अंतरिक्ष में एक और छलांग, तारों के अध्ययन में शामिल होगा भारत
सूर्य के सबसे करीब तारे अल्फा सेंचुरी के अध्ययन के लिए अल्ट्रा लाइट क्रॉफ्ट भेजे जाने की तैयारी चल रही है। भारतीय वैज्ञानिकों के दल को इस अभियान में शामिल करने का फैसला किया गया है।
नई दिल्ली। अंतरिक्ष विज्ञान में देश और दुनिया में काफी प्रगति हुई है। लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे अनसुलझे सवाल हैं जिसके जवाब मिलने बाकी हैं। ग्रहों के बाद अब तारों की प्रकृति के बार में जानने की कोशिश जारी है। इस अभियान में दुनिया के नामी गिरामी संस्थान भारत को भी जोड़ने की कवायद में जुटे हैं। करीब 100 मिलियन डॉलर वाले प्रोजेक्ट में सौर मंडल के सबसे करीब तारे अल्फा सेंचुरी पर अल्ट्रा लाइट नैनो क्रॉफ्ट भेजे जाने की तैयारी चल रही है।
नासा से जुड़े पूर्व खगोलशास्त्री वोडेन ने बताया कि अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की तरक्की ने ये साबित कर दिया है कि भारत इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मंगल मिशन पर भेजे गए क्रॉफ्ट के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि अभी जिस क्रॉफ्ट के जरिए मंगल मिशन पर पहुंचा गया है उसमें आठ से नौ महीने लगे हैं लेकिन इस अत्याधुनिक क्राफ्ट से महज 30 मिनट लगेंगे। वहीं प्लूटो पर पहुंचने पर 10 साल की जगह महज 72 घंटे लगेंगे। 100 मिलियन माइल्स प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने वाले क्रॉफ्ट 20 साल में अल्फा सेंचुरी पर पहुंच जाएगा।
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अंग्रेजी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इस प्रोजेक्ट की घोषणा 12 अप्रैल 2016 को रूसी इंटरनेट उद्योगपति मिल्नर और विश्व प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने की। इस प्रोजेक्ट में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी शामिल हैं। वोडेन ने कहा कि इस सिलसिले में उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरु का दौरा किए थे। जिसमें भारतीय वैज्ञानिकों से खासी रुचि दिखाई थी। अल्फा सेंचुरी से जुड़े अभियान की कामयाबी के लिए एक बार फिर वो भारत का दौरा करेंगे।