युद्ध में घायल जवान को सेना से नहीं निकाला जा सकता : हाई कोर्ट
युद्ध में घायल जवान को सुरक्षा बल या सेना से नहीं निकाला जा सकता है। यह टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने बीएसएफ को एक सिपाही को फिर से बहाल करने का आदेश दिया है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। युद्ध में घायल जवान को सुरक्षा बल या सेना से नहीं निकाला जा सकता है। यह टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने बीएसएफ को एक सिपाही को फिर से बहाल करने का आदेश दिया है। सिपाही खदान में हुए विस्फोट में घायल हो गया था, उसका बायां पैर काटना पड़ा था।
न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट्ट व दीपा शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि प्रशासन ने सिपाही की क्षमता को नजरअंदाज किया है। युद्ध में घायल हुए सैनिक को भर्ती के बीस साल बाद रिटायर करने की नीति सभी मामलों में सही नहीं है। ऐसे में पीडि़त खुद को अवांछित महसूस करता है। खंडपीठ ने कहा कि बीएसएफ सिपाही को ऐसा काम देने पर विचार क्यों नहीं करती, जिसे बैठकर किया जा सके।
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अदालत ने निर्देश दिया कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देने के बाद से अब तक सिपाही को सभी भत्ते व अन्य लाभ प्रदान किए जाएं। पेश मामले के अनुसार, रतिराम 1990 में बीएसएफ में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे। 3 दिसंबर 1994 को अनंतनाग (जम्मू-कश्मीर) में गश्त के दौरान एक खदान में हुए विस्फोट में वह घायल हो गए थे। उनका बायां पैर काटना पड़ा था। इसके बाद उन्हें ऐसा काम दिया जाने लगा, जिसमें शारीरिक रूप से भाग-दौड़ कम हो और बैठकर ड्यूटी की जा सके। लगातार तबीयत खराब रहने पर फरवरी 2013 में उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई।