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भूमि अधिग्रहण बिल की छह बड़ी बातें

भूमि अधिग्रहण अध्‍यादेश को मोदी सरकार जहां विकास का पर्याय मान रही है वहीं विपक्ष इस अध्‍यादेश को किसान विरोधी बता रहा है। आखिर क्‍या है इस अध्‍यादेश में खास। इसके पक्ष में क्‍या है भाजपा के तर्क। 1- किसानों को अपनी जमीन की जायज कीमत मिलेगी। यह मूल्‍य बाजार भाव

By Jagran News NetworkEdited By: Updated: Mon, 20 Apr 2015 07:05 PM (IST)
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भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को मोदी सरकार जहां विकास का पर्याय मान रही है वहीं विपक्ष इस अध्यादेश को किसान विरोधी बता रहा है। आखिर क्या है इस अध्यादेश में खास। इसके पक्ष में क्या है भाजपा के तर्क।

1- किसानों को अपनी जमीन की जायज कीमत मिलेगी। यह मूल्य बाजार भाव का चार गुना होगा। साथ ही किसान विकास के बाद विकास और अधिग्रहण लागत का भुगतान करके मूल भूमि का 20 फीसद प्राप्त कर सकते हैं। मिसाल के तौर पर, एक किसान जिसके पास 20 एकड़ जमीन है और जिसकी बाजार कीमत 2 लाख रुपये प्रति एकड़ है, उसे अपनी भूमि के लिए 1.6 करोड़ रुपये मिलेंगे। इसके अलावा विकास कार्य के बाद उसके पास अविकसित भूमि की कीमत पर ही बुनियादी सुविधाओं से परिपूर्ण दो एकड़ जमीन खरीदने का विकल्प रहेगा।

2 - भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया यदि आसान होगी तो कॉलेजों, अस्पतालों, रेलवे आदि सुविधाओं का विस्तार होगा और विकास भी। इससे निश्चित तौर पर किसानों को भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। 3 - निजी उद्देश्यों (होटल निर्माण, इमारत बनाने, कल कारखानों) के लिए ली जाने वाली जमीन किसानों से उनकी शर्तों पर खरीदनी होगी।

4 - भूमि अधिग्रहण के लिए 70 फीसद किसानों की सहमति को खत्म कर दिया गया है। इसे अव्यवहारिक माना गया।

5 - पांच साल के भीतर परियोजना के पूरा नहीं होने के बावजूद जमीन खरीददार के पास ही रहने का प्रावधान रखा गया है। इसके पीछे तर्क यह है कि कई बड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए लंबी अवधि की जरूरत होती है। उदाहरण के तौर पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र को पूरा करने के लिए पांच से अधिक साल लग सकते हैं। यदि यह पांच साल में पूरा नहीं हो सका तो क्या हमें इसका कार्य बीच में ही छोड़ देना चाहिए? 6 - संबंधित परियोजनाओं के लिए स्पेशल इम्पैक्ट असेसमेंट को हटा दिया गया है, लेकिन जमीन के मालिकों को सभी प्रकार की सहायता, पुनर्वास और मुआवजा दिया जाएगा।

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