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बिहार, झारखंड, उप्र से जुड़ी छह रेल लाइनें होंगी दोहरी/तिहरी

सरकार ने बिहार व झारखंड समेत विभिन्न राज्यों में रेल यातायात को आसान बनाने के लिए लाइनों के दोहरीकरण व तिहरीकरण से संबंधित छह परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

By Sachin BajpaiEdited By: Updated: Wed, 17 Feb 2016 06:59 PM (IST)
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नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार ने बिहार व झारखंड समेत विभिन्न राज्यों में रेल यातायात को आसान बनाने के लिए लाइनों के दोहरीकरण व तिहरीकरण से संबंधित छह परियोजनाओं को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सीसीइए की बैठक में रेल मंत्रालय के संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।

छह रेल परियोजनाएं

दोहरीकरण/तिहारीकरण की छह रेल परियोजनाओं में हुबली-चिकाजूर लाइन दोहरीकरण, वर्धा (सेवाग्राम)-बल्लारशाह तीसरी लाइन, अनूपपुर-कटनी तीसरी लाइन,कटनी-सिंगरौली लाइन के दोहरीकरण के अलावा रामपुर-डुमरा-ताल-राजेंद्रपुल लाइन के दोहरीकरण व हाथीदाह में अतिरिक्त पुल तथा झारखंड, मप्र व उप्र से गुजरने वाली रामना-सिंगरौली लाइन के दोहरीकरण की परियोजनाएं शामिल हैं।

रामपुर-डुमरा-ताल-राजेंद्रपुल ब्रिज व डबलिंग प्रोजेक्ट

बेगूसराय व पटना जिलों में स्थित इस परियोजना पर 1700 करोड़ रुपये लागत का अनुमान है। यह 2019-20 तक पूरी होगी। अभी हाथीदाह के मौजूदा रेल-सह-सड़कपुल पर एक लाइन का ट्रैक है। इसका दोहरीकरण संभव नहीं है। इस सेक्शन पर क्षमता का 123.5 फीसद यातायात है और यह उत्तर व दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला अकेला पुल है। सिंगिल लाइन केकारण इस पर माल की समय पर आवाजाही नहीं हो पाती है। इसलिए अतिरिक्त पुल के साथ इस सेक्शन के दोहरीकरण का निर्णय लिया गया है। इससे क्यूल-बरौनी तथा मोकामा-बरौनी के बीच ट्रेने कम समय लेंगी।

रामना-सिंगरौली रेलवे लाइन दोहरीकरण

160 किलोमीटर लंबी इस लाइन के दोहरीकरण पर 2675.64 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके 2019-20 तक पूरा होने की संभावना है। धनबाद डिवीजन की यह लाइन झारखंड में गढ़वा, मध्य प्रदेश में सिंगरौली तथा उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिलों से गुजरती है।

अभी इस सिंगिल लाइन पर 105 फीसद यातायात घनत्व है। जिससे ट्रेनों में विलंब होता है। दोहरी होने से खासकर नार्दर्न कोलफील्ड की खदानों से आनपरा व शक्तिनगर के आसपास के उद्योगों तथा आनपरा, रिहंद, सिंगरौली, विंध्याचल बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति तथा रेणुसागर हाइड्रोपावर प्लांट को सामानों और लोगों की आवाजाही आसान होगी।

आयुष व डब्लूएचओ में समझौता

कैबिनेट ने आयुष मंत्रालय और विश्र्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के बीच पारंपरिक भारतीय औषधियों को मान्यता व पहचान दिलाने के लिए उनकी लिस्टिंग, बेंचमार्किंग व ब्रांडिंग संबंधी समझौते को भी हरी झंडी दिखाई है। इसके तहत डब्लूएचओ योग, आयुर्वेद, पंचकर्म और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों और दवाओं के बारे में आयुष द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली तकनीकी जानकारी के प्रकाशन के अलावा उनके मानकीकरण एवं ब्रांड स्थापन में सहयोग करेगा। इससे इन पद्धतियों एवं दवाओं की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा स्वीकार्यता सुनिश्चित होगी।

पुणे में गुरुत्वाकर्षण तरंग प्रयोगशाला

गुरुत्वाकर्षण तरंगों पर प्रयोगों के लिए पुणे में लिगो (ले़जर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल-वेव आब्जर्वेटरी) इंडिया प्रोजेक्ट प्रयोगशाला स्थापित करने का प्रस्ताव भी कैबिनेट ने सैद्धांतिक तौर पर मंजूर कर दिया है। इसे अमेरिका की लिगो लैबोरेटरी (कैल्टेक व एमआइटी द्वारा संचालित) के सहयोग से स्थापित किया जाएगा। आणविक ऊर्जा विभाग तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग मिलकर इसे आगे बढ़ाएंगे। अमेरिकी लिगो प्रोजेक्ट के तहत हाल ही में गुरुत्वाकर्षण तरंगों की खोज की गई है। प्रोजेक्ट के तहत आठ किलोमीटर लंबी निर्वात बीम ट्यूब का निर्माण किया जाएगा।