसान झेलना होगा।

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