हर घर में शुरू होगा स्मार्ट मीटर लगाने का अभियान : पीयूष गोयल
राजग सरकार के पहले 20-21 महीनों में अगर किसी क्षेत्र के लिए सबसे ज्यादा योजनाएं घोषित हुई हैं तो वह बिजली क्षेत्र है। कोयला, बिजली व नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल हर घर को बिजली कनेक्शन देने के साथ ही भारत की ऊर्जा कूटनीति को भी नई धार...
नई दिल्ली। राजग सरकार के पहले 20-21 महीनों में अगर किसी क्षेत्र के लिए सबसे ज्यादा योजनाएं घोषित हुई हैं तो वह बिजली क्षेत्र है। कोयला, बिजली व नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल हर घर को बिजली कनेक्शन देने के साथ ही भारत की ऊर्जा कूटनीति को भी नई धार देने में जुटे हैं। विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन के साथ साक्षात्कार में उन्होंने सरकार की ऊर्जा सुरक्षा संबंधी नीति की तस्वीर पेश की।
भारत ऊर्जा सुरक्षा पर कई देशों से बात कर रहा है। आखिर इन देशों से हम क्या चाहते हैं?
अगर हम देश के हर गांव और हर घर को बिजली पहुंचाना चाहते हैं तो हमारे पास दो रास्ते हैं। या तो हम पुराने ढर्रे पर चलते रहें और धीरे-धीरे करके अगले 50-100 सालों में ऐसा करके दिखाएं या फिर दुनिया के तमाम देशों के पास जो तकनीकी है उसे हासिल करें और हर घर व कारोबार को सस्ती दर पर और बेहतर गुणवत्ता पर बिजली जल्द से जल्द उपलब्ध कराएं। मोदी सरकार का मानना है कि हम बिजली जैसी बुनियादी चीज को लेकर ज्यादा दिनों तक इंतजार नहीं कर सकते। इसलिए हमें पीएम नरेंद्र मोदी से यह निर्देश मिला है कि बिजली को लेकर दुनिया भर में जो भी सबसे बेहतरीन तकनीकी है उसे भारत लाया जाए। इसके लिए हम अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी जैसे अग्रणी देशों के साथ ऊर्जा सुरक्षा पर बात कर रहे हैं। वैसे भी आप जानते हैं कि ऊर्जा कूटनीति किन्हीं भी दो देशों के रिश्ते को आयाम देने में काफी अहम होती है। भारत सरकार के लिए भी ऊर्जा कूटनीति उसकी आर्थिक कूटनीति का अहम हिस्सा बन चुकी है।
तो हम किस तरह की तकनीकी चाहते हैं?
भारत एक विशाल देश है। कोई भी एक तकनीकी इसकी सभी दिक्कतों का समाधान नहीं कर सकती। लिहाजा हम हर देश से अलग अलग तकनीकी हासिल कर रहे हैं। मसलन, किसी देश से परमाणु ऊर्जा से जुड़ी तकनीकी लाना है तो किसी देेश से सौर ऊर्जा से जुड़ी। किसी देश से हम एलएनजी यानी गैस पर्याप्त मात्रा में लाएंगे तो किसी देश से कोयला खदानों से ज्यादा से ज्यादा कोयला निकालने और कोयला खदानों से गैस निकालने का काम करेंगे। उदाहरण के लिए हम जापान व ऑस्ट्रेलिया से स्मार्ट मीटर लाना चाहते हैं। साफ व स्वच्छ कोयला निकालने में ऑस्ट्रेलिया की तकनीकी का कोई जवाब नहीं है तो हम उससे यह हासिल करना चाहते हैं। अमेरिका से हम ऊर्जा सुरक्षा को लेकर सौर ऊर्जा में बड़े सहयोग पर काम कर रहे हैं। इस तरह से अलग-अलग देशों से अलग-अलग तकनीकी हासिल करेंगे।
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लेकिन विकसित देशों की तकनीकी काफी महंगी होती है...
हां, लेकिन हम उस तकनीकी को भारतीय संदर्भ में उतारेंगे। हमने एलईडी के मामले में यह कर दिखाया है। दो वर्ष पहले एलईडी की कीमत 320 रुपये थी। हमारी कोशिशों की वजह से इसकी कीमत अब 80 फीसद तक घट चुकी है। हम ऐसा स्मार्ट मीटर के क्षेत्र में भी करने जा रहे हैं। देश में 25 करोड़ स्मार्ट मीटर की जरूरत है। मैंने देखा है कि जापान व ऑस्ट्रेलिया के स्मार्ट मीटर में तमाम तकनीकी डिटेल हैं, जिसकी भारतीय संदर्भ में जरूरत नहीं है। ऑस्ट्रेलिया के स्मार्ट मीटर की कीमत 5,500 रुपये के करीब है। हमारा मानना है कि भारत में जब बड़े पैमाने पर इसकी खरीद होगी तो इसकी कीमत 1200 रुपये के करीब आएगी। जिस तरह से हमारी सरकार एक निश्चित समयसीमा के भीतर देश के हर घर और हर गली में सामान्य बल्ब की जगह एलईडी लगाने का अभियान सफलतापूर्वक लागू कर रही है, उसी तरह से स्मार्ट मीटर को लेकर भी अभियान शुरू होगा। इससे बिजली क्षेत्र में बड़ा सुधार होगा। वितरण व ट्रांसमिशन से होने वाली हानि काफी कम हो जाएगी। बिजली चोरी नहीं हो सकेगी।
बिजली सुधार के लिए आपकी महत्वाकांक्षी उदय योजना की क्या प्रगति है?
उदय योजना को जिस तरह से तमाम राजनीतिक दलों से शासित राज्यों ने स्वीकार किया है, उससे इसको लेकर सारी आशंकाएं समाप्त हो गई हैं। सबसे ज्यादा घाटा उठाने वाले राजस्थान, उत्तर प्रदेश, झारखंड जैसे राज्यों के साथ उदय को लागू करने का समझौता हो चुका है। अच्छी बात यह है कि राज्य खुद ही इसकी उपयोगिता समझने लगे हैं। अब आप देखिए उत्तर प्रदेश में अभी भी 490 गांवों और 1.43 करोड़ घरों तक बिजली नहीं पहुंची है। उदय इन्हें जल्द से जल्द बिजली पहुंचाने में मदद करेगा। देश में एक दर्जन ऐसे राज्य हैं जहां बिजली वितरण कंपनियों का गठन नहीं हुआ है। वहां अब भी बिजली बोर्ड ही काम कर रहा है। इन राज्यों ने भी उदय को लागू करने की मांग की है। केंद्र सरकार इस पर विचार कर रही है। हम वर्ष 2022 तक हर घर को अच्छी व सस्ती बिजली देने के लिए कृतसंकल्प है। इस उद्देश्य को हासिल करने में उदय योजना अहम साबित होगी। वैसे भी बिजली भारत में बड़ा राजनीतिक मुद्दा होता है। लेकिन उदय के लागू होने के बाद सिर्फ अच्छी व सस्ती बिजली देने पर राजनीति होगी। बिजली की दरों को माफ करने जैसे मुद्दों पर राजनीति नहीं होगी। किसानों को सस्ती बिजली देने में यह अहम कदम साबित होगा। किसानों के लिए अलग फीडर लाइन बनाने का काम हर राज्य में तेजी से चालू होगा।
कई लोगों का कहना है कि उदय से बिजली महंगी होगी।
बिल्कुल नहीं। असलियत में इसका उलट होगा। अभी तक की सरकारों के लिए बिजली सुधार का मतलब सिर्फ बिजली दरों को बढ़ाना होता था। हम दरों को नीचे लाने में जुटे हैं। उदय के तहत हर राज्य के बिजली घर को उसके करीब के कोयला खदान से कोयला मिलने का रास्ता साफ किया गया है। बिजली की चोरी को पूरी तरह से रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे। इससे बिजली सस्ती होगी। सौर ऊर्जा का उदाहरण देखिए। दो वर्षों में इसकी दरें 4.34 रुपये प्रति यूनिट तक आ गई है। इसे घटाकर 3.50 रुपये पर लाना है। निश्चिंत रहें, देश में बिजली की दरें कम होंगी।
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