अपनों को अपना साबित करने की चुनौती से जूझेगी सपा
पश्चिम के दंगों का दंश, मुस्लिमों का ठहरा मिजाज और हमलावर विपक्ष से मुकाबिल समाजवादी पार्टी सहारनपुर रैली में अपने वोटरों को अपना साबित करने की चुनौती से जूझेगी। दंगों के बाद यह पहला अवसर है जबकि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मंगलवार को पश्चिम में कोई रैली करेंगे। चुनावी नजरि
[परवेज अहमद], लखनऊ। पश्चिम के दंगों का दंश, मुस्लिमों का ठहरा मिजाज और हमलावर विपक्ष से मुकाबिल समाजवादी पार्टी सहारनपुर रैली में अपने वोटरों को अपना साबित करने की चुनौती से जूझेगी। दंगों के बाद यह पहला अवसर है जबकि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मंगलवार को पश्चिम में कोई रैली करेंगे। चुनावी नजरिए से माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए यह रैली मुस्लिमों की सियासी दिशा तय कर सकती है।1बीते विधानसभा चुनाव में सपा को पश्चिम के मुसलमानों का एकमुश्त समर्थन हासिल हुआ था, लेकिन मुजफ्फरनगर और शामली के दंगों से बिखरा सामाजिक ताना-बाना पार्टी अभी ठीक से जोड़ नहीं पाई है, उल्टे मुख्तलिफ वजहों से जब-तब स्थितियां बिगाड़ने के प्रयास होते हैं। इससे समाजवादी पार्टी का मूल वोटर मुसलमान नाराज हैं। ऊपर से मुस्लिम इदारों से आरक्षण की आवाज बुलंद हो रही है, विधानसभा चुनाव में सपा के साथ गलबहियां करने वाले शाही इमाम अहमद बुखारी भी इन दिनों उससे नाखुश हैं। उन्होंने इस रैली के अगले ही दिन यानी 12 फरवरी को मुस्लिमों की दुश्वारियां पर बातचीत करने और उसका हल निकालने के लिए दिल्ली में बैठक बुला ली है। इसके बाद उन्होंने पांच सूत्री एजेंडे पर 22 फरवरी को गोष्ठी भी तय कर दी है। मेरठ में युवा समिति के सम्मेलन में मुस्लिमों को आरक्षण की मांग उठ चुकी है, जिसे हवा भी मिल रही है।
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