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ऑटो चालक के बेटों ने उठाया संस्कृत के प्रसार का बीड़ा

फिलहाल दोनों भाई संस्कृत महाविद्यालय से शास्त्री की उपाधि प्राप्त कर रहे हैं। साथ ही बच्चों को निशुल्क संस्कृत की शिक्षा देते हैं।

By Srishti VermaEdited By: Updated: Mon, 27 Nov 2017 09:23 AM (IST)
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ऑटो चालक के बेटों ने उठाया संस्कृत के प्रसार का बीड़ा

उज्जैन (नईदुनिया)। राघव और माधव दोनों जुड़वा भाई हैं। इनकी खासियत यह है कि ये आज के आम युवाओं से जुदा हैं। दोनों ने एक मिशन अपने हाथ में लिया है, जो अनूठा है। राघव और माधव की इच्छा है कि देवभाषा संस्कृत का विस्तार हो और आगामी पीढ़ी इसमें संवाद करना सीखे। जुड़वा भाइयों ने इसके लिए दस दिन का कोर्स डिजाइन किया है। दोनों गांव-गांव जाकर देवभाषा का विस्तार करना चाहते हैं।

राघव और माधव के पिता अनूप पंडित व इनकी माता आशा भी संस्कृत में एमए हैं। अनूप पहले में बैंक में नौकरी करते थे। अब ऑटो रिक्शा चलाते हैं। अनूप बताते हैं कि राघव और माधव की बचपन से ही संस्कृत में रूचि थी। दोनों घर पर संवाद भी इसी भाषा में करते हैं। इनकी रूचि को देखते हुए पहले बाल गंगाधर तिलक वेद विद्या प्रतिष्ठान मालीपुरा में दाखिला दिलाया। प्रारंभिक शिक्षा के बाद इन्हें श्री राज राजेश्वरी धाम धामनोद भेजा गया। यहां दोनों भाइयों ने राघवानंदजी महाराज से वेद और संस्कृत का ज्ञान लिया। पश्चात उज्जैन के पं. जगदीश चंद्र भट्ट ने दोनों को इस विद्या को प्रयोग में लाना सिखाया।

फिलहाल दोनों भाई संस्कृत महाविद्यालय से शास्त्री की उपाधि प्राप्त कर रहे हैं। साथ ही बच्चों को निशुल्क संस्कृत की शिक्षा देते हैं। राघव और माधव ने बताया कि उनकी इच्छा देवभाषा संस्कृत को देश के हर गांव तक ले जाने की है। वे चाहते हैं कि देश का हर बच्चा अपनी मूल भाषा को जाने। इसके लिए दस दिन का एक कोर्स भी डिजाइन किया है। दस दिन में कोई भी व्यक्ति आसानी से संस्कृत में संवाद करना सीख सकता है। उपाधि प्राप्त होते ही देशभर में मिशन की शुरुआत कर दी जाएगी।

-संस्कृत में एमए जुड़वा भाई बचपन से घर में संस्कृत में ही करते हैं संवाद
-बच्चों को बनाया विशेष पाठ्यक्रम के जरिये दस दिन में सिखा देते हैं यह भाषा

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