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अल्पसंख्यकों को हुनरमंद बनाने को सालभर का कोर्स

नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। देश में चुनावी माहौल बनने के बीच सरकार की नजर रोजगार के लिए इधर-उधर भटक रहे अल्पसंख्यकों, खासतौर से मुस्लिम समुदाय के युवाओं पर भी पहुंच गई है। अब वह उन्हें स्थानीय उद्योग-धंधों की जरूरतों के लिहाज से हुनरमंद बनाएगी। युवकों को इसके लिए एक साल पढ़ाई करनी होगी व प्रशिक्षण लेना होगा। उत्तर प्रदेश के

By Edited By: Updated: Fri, 17 May 2013 10:58 PM (IST)
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नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। देश में चुनावी माहौल बनने के बीच सरकार की नजर रोजगार के लिए इधर-उधर भटक रहे अल्पसंख्यकों, खासतौर से मुस्लिम समुदाय के युवाओं पर भी पहुंच गई है। अब वह उन्हें स्थानीय उद्योग-धंधों की जरूरतों के लिहाज से हुनरमंद बनाएगी। युवकों को इसके लिए एक साल पढ़ाई करनी होगी व प्रशिक्षण लेना होगा। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, अलीगढ़, बरेली, भदोही और खुर्जा से लेकर जम्मू-कश्मीर तक के स्थानीय उद्योगों के मद्देनजर उन्हें रोजगार के काबिल बनाने के लिए स्किल डेवलपमेंट के नये कोर्स शुरू होंगे। पास होने वालों को सर्टिफिकेट मिलेगा।

इस कार्यक्रम को और विस्तार देने की योजना है। राष्ट्रीय उर्दू भाषा संव‌र्द्धन परिषद [एनसीपीयूएल] ने इस मकसद से सात कोर्स तैयार किए हैं। उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद ब्रासवेयर के काम के लिए मशहूर है तो बरेली में लकड़ी व केन के काम के लिए, बुलंदशहर का खुर्जा पॉटरी [चीनी मिट्टी] के काम में अलग स्थान रखता है। इन उद्योगों में कैसे कुशल कामगारों की जरूरत है? बेरोजगार युवाओं को उसी लिहाज से प्रशिक्षण के लिए केंद्र खुलेंगे।

एनसीपीयूएल के निदेशक ख्वाजा इकराम के मुताबिक, पॉटरी के काम को कैलीग्राफिक आर्ट के साथ जोड़ने का हुनर सिखाया जाएगा। कश्मीर में पेपर को रीसाइकिल करके उसे मोटा किया जाता है। गमले भी बनते हैं। एक-एक गमले कई-कई हजार रुपये में बिकते हैं। ऐसे में स्थानीय युवाओं को एक साल का कोर्स कराकर हुनरमंद बनाने के अच्छे परिणाम आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटन के लिहाज से कश्मीर खास मायने रखता है। युवाओं को उससे जोड़ने के लिए कश्मीर विश्वविद्यालय के साथ मिलकर 'उर्दू टूरिज्म का सर्टिफिकेट कोर्स' शुरू किया जाएगा।

इसी तरह भदोही के कालीन उद्योग, बनारसी साड़ी, मऊ के हैंडलूम जैसे ंउद्योग-धंधे के मद्देनजर कपड़े पर जरी, जरदोजी के काम में भी एनसीपीयूएल ने हुनरमंदी का पाठ्यक्रम तैयार किया है। अलीगढ़ के ताला उद्योग पर भी गौर किया गया है। सारे कोर्स हिंदी व उर्दू भाषा में उपलब्ध होंगे। इन पाठ्यक्रमों पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की मुहर लगनी बाकी है।

राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान मुस्लिम लड़कियों को सिलाई, कढ़ाई, ब्यूटी कल्चर, हिनाबंदी जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रम पहले से ही चला रहा है। अब उसे एनसीपीयूएल व एनआइओएस दोनों मिलकर चलाएंगे। पाठ्यक्रम एनआइओएस का होगा। संसाधन एनसीपीयूएल उपलब्ध कराएगा। इस बाबत दोनों ही संस्थान जल्द एक सहमति पत्र [एमओयू] पर हस्ताक्षर करेंगे।

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