समलैंगिकता के पक्ष में सोनिया-राहुल
समलैंगिक संबंधों को अपराध ठहराने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में सरकार और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से खुलकर एतराज दर्ज कराया गया है। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फैसले पर निराशा जताई। वहीं, कुछ ही मुद्दों पर सार्वजनिक राय देने वाले पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने धारा-377 को फिर से अपराध की श्रेणी में डालने का विरोध किया है। राहुल ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले से सहमति जताते हुए इसे निजी स्वतंत्रता का मुद्दा बताया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। समलैंगिक संबंधों को अपराध ठहराने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में सरकार और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से खुलकर एतराज दर्ज कराया गया है। बृहस्पतिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फैसले पर निराशा जताई। वहीं, कुछ ही मुद्दों पर सार्वजनिक राय देने वाले पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने धारा-377 को फिर से अपराध की श्रेणी में डालने का विरोध किया है। राहुल ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले से सहमति जताते हुए इसे निजी स्वतंत्रता का मुद्दा बताया। शीर्ष स्तर से मिले संकेतों के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बदलाव के लिए हरसंभव पहल के संकेत दिए हैं।
फैसले पर तीखी प्रतिक्रियाओं के बीच राहुल गांधी ने गुरुवार शाम कहा कि वह दिल्ली हाई कोर्ट की राय के साथ हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा-377 को गलत करार देते हुए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इसी निर्णय को पलट दिया। सोनिया गांधी ने कहा कि हाई कोर्ट ने संविधान में दिए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले एक पुराने दमनकारी और अन्यायी कानून को हटाने का विवेकपूर्ण फैसला लिया था। संविधान ने हमें उदारता और खुलेपन की बड़ी विरासत दी है, जो हमें किसी भी तरह के पक्षपात या भेदभाव से लड़ने को प्रेरित करती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के साथ इस संबंध में सुधार का विकल्प सुझाया है, तो संसद इस मुद्दे पर विचार करेगी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सीधे प्रभावित होने वालों समेत सभी नागरिकों के जीवन व आजादी की संवैधानिक गारंटी को बनाए रखेगी।